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लुधियाना पश्चिमी उपचुनाव: आप के विजय रथ का पहिया थामने मैदान में उतरे कांग्रेस और शिअद, भाजपा का दांव बाकी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: अंकेश ठाकुर
Updated Sun, 20 Apr 2025 01:49 PM IST
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सार
लुधियाना पश्चिमी उपचुनाव के लिए कांग्रेस और शिअद ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। दोनों दलों ने इस बार आप को चुनाव में पटखनी देने के इरादे से उम्मीदवारों का चयन किया है। हालांकि अभी चुनावी मैदान में भाजपा की एंट्री बाकि है।

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
लुधियाना पश्चिमी के उपचुनाव का मैदान अब रोमांच पकड़ने लगा है। आम आदमी पार्टी (आप) के विजय रथ के पहिये को थामने के लिए कांग्रेस पार्टी के बाद अब शिअद के नए प्रदेशाध्यक्ष ने अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव हार के बाद आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने विपश्यना से बाहर आने के बाद पंजाब में नई सियासी पारी की जमीन तैयार की है। केजरीवाल की इस नई सियासी एंट्री को रोकने के लिए भाजपा का दांव अभी बाकी है। भाजपा ने लुधियाना पश्चिमी उप चुनाव में अब तक अपना चेहरा सामने नहीं किया है, लेकिन जमीनी स्तर पर तीन दलों में चुनावी प्रतिद्वंद जोर पकड़ता नजर आ रहा है।
आप, कांग्रेस और शिअद ने इन चेहरों पर खेला है दांव
आप ने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को अपना चेहरा बनाया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव हार के बाद आप राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की पंजाब के मंत्रियों, विधायकों और सीएम मान के साथ बैठक में यह रणनीति पहले ही बन चुकी थी। दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को पार्टी का पंजाब प्रभारी बनाकर लुधियाना पश्चिमी उप चुनाव पर अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए संगठनात्मक मजबूती का बड़ा दांव खेला है।
शिअद से परउपकार सिंह घुम्मण को मैदान में
सियासी जानकारों की मानें तो दिल्ली में आप के सत्ता में आने से पहले सिसोदिया वो चहरा थे, जो पंजाब में संगठन को मजबूत करने के लिए गली और चौराहे तक नाप चुके हैं। कांग्रेस ने भारत भूषण आशु को अपना चेहरा बनाया है। वह इस सीट पर दो बार पहले भी विधायक रह चुके हैं। बता दें आप के पूर्व विधायक गुरप्रीत गोली ने आशु को 2022 में 7 हजार से अधिक वोटों से हराया था। इस साल जनवरी में गोगी की मृत्यु के बाद इस सीट पर उप चुनाव हो रहा है। उधर अकाली दल के प्रधान पद की दोबारा जिम्मेदारी संभालते सुखबीर बादल ने लुधियाना बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष परउपकार सिंह घुम्मण को मैदान में उतारा है।
भाजपा का दांव बाकी, बिट्टू हार गए थे सांसदी
लुधियाना पश्चिमी उप चुनाव के लिए भाजपा ने प्रत्याशी के रूप में अपना दांव अब तक नहीं खेला है। केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू इस सीट से 2024 में सांसदी हार गए थे। बावजूद भाजपा ने उन्हें केंद्रीय बॉडी में शामिल किया। भाजपा भी सांसदी हार को लुधियाना पश्चिमी सीट के जरिए अवसर के रूप में देख रही है। लुधियाना को एक औद्योगिक क्षेत्र के रूप में देखा जाता है। यहां उद्योगों के साथ बड़ी संख्या में प्रवासी वोटर भी हैं। यही कारण है कि आप ने बीते दिनों लुधियाना में उद्योगपतियों के साथ न केवल बैठक की, बल्कि उनसे जुड़े कई मुद्दों को अपनी कैबिनेट से लेकर बजट तक में पारित किया है। उद्योगपतियों की पूरे लुधियाना में बड़ी पकड़ है, ऐसे में इस वर्ग का साथ जीत के लिए बेहद जरूरी है।

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आप, कांग्रेस और शिअद ने इन चेहरों पर खेला है दांव
आप ने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को अपना चेहरा बनाया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव हार के बाद आप राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की पंजाब के मंत्रियों, विधायकों और सीएम मान के साथ बैठक में यह रणनीति पहले ही बन चुकी थी। दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को पार्टी का पंजाब प्रभारी बनाकर लुधियाना पश्चिमी उप चुनाव पर अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए संगठनात्मक मजबूती का बड़ा दांव खेला है।
शिअद से परउपकार सिंह घुम्मण को मैदान में
सियासी जानकारों की मानें तो दिल्ली में आप के सत्ता में आने से पहले सिसोदिया वो चहरा थे, जो पंजाब में संगठन को मजबूत करने के लिए गली और चौराहे तक नाप चुके हैं। कांग्रेस ने भारत भूषण आशु को अपना चेहरा बनाया है। वह इस सीट पर दो बार पहले भी विधायक रह चुके हैं। बता दें आप के पूर्व विधायक गुरप्रीत गोली ने आशु को 2022 में 7 हजार से अधिक वोटों से हराया था। इस साल जनवरी में गोगी की मृत्यु के बाद इस सीट पर उप चुनाव हो रहा है। उधर अकाली दल के प्रधान पद की दोबारा जिम्मेदारी संभालते सुखबीर बादल ने लुधियाना बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष परउपकार सिंह घुम्मण को मैदान में उतारा है।
भाजपा का दांव बाकी, बिट्टू हार गए थे सांसदी
लुधियाना पश्चिमी उप चुनाव के लिए भाजपा ने प्रत्याशी के रूप में अपना दांव अब तक नहीं खेला है। केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू इस सीट से 2024 में सांसदी हार गए थे। बावजूद भाजपा ने उन्हें केंद्रीय बॉडी में शामिल किया। भाजपा भी सांसदी हार को लुधियाना पश्चिमी सीट के जरिए अवसर के रूप में देख रही है। लुधियाना को एक औद्योगिक क्षेत्र के रूप में देखा जाता है। यहां उद्योगों के साथ बड़ी संख्या में प्रवासी वोटर भी हैं। यही कारण है कि आप ने बीते दिनों लुधियाना में उद्योगपतियों के साथ न केवल बैठक की, बल्कि उनसे जुड़े कई मुद्दों को अपनी कैबिनेट से लेकर बजट तक में पारित किया है। उद्योगपतियों की पूरे लुधियाना में बड़ी पकड़ है, ऐसे में इस वर्ग का साथ जीत के लिए बेहद जरूरी है।