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पंजाब के चार शहरों की हवा खराब: पराली जलाने के मामले 2500 के पार, संगरूर में 61 जगह लगाई गई आग

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटियाला (पंजाब) Published by: निवेदिता वर्मा Updated Tue, 04 Nov 2025 11:31 AM IST
सार

प्रदूषण से होने वाली सेहत संबंधी समस्याओं को रोकने के लिए सेहत विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। इस मौसम में पैदल चलने, साइकिल चलाने और दौड़ने से बचना चाहिए। बाहर निकलते समय चेहरे पर मास्क पहनना चाहिए, धूल-मिट्टी उड़ने से रोकने के लिए पानी का स्प्रे करना चाहिए।

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Four Punjab cities report polluted air  Stubble burning cases surpass 2500
पंजाब में जल रही पराली - फोटो : संवाद
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विस्तार
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पंजाब में पराली जलाने के मामले 2500 के आंकड़े को पार कर गए। सोमवार को 256 नए मामले सामने आए और बीते कई दिनों की तरह सबसे ज्यादा पराली संगरूर में ही जली। संगरूर में 61 नए मामले सामने आए। पराली के जलने से सूबे की आबो-हवा में लगातार प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। 

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सोमवार को चार शहरों का एक्यूआई खराब श्रेणी में दर्ज किया गया जिनमें पटियाला का सबसे अधिक 250, खन्ना का 248, मंडी गोबिंदगढ़ का 234 और जालंधर का 206 दर्ज किया गया। पंजाब में सोमवार को पराली जलाने के कुल मामले 2518 हो गए। इनमें से सबसे अधिक 471 मामले जिला तरनतारन से, वहीं संगरूर से 467, फिरोजपुर से 263, अमृतसर जिले से 232, बठिंडा से 166, पटियाला से 146, कपूरथला से 104, मानसा से 94, मुक्तसर से 80, मोगा से 78, लुधियाना से 57, बरनाला से 56, मालेरकोटला से 46, जालंधर से 43, फाजिल्का से 42, फरीदकोट से 39, फतेहगढ़ साहिब से 30, एसएएस नगर से 26,होशियारपुर से 15 मामले सामने आए।

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सेहत विभाग ने जारी की एडवाइजरी 

प्रदूषण से होने वाली सेहत संबंधी समस्याओं को रोकने के लिए सेहत विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। जिले के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट कम सिविल सर्जन पटियाला डॉ. संजय कामरा ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से एयर क्वालिटी इंडेक्स बिगड़ने के कारण बच्चों और बुजुर्गों, खासकर जिन्हें पहले से अस्थमा या सांस की बीमारियां हैं, ऐसे मरीजों की आमद अस्पतालों में बढ़ गई है। आम तौर पर प्रदूषण के कारण आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, थकान और चिड़चिड़ापन के लक्षण सामने आ रहे हैं। उन्होंने किसानों से सांस के मरीजों की समस्याओं को देखते हुए पराली जलाने से परहेज करने की अपील की।

कूड़े में आग लगाने से बचें...

इस मौसम में पैदल चलने, साइकिल चलाने और दौड़ने से बचना चाहिए। बाहर निकलते समय चेहरे पर मास्क पहनना चाहिए, धूल-मिट्टी उड़ने से रोकने के लिए पानी का स्प्रे करना चाहिए। सांस और अस्थमा के मरीज अपनी दवाएं और इनहेलर जरूर साथ रखें। घरों में झाड़ू की जगह गीले पोछे के इस्तेमाल को प्राथमिकता देनी चाहिए। अगरबत्ती, पत्ते और कूड़ा-करकट नहीं जलाना चाहिए। पार्कों वगैरह में जमा घास-पत्तियों को जलाने की जगह कुचल देना चाहिए। बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को प्रदूषित इलाकों में जाने से रोकना चाहिए।

मोगा में पिछले तीन साल में सबसे कम जली पराली 

किसानों को पराली जलाने के बजाय उसके सही प्रबंधन के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से मोगा उच्च अधिकारियों, कृषि विभाग और नोडल अधिकारियों की टीमें गांव-गांव जा रही हैं। ताकि मोगा को जीरो स्टबल बर्निंग जिला बनाया जा सके। डीसी मोगा सागर सेतिया और एसएसपी अजय गांधी ने गांव गांव में जाकर खेतों का दौरा किया और किसानों को इन-सीटू और एक्स-सीटू तरीकों से पराली प्रबंधन करने के लिए प्रेरित किया। 

दोनों अधिकारियों ने खुद ट्रैक्टर चलाकर किसानों को जागरूक किया। मोगा जिले में अभी तक 60 पराली जलने के मामले सामने आए हैं, जो पिछले तीन साल में सबसे कम हैं। अभी तक 26 किसानों पर मामला दर्ज किया गया और करीब 1 लाख 50 हजार जुर्माना लगाया गया।  
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