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मुख्य आरोपी को भगाने में मदद करने वाले आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं: हाईकोर्ट
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चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कंचन कौर की हत्या मामले में मुख्य आरोपी को फरार कराने में कथित रूप से मदद करने वाले आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने स्पष्ट किया कि आरोपी का ऐसा आचरण उसकी संलिप्तता को दर्शाता है और ऐसे व्यक्ति को प्री-अरेस्ट बेल जैसी राहत नहीं दी जा सकती।
न्यायमूर्ति सुमीत गोयल ने कहा कि याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने घटना के बाद मुख्य आरोपी अमृतपाल सिंह को जांच एजेंसी की पहुंच से बाहर ले जाने में मदद की। इस प्रकार, आरोपी का यह कदम न केवल उसकी संलिप्तता को स्पष्ट करता है, बल्कि जांच को भी भटकाने की कोशिश है। अदालत ने यह भी कहा कि इस प्रकार के आचरण को हल्के में नहीं लिया जा सकता, और इसीलिए याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती।
यह मामला बठिंडा में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें याचिकाकर्ता पर मुख्य आरोपी को फरार करने में मदद करने का आरोप है। एफआईआर के अनुसार, लुधियाना की सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कंचन कुमारी उर्फ कंचन कौर का शव बठिंडा में एक कार से बरामद हुआ था। मृतका की मां ने 9 जून 2025 को अपनी बेटी के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसके बाद उसकी मौत की सूचना मिली। शुरुआत में मामला अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज किया गया था, लेकिन जांच के दौरान जसप्रीत सिंह और निर्मलजीत सिंह की गिरफ्तारी हुई, जिनके खुलासों ने याचिकाकर्ता की भूमिका का खुलासा किया। अभियोजन पक्ष का कहना है कि याचिकाकर्ता ने मुख्य आरोपी को अमृतसर एयरपोर्ट की ओर भगाने में मदद की थी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दावा किया कि उसका नाम एफआईआर में नहीं है और न ही उसके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष आरोप हैं। उसने यह भी कहा कि वह केवल सह-आरोपियों के बयान के आधार पर फंसाया गया है। अंततः, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामाजिक हितों के बीच संतुलन बनाते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
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न्यायमूर्ति सुमीत गोयल ने कहा कि याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने घटना के बाद मुख्य आरोपी अमृतपाल सिंह को जांच एजेंसी की पहुंच से बाहर ले जाने में मदद की। इस प्रकार, आरोपी का यह कदम न केवल उसकी संलिप्तता को स्पष्ट करता है, बल्कि जांच को भी भटकाने की कोशिश है। अदालत ने यह भी कहा कि इस प्रकार के आचरण को हल्के में नहीं लिया जा सकता, और इसीलिए याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती।
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यह मामला बठिंडा में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें याचिकाकर्ता पर मुख्य आरोपी को फरार करने में मदद करने का आरोप है। एफआईआर के अनुसार, लुधियाना की सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कंचन कुमारी उर्फ कंचन कौर का शव बठिंडा में एक कार से बरामद हुआ था। मृतका की मां ने 9 जून 2025 को अपनी बेटी के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसके बाद उसकी मौत की सूचना मिली। शुरुआत में मामला अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज किया गया था, लेकिन जांच के दौरान जसप्रीत सिंह और निर्मलजीत सिंह की गिरफ्तारी हुई, जिनके खुलासों ने याचिकाकर्ता की भूमिका का खुलासा किया। अभियोजन पक्ष का कहना है कि याचिकाकर्ता ने मुख्य आरोपी को अमृतसर एयरपोर्ट की ओर भगाने में मदद की थी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दावा किया कि उसका नाम एफआईआर में नहीं है और न ही उसके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष आरोप हैं। उसने यह भी कहा कि वह केवल सह-आरोपियों के बयान के आधार पर फंसाया गया है। अंततः, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामाजिक हितों के बीच संतुलन बनाते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।