हाथों में जादू: सिद्धू मूसेवाला का स्टेच्यू बनाने वाले मूर्तिकार इकबाल, मुलायम सिंह के पुतले का मिला ऑर्डर
कहते हैं कि किसी-किसी के हाथों में जादू होता है। असल में पंजाब के मोगा के मूर्तिकार इकबाल सिंह के हाथों में जादू है। उनके बनाए स्टेच्यू (पुतले) बिल्कुल इंसान की तरह लगते हैं। इकबाल सिंह ने सिद्धू मूसेवाला का पुतला भी बनाया है।

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पंजाब के मूर्तिकार इकबाल सिंह गिल के हाथों में ऐसा जादू है कि वह किसी भी इंसान का हू-ब-हू पुतला (स्टेच्यू) बना देते हैं। पंजाब के मोगा के गांव मानुके के मूर्तिकार इकबाल सिंह गिल अपने हाथों की कलाकारी से सुखियों में हैं। इकबाल सिंह गिल पिछले 22 सालों से मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं। इकबाल किसान हैं और अब जाने माने मूर्तिकार भी बन चुके हैं। इकबाल सिंह गिल के बनाए स्टेच्यू बिल्कुल असली इंसान की तरह लगते हैं।

इकबाल सिंह ने मशहूर पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला का बुत (पुतला) भी तैयार किया है। सिद्धू मूसेवाला का पुतला उनके गांव मूसा स्थित घर पर रखा गया है। उनके पुतले को देखने के लिए मूसेवाला के फैंस भी आते हैं। इसके अलावा इकबाल सिंह ने बाबा लाडी शाह, संदीप नंगल आबिया और देश के लिए शहीद होने वाले कई फौजी भाईयों के पुतले भी तैयार किए हैं। वहीं अब उनके पास उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व सपा नेता मुलायम सिंह यादव के स्टेच्यू को बनाने का ऑर्डर आया है।
खास बात यह है कि इकबाल सिंह के पास देश से ही नहीं बल्कि विदेश से भी स्टेच्यू बनाने के ऑर्डर आ रहे हैं। उन्होंने बीते दिनों फिरोजपुर के मृतक पुलिस कर्मी का पुतला बनाया है। यह पुतला उन्होंने फोटो देखकर बनाया है।

परिवार के लोगों को देखकर भी बना देते हैं स्टेच्यू
इकबाल सिंह गिल किसान परिवार से हैं और बचपन से ही उन्हें पेंटिंग और मूर्ति बनाने का शौक रहा है। 12वीं तक पढ़ाई करने बाद पिता के साथ खेती का काम करने लगे और साथ में मूर्ति बनाने का शौक भी जारी रखा। अब तक वह सैकड़ों स्टेच्यू बना चुके हैं। इकबाल सिंह गिल एक ऐसे कलाकार हैं जो फोन से फोटो देखकर ही हू-ब-हू उस इंसान का स्टेच्यू बना देते हैं। अगर किसी की फोटो भी न हो भी उनके परिवार लोगों की फोटो देखकर बुत तैयार कर देते हैं।
बचपन के शौक को रखा जिंदा
इकबाल सिंह गिल का कहना है उसको बचपन से ही मूर्ति बनाने का शौक था। 20 साल की उम्र में उन्होंने पहली मूर्ति गौतम बुद्ध की बनाई थी। खेतीबाड़ी के साथ-साथ मूर्ति बनाने का काम भी जारी रखा। जिस भी शख्स का वह स्टेच्यू बनाते हैं उनके परिवार वाले भी उस स्टेच्यू को देखकर दंग रह जाते हैं। लोगों का कहना है कि ऐसा लगता है कि उनके सामने को बुत नहीं बल्कि वही इंसान खड़ा है।
