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Ajmer News: झंडे की रस्म अदायगी के साथ गरीब नवाज के 814वें उर्स का आगाज, चांद दिखने के बाद होगी विधिवत शुरुआत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अजमेर Published by: अजमेर ब्यूरो Updated Wed, 17 Dec 2025 08:29 PM IST
सार

ख्वाजा गरीब नवाज के 814वें उर्स की अनौपचारिक शुरुआत आज झंडे की रस्म के साथ हुई। चांद दिखने के बाद 21 या 22 से उर्स की विधिवत शुरुआत होगी। आज झंडे की रस्म के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे और भारी संख्या में पुलिस जाब्ता तैनात रहा। 

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Ajmer: 814th Urs of Khwaja Garib Nawaz begins with flag hoisting, full rituals to start after moon sighting
ख्वाजा गरीब नवाज के 814वें उर्स की झंडे की रस्म के साथ हुई अनौपचारिक शुरुआत
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विस्तार
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अजमेर स्थित सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के सालाना 814वें उर्स की अनौपचारिक शुरुआत बुधवार को परंपरागत झंडे की रस्म के साथ हो गई। यह ऐतिहासिक रस्म दरगाह स्थित बुलंद दरवाजे पर अदा की गई, जिसे भीलवाड़ा से आए गौरी परिवार ने निभाया। इस मौके पर देशभर से आए हजारों अकीदतमंद मौजूद रहे और पूरी दरगाह परिसर ख्वाजा के दीवाने की सदाओं से गूंज उठा।
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झंडे की रस्म के लिए असर की नमाज के बाद गरीब नवाज गेस्ट हाउस से भव्य जुलूस रवाना हुआ। जुलूस में शाही चौकी के कव्वालों ने कव्वालियां पेश कीं, वहीं बैंड-बाजों के साथ लंगरखाना गली होते हुए जुलूस निजाम गेट से दरगाह में प्रवेश कर बुलंद दरवाजे तक पहुंचा। जैसे ही झंडा बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया गया, अकीदतमंदों में उत्साह और श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। अपनी-अपनी मन्नतों के साथ जायरीन झंडे को छूने और चूमने की ख्वाहिश पूरी करते नजर आए।
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झंडे की रस्म अदा करने वाले गौरी परिवार ने बताया कि यह परंपरा दशकों से चली आ रही है। वर्ष 1928 में फखरुद्दीन गौरी के पीर-ओ-मुर्शिद अब्दुल सत्तार बादशाह ने सबसे पहले यह रस्म अदा की थी। इसके बाद 1944 में यह जिम्मेदारी लाल मोहम्मद गौरी को सौंपी गई। उनके इंतकाल के बाद 1991 से उनके पुत्र मोईनुद्दीन गौरी ने यह रस्म निभाई और वर्ष 2007 से फखरुद्दीन गौरी लगातार इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।

बताया जाता है कि पहले जब बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाया जाता था, तो वह आसपास के गांवों तक दिखाई देता था। उस दौर में मकान छोटे होते थे और बुलंद दरवाजा दूर से नजर आता था। झंडा देखकर ही लोगों को यह संदेश मिल जाता था कि पांच दिन बाद गरीब नवाज का उर्स शुरू होने वाला है। इसी तरह यह खबर एक से दूसरे गांव तक पहुंच जाती थी।

रजब का चांद दिखाई देने के बाद आगामी 21 या 22 दिसंबर से उर्स की विधिवत धार्मिक रस्में शुरू होंगी, जिनमें महफिल-ए-समां, चादर पेशी और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। झंडे की रस्म के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे और भारी संख्या में पुलिस जाब्ता तैनात रहा। श्रद्धा, परंपरा और सूफियाना रंग के साथ 814वें उर्स का आगाज पूरे शानो-शौकत से हुआ। वहीं बीते दिनों दरगाह को बम से उड़ाने की धमकी के बाद दरगाह में सुरक्षा के इंतजाम कड़े कर दिए गए है, आज बड़ी संख्या में पुलिस का जाब्ता तैनात रहा ।
 

 

 

 

 

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