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अंता उपचुनाव: जैन भाया को टिकट से किस मुश्किल में फंसे पायलट? मीणा–गुर्जर समीकरण पर मंडराया संकट
सार
पार्टी ने पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को टिकट देकर नरेश को झटका दिया है। अब पायलट के सामने मुश्किल स्थिति है। अगर वे कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार करते हैं, तो उन्हें अपने ही शिष्य नरेश मीणा का विरोध करना पड़ेगा। अब देखना यह होगा कि अंता की यह सीट किसके हाथ लगती है। इतना तय है कि इस उपचुनाव का असर राजस्थान की राजनीति में दूर तक गूंजेगा।
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सचिन पायलट और नरेश मीणा।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
अंता विधानसभा उपचुनाव ने राजस्थान की राजनीति को फिर गरमा दिया है। सचिन पायलट के करीबी माने जाने वाले युवा नेता नरेश मीणा अब कांग्रेस से नाराज होकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। कांग्रेस ने प्रमोद जैन भाया को टिकट देकर नरेश को झटका दिया है। अब अगर पायलट कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार करते हैं, तो उन्हें अपने ही राजनीतिक शिष्य नरेश मीणा का सीधा विरोध करना होगा। यह मुकाबला मीणा–गुर्जर समीकरण को प्रभावित कर सकता है और 2028 के विधानसभा चुनाव की दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है।
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राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा के साथ ही प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। यह उपचुनाव अब सिर्फ एक सीट की लड़ाई नहीं, बल्कि 2028 के विधानसभा चुनाव का “सेमीफाइनल” बन गया है।
कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी के रूप में पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया का नाम घोषित कर दिया है, जबकि पार्टी से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे युवा छात्र नेता नरेश मीणा अब बतौर निर्दलीय या किसी अन्य पार्टी से मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।
नरेश मीणा ने हाल ही में जयपुर में झालावाड़ के पीपलोदी में स्कूल हादसे में बच्चों की मृत्यु के मामले को लेकर भूख हड़ताल की थी, जिसमें कांग्रेस नेताओं का उन्हें खुला समर्थन मिला था। अनशन खत्म करने के बाद वे पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास से भी मिले थे। राजनीतिक गलियारों में यह माना जा रहा था कि कांग्रेस उन्हें अंता से मौका देगी। लेकिन टिकट मिलने से पहले ही उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर कांग्रेस से टिकट की मांग की और यह भी कहा कि अगर वे किसी और पार्टी में चले गए तो कांग्रेस में लौटना मुश्किल हो जाएगा।
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नरेश मीणा के समर्थकों में नाराजगी
वीडियो जारी होने के कुछ घंटे बाद ही कांग्रेस ने भाया को उम्मीदवार घोषित कर दिया। इससे नरेश मीणा के समर्थकों में नाराजगी फैल गई। अगले ही दिन नरेश मीणा ने एक और वीडियो जारी कर अपने समर्थकों से राय मांगी कि वे किस पार्टी से चुनाव लड़ें। उन्होंने 14 अक्तूबर को नामांकन दाखिल करने की घोषणा भी कर दी।
सचिन पायलट और नरेश मीणा अप्रत्यक्ष रूप से आमने-सामने
इस उपचुनाव में अब सचिन पायलट और नरेश मीणा अप्रत्यक्ष रूप से आमने-सामने हैं। अगर पायलट कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया के लिए प्रचार करते हैं तो उन्हें नरेश मीणा का विरोध करना होगा, जो कभी उनके नजदीकी माने जाते थे। ऐसे में मीणा–गुर्जर समीकरण, जो कांग्रेस की राजनीति में अब तक एक शक्ति माना जाता रहा है, दरकता हुआ दिख रहा है।
क्या कहते हैं जानकार
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह उपचुनाव न सिर्फ अंता की सीट तय करेगा बल्कि 2028 के विधानसभा चुनाव के लिए जातीय और राजनीतिक समीकरणों की दिशा भी तय करेगा।
कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई से फर्क नहीं पड़ता
भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। पार्टी अपने कार्य और संगठन के बल पर चुनाव लड़ेगी। उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि भाजपा पूरी तैयारी में है, जबकि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने टिप्पणी की कि “गहलोत–पायलट की लड़ाई पुरानी है और कांग्रेस को हमेशा इसी ने कमजोर किया है।”