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Bikaner News: 10 घंटे की सर्जरी करके जोड़ा बच्ची का कटा हुआ हाथ, साढ़े चार घंटे में तय किया 400 किमी का सफर

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बीकानेर Published by: अमर उजाला ब्यूरो Updated Wed, 02 Jul 2025 03:03 PM IST
सार

जिले के खाजूवाला में चारा काटने की मशीन में हाथ कटकर अलग होने के बाद स्थानीय डॉक्टर की सूझबूझ और परिजनों की तत्परता से बच्ची को जोधपुर एम्स रैफर किया गया। जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने 10 घंटे का सफल ऑपरेशन कर बच्ची का कटा हाथ फिर से जोड़ दिया।

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Bikaner Miracle: 10-Hour Surgery Reattaches Severed Hand of Girl After 400 km Journey in Just 4.5 Hours
10 घंटे की सर्जरी करके जोड़ा बच्ची का कटा हाथ - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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जिले के खाजूवाला क्षेत्र से एक प्रेरणादायक घटना सामने आई है, जिसने न केवल चिकित्सा विज्ञान की ताकत को प्रदर्शित किया, बल्कि समय पर लिए गए फैसलों, हिम्मत और समर्पण का भी अद्भुत उदाहरण पेश किया है। यह मामला खाजूवाला के गांव माधोडिग्गी चक 14 डीकेड़ी का है, जहां 13 वर्षीय प्रियांशु मेघवाल नामक बच्ची चारा काटने वाली मशीन से काम कर रही थी कि अचानक उसका हाथ मशीन में चला गया और पंजा पूरी तरह से कटकर शरीर से अलग हो गया। यह हादसा 29 जून की शाम करीब 5:30 बजे हुआ।

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हादसे के तुरंत बाद परिवार ने घबराने के बजाय सूझबूझ दिखाई और प्रियांशु को खाजूवाला के उपजिला अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां डॉक्टर पूनाराम रोझ ने तत्परता दिखाते हुए कटा हुआ पंजा आइस बॉक्स में सुरक्षित कर लिया, जिससे वह सही तापमान पर संरक्षित रहा। यही सही कदम था, जो बाद में ऑपरेशन में मददगार साबित हुआ।
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डॉ. पूनाराम ने बच्ची को तुरंत जोधपुर एम्स रैफर किया, जहां उसे 4.5 घंटे में 400 किमी की दूरी तय कर पहुंचाया गया। इसके लिए प्राइवेट 108 एंबुलेंस के ड्राइवर इमाम हुसैन ने तत्परता से भारतमाला रोड का उपयोग कर तेजी से यात्रा की। जोधपुर एम्स में डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ टीम ने ऑपरेशन थियेटर में उसे तुरंत भर्ती किया और 10 घंटे तक माइक्रो सर्जरी के जरिए पंजे को फिर से जोड़ने का कार्य किया। इस प्रक्रिया में हाथ की सूक्ष्म रक्त नलिकाओं और नसों को माइक्रोस्कोप की सहायता से जोड़ा गया।

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सर्जरी के बाद 1 जुलाई को प्रियांशु के हाथ में हरकत देखी गई, जो इस संघर्ष और ऑपरेशन की सफलता का स्पष्ट संकेत था। अब उसे डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है और अगले एक हफ्ते तक उसके हाथ की प्रतिक्रिया को देखा जाएगा।

डॉ. पूनाराम के अनुसार यदि कटा हुआ अंग 6 घंटे के भीतर सही तापमान और परिस्थितियों में अस्पताल पहुंच जाए, तो उसे जोड़ने की संभावना 80-90 प्रतिशत तक रहती है। इस मामले में भी यही हुआ, समय पर किए गए मेडिकल रिस्पॉन्स, तेज यात्रा और एम्स की विशेषज्ञता ने असंभव को संभव बना दिया। इस घटना से न केवल प्रियांशु और उसके परिवार को राहत मिली है, बल्कि पूरे राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में यह जागरूकता फैलाने का काम करती है कि सही समय पर लिए गए फैसले और सूझबूझ से न सिर्फ जान बचाई जा सकती है, बल्कि कटा हुआ अंग भी फिर से जोड़ा जा सकता है।


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