सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Rajasthan ›   Dausa News ›   The Delhi-Mumbai Expressway has become a death trap for commuters, with 180 people losing their lives in

Rajasthan: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे ड्रीम प्रोजेक्ट बना मौत का हाईवे, अब तक 250 से ज्यादा लोग गंवा चुके जान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दौसा Published by: दौसा ब्यूरो Updated Sun, 02 Nov 2025 02:58 PM IST
सार

देश के सबसे आधुनिक और जानवर-रहित बताए गए दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर हादसों की रफ्तार थम नहीं रही है। 32 महीने में 250 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद यह ड्रीम प्रोजेक्ट अब “मौत का हाईवे” बनता जा रहा है।

विज्ञापन
The Delhi-Mumbai Expressway has become a death trap for commuters, with 180 people losing their lives in
दौसा: दिल्ली मुंबई हाईवे को लेकर खड़े हो रहे गंभीर सवाल।
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

दौसा देश के दो महानगरों दिल्ली और मुंबई को सीधे जोड़ने और यात्रा समय घटाने के उद्देश्य से बनाए गए दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को जानवर-रहित और सुरक्षित बताया गया था, लेकिन यह ड्रीम प्रोजेक्ट अब यात्रियों के लिए मौत का हाईवे बनता जा रहा है। एक्सप्रेसवे शुरू हुए 32 महीने से अधिक हो चुके हैं और अब तक 250 से ज्यादा लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं। अकेले दौसा जिले में ही 180 से अधिक मौतें दर्ज की जा चुकी हैं।
Trending Videos


जानवरों के कारण बढ़ रहे हादसे
केंद्र सरकार के जानवर-रहित हाइवे के दावे हवा में नजर आ रहे हैं। एक्सप्रेसवे पर रोजाना लावारिस पशु घूमते देखे जा रहे हैं, और ज्यादातर हादसे इन्हीं की वजह से हो रहे हैं। भारी-भरकम टोल चुकाने के बाद भी वाहन चालकों को सुरक्षित यात्रा नहीं मिल पा रही है।
विज्ञापन
विज्ञापन


मॉनिटरिंग सिस्टम फेल, रफ्तार पर नहीं लग रही लगाम
वाहनों की तेज रफ्तार हादसों का बड़ा कारण बन चुकी है। एक्सप्रेसवे को 120 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति सीमा के अनुसार तैयार किया गया था, लेकिन मॉनिटरिंग की कमी के चलते कई कारें 150 किलोमीटर प्रति घंटे तक दौड़ रही हैं। चालक की झपकी और लापरवाही भी कई दुर्घटनाओं की वजह बन रही है।

हाई-टेक कैमरे भी बेअसर
हादसे रोकने के लिए हर 100 मीटर पर थर्मल सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जो ओवरस्पीड वाहनों की पहचान कर एनएचएआई और यातायात पुलिस को सूचना देने के लिए हैं। बावजूद इसके, हादसों में कोई कमी नहीं आई है।

सुरक्षा दीवारें टूटीं, जानवरों का आसान प्रवेश
एनएचएआई के दावों के विपरीत, कई जगहों पर एक्सप्रेसवे के किनारे सुरक्षा दीवारें टूटी हुई हैं या बनाई ही नहीं गईं। स्थानीय लोगों ने जगह-जगह दीवार तोड़कर रास्ते बना लिए हैं, जिससे आवारा पशु और दुपहिया वाहन आसानी से एक्सप्रेसवे पर पहुंच जाते हैं।

ये भी पढ़ें- अलवर में दर्दनाक सड़क हादसा: तेज रफ्तार थार ने बाइक को मारी टक्कर, मौके पर चार लोगों की मौत; दो की हालत गंभीर


हाईवे के किनारे मिट्टी डालकर बनाए ढाबे और दुकानें
पिलर संख्या 190 के आसपास हाइवे की सीमा में मिट्टी डालकर समतलीकरण कर ढाबे और दुकानें खोल ली गई हैं। यहां ट्रक खड़े रहते हैं, जबकि यह क्षेत्र नो-पार्किंग जोन है। कई स्थानों पर 10 फीट ऊंचाई तक मिट्टी भरकर हाइवे से जुड़ाव बना लिया गया है।
स्थानीय लोग खुलेआम व्यापार कर रहे हैं, लेकिन एनएचएआई अधिकारियों की अनदेखी के कारण स्थिति बेकाबू है। एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

यह ड्रीम प्रोजेक्ट, जो देश की आधुनिक सड़क प्रणाली की मिसाल माना जा रहा था, अब लगातार हादसों और लापरवाही के कारण सरकार और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है।

 

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed