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Jaipur News: पूनियां की किताब विमोचन में बोले राठौड़- 'आपको और मुझे सांप ने तब डसा,जब हम सत्ता के करीब थे'
सार
पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने सतीश पूनिया के पुस्तक विमोचन समारोह में कहा कि राजनीति सांप-सीढ़ी का खेल है और सतीश जी और मुझे सांप ने डसा है।
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पुस्तक विमोचन समारोह में राजेंद्र राठौड़
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राजधानी जयपुर के कांस्टिट्यूशनल क्लब में रविवार को बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और हरियाणा प्रभारी डॉ. सतीश पूनियां की पुस्तक ‘अग्निपथ नहीं जनपथ’ का विमोचन समारोह हुआ। कार्यक्रम में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के नेता शामिल हुए। मंच से सियासत के व्यंग बाण भी छोड़े गए। पूर्व उपनेता प्रतिपक्ष और बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ ने राजस्थान की सियासत से जुड़े अपने अनुभवों को व्यंग्यात्मक अंदाज में पेश करते हुए कहा- “राजनीति एक सांप-सीढ़ी का खेल है, जिसमें कभी ऊपर जाने की कोशिश में सांप डस लेता है।”
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राठौड ने मुस्कुराते हुए कहा, “सतीश जी, आपको और मुझे सांप ने तब डसा जब हम सत्ता के शीर्ष के बेहद करीब थे।” नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। जूली ने भाषण में अपना नंबर आने पर तंज कसते हुए कहा कि यह सांप कौन था मैं आपसे बाद में जरूर पूछूंगा।
राठौड़ ने कहा, “अब तो सतीश जी किताबें लिखने लगे हैं और मैं आलेख लिख रहा हूँ। जब मेरे आलेखों की संख्या 51 पूरी हो जाएगी, तब मैं भी एक पुस्तक निकालूंगा — लेकिन शर्त यह है कि उसके विमोचन पर आप मुझे गुलाब जी के साथ लेकर आना।” उनके इस कथन पर मंचस्थ नेताओं और दर्शकों ने जोरदार तालियां बजाईं।
कार्यक्रम में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी की भी प्रशंसा करते हुए राठौड
ने कहा कि “राजनीति में संवाद और मर्यादा बनाए रखना जरूरी है, जो डॉ. जोशी जैसे नेताओं ने सदन में कायम रखी।” उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कोरोना काल में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिस तरह राज्य में स्वास्थ्य प्रबंधन को संभाला, वह सराहनीय था। पुस्तक ‘अग्निपथ नहीं जनपथ’ डॉ. सतीश पूनिया के विधायक कार्यकाल पर आधारित है, जिसमें उनके जनसेवा से जुड़े अनुभव, जनता से संवाद और संगठनात्मक यात्राओं का वर्णन किया गया है। विमोचन समारोह में भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के वरिष्ठ नेता, साहित्यकार, और समाजसेवी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
ये भी पढ़ें: डॉ. सतीश पूनिया की पुस्तक के विमोचन में BJP प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ को नहीं मिला अतिथि सूची में स्थान
जूली बोले मंच गैर राजनीतिक कार्यक्रम का, लेकिन वहां सांप-सीढ़ी का खेल चल रहा था
राठौड के इस भाषण ने समारोह को न सिर्फ हल्के-फुल्के हास्य का रंग दिया, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस पूरे कम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब मुझे कम कार्यक्रम का निमंत्रण आया तो मुझे लगा था की मंच पर क्या स्थिति होगी परंतु जब मैं कार्यक्रम में पहुंचा तो पता लगा कि आधा मंच हमारे समर्थन का था टीकाराम जूली ने आगे कहा कि मंच गैर राजनीतिक कार्यक्रम का था पर आप सब ने देखा कि कैसे वहां सांप सीढ़ी का खेल चल रहा था।
राजेंद्र राठौड़ के बयान पर टीकाराम जूली ने कहा कि अगर विधानसभा होती तो मैं यह जरूर पूछता कि वह सांप कौन है जिसने राठौर और सतीश पूनिया को डसा, जूली बोले भारतीय जनता पार्टी अपनी अंदरुनी कलह में व्यस्त है, और यह आपस में ही एक दूसरे को निपटने में लगे हुए हैं मदन राठौड़ जो प्रदेश अध्यक्ष हैं भारतीय जनता पार्टी के उन्होंने भी मंच से कहा कि मुझे भी सांप ने डसा है अब बीजेपी के अंदर के ही लोग उनको डस रहे हैं।
कटारिया बोले- मुझे सोने के पिंजरे में कैद कर दिया
पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया कार्यक्रम के चीफ गेस्ट थे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि नेता हर समय अग्निपरीक्षा देने को तैयार रहें। उन्होंने कहा कि “हमारी असली पहचान पद से नहीं, बल्कि जनता के बीच काम करने वाले कार्यकर्ता से होती है। पद आज है, कल चला जाएगा, लेकिन एक सच्चे कार्यकर्ता की पहचान कभी नहीं मिटती।” उन्होंने कहा- मैं महामहिम बन गया तो क्या जनता से दूर हो जाऊं? कार्यक्रम खत्म होते ही मैं फिर से कार्यकर्ता हो जाऊंगा. सबको लगता है मेरे मजे हैं लेकिन मुझे सोने के पिंजरे में क़ैद कर दिया है।
राजनीति में ज्ञान, संवाद और संवेदना ज़रूरी
सतीश पूनियां ने कहा कि “राजनीतिज्ञों को लेकर आम धारणा है कि वे पढ़े-लिखे नहीं होते, लेकिन यह सही नहीं है।” उन्होंने बताया कि यह उनकी पहली किताब है, जिसमें उनके विधायक कार्यकाल के अनुभव, राजनीति में संघर्ष, जनसेवा और संवाद की झलक मिलती है। उन्होंने कहा कि राजनीति में ज्ञान (नॉलेज), संवाद और संवेदना तीनों का बराबर महत्व है। पूनियां ने यह भी बताया कि वे जल्द ही अपनी दूसरी किताब लेकर आएंगे, जिसमें छात्र राजनीति से लेकर अब तक की राजनीतिक यात्रा और पर्दे के पीछे की कहानियां शामिल होंगी।
"बकरियां चराते-चराते जिला प्रमुख बनी, संविधान ने रास्ता दिखाया":
बरजी बाई भील कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं भीलवाड़ा जिला प्रमुख बरजी बाई भील ने भावुक होकर कहा, “संविधान की किताब की बदौलत मैं बकरियां चराते-चराते जिला प्रमुख बनी।” उन्होंने कहा कि “पहले किताबें अलमारियों में बंद रहा करती थीं, लेकिन जब किताबों के ताले खुले तो हम जैसी महिलाओं को भी आगे बढ़ने का रास्ता मिला।” उन्होंने सतीश पूनियां का आभार जताया कि उनकी वजह से विधानसभा के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आने का अवसर मिला।