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Rajasthan Exclusive: एसआई भर्ती का फाइनल आरएलपी ने लड़ा- बोले बेनीवाल, किरोड़ी से बढ़ी तल्खी का राज खोला
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सार
राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करने का फैसला दिए जाने के बाद इसे रद्द करवाने के लिए महीनों से धरने पर बैठे हनुमान बेनीवाल के साथ अमर उजाला ने खास बातचीत की।

आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राजस्थान में एसआई भर्ती परीक्षा 2021 को हाईकोर्ट द्वारा रद्द किए जाने के फैसले और किरोड़ी मीणा के साथ विवाद को लेकर आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अमर उजाला से खास बातचीत की। जानिये क्या बोले बेनीवाल

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सवाल : एसआई भर्ती परीक्षा रद्द होने पर आपकी प्रतिक्रिया?
हमारी प्रतिक्रिया पहले से ही साफ थी। आरएलपी ने भर्ती रद्द करवाने के लिए 127 दिन से अधिक धरना दिया, जयपुर के मानसरोवर में एक लाख से ज्यादा युवाओं की रैली की। भर्ती परीक्षा रद्द करने का सबसे बड़ा श्रेय हाईकोर्ट को है, जिसने युवाओं का भविष्य बचाया। हमने सरकार पर लगातार आरोप लगाए कि कुछ मंत्री और अफसर अपनी महिला मित्रों को बचाने के लिए परीक्षा रद्द नहीं करना चाहते। सरकार ने कोर्ट में भर्ती बचाने का शपथ पत्र दिया, लेकिन हमने सड़क से लेकर संसद तक संघर्ष किया। अंततः कोर्ट ने माना कि आरपीएससी सदस्यों की भूमिका संदिग्ध थी। अब सरकार को चाहिए कि सीबीआई जांच कराए, ताकि सच सामने आ सके।
सवाल : क्या इस भर्ती परीक्षा का क्रेडिट लेने के लिए मर्यादाएं टूटीं?
डॉक्टर साहब और मैं लंबे समय तक साथ रहे हैं। हमने कई लड़ाइयां भी लड़ीं, लेकिन हाल ही में वे मुझसे चिढ़ने लगे थे। उन्होंने मुझसे फोन पर जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया, वह ठीक नहीं था। उन्होंने मुझे आंदोलन में शामिल होने का आमंत्रण नहीं दिया, जबकि मैं हमेशा युवाओं के मुद्दों पर उनके साथ खड़ा होता। आरएलपी ने इस आंदोलन की अंतिम लड़ाई लड़ी। डॉक्टर साहब का आंदोलन सेमीफाइनल था, लेकिन फाइनल आरएलपी ने खेला। जब हाईकोर्ट ने भर्ती रद्द की तो सड़क पर मैं बैठा था, इसलिए युवाओं का क्रेडिट आरएलपी को जाता है।
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सवाल: कमल मुरारका के चुनाव में अपने पैसे मांगे?
यह अच्छा है कि डॉक्टर साहब ने पैसे के आरोप लगाए, वरना और कुछ भी कह सकते थे। कमल मुरारका सचिन पायलट का उम्मीदवार था, राजकुमार शर्मा इसको लेकर आए थे। सबसे पहली मुलाकात हनुमान बेनीवाल, राजकुमार शर्मा सचिन पायलट रामेश्वर डूडी की हुई थी, मालवीय नगर में एक जगह हम मिले थे और यह तय हुआ था कि कैंडिडेट लड़ना चाहिए कि नहीं? मैंने कभी किसी से पैसे नहीं लिए। जब कैंडिडेट उनका था तो सवाल भी उनसे पूछना चाहिए, न कि मुझसे।
सवाल: डॉक्टर मीणा ने आपको बजरी माफिया कहा?
हनुमान बेनीवाल: डॉक्टर साहब कुछ भी कह सकते हैं। कल को यह भी कह सकते हैं कि मैं आतंकी संगठन चलाता हूं लेकिन सच यह है कि वे केवल बयानबाजी करते हैं ताकि सोशल मीडिया पर चर्चा हो। खींवसर चुनाव में डॉक्टर साहब ने मेरे एमएलए फंड के 5 करोड़ रुपए रोक लिए क्योंकि उनका मानना था कि यह चुनाव में तकलीफ करेगा। उन्होंने इस्तीफा देने का नाटक भी किया और फिर वापस आ गए। इसके बावजूद आज भी अगर उन पर संकट आता है, तो मैं उनके साथ खड़ा मिलूंगा।
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सवाल: आपकी लड़ाई असल में किस बात की है?
असल लड़ाई यह है कि डॉक्टर साहब मुझे छोड़कर चले गए। वह चाहते हैं कि मैं यह बात किसी से न कहूं और यह दिखाऊं कि हम दोनों साथ हैं लेकिन सच यही है कि डॉक्टर साहब का मेरे से दूर जाना ही विवाद की जड़ है।