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Rajasthan: सांसद राजकुमार रोत ने भील प्रदेश की कर डाली मांग, सियासत में उबाल; BJP के मंत्री बोले- मांग बेकार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: शबाहत हुसैन Updated Wed, 16 Jul 2025 08:08 AM IST
सार

Rajasthan: डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने अलग भील प्रदेश की मांग को लेकर अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर भारत का एक नक्शा अपलोड किया। इसमें नए भील प्रदेश का नक्शा शामिल किया गया है। इस मैप में भील प्रदेश को राजस्थान, गुजरात, एमपी और महाराष्ट्र के हिस्सों को कम करके बताया गया है।

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Rajasthan: When MP Rajkumar Roat demanded a Bhil state the politics of the state got heated up
सांसद राजकुमार रोत द्वारा जारी किया गया भील प्रदेश का नक्शा - फोटो : Facbook profile
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विस्तार
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डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने अलग भील प्रदेश की मांग को लेकर अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर भारत का एक नक्शा अपलोड किया। इसमें नए भील प्रदेश का नक्शा शामिल किया गया है। इस मैप में भील प्रदेश को राजस्थान, गुजरात, एमपी और महाराष्ट्र के हिस्सों को कम करके बताया गया है। हालांकि भील प्रदेश की मांग राजस्थान में नई नहीं है लेकिन सोशल मीडिया पर सांसद की तरफ से इसका नक्शा अपलोड करने के बाद राजस्थान की राजनीति में जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। 
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बीजेपी की तरफ से पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए ही रोत को जवाब देते हुए लिखा…राजस्थान की आन, बान और शान को तोड़ने की साजिश कभी सफल नहीं होगी। बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद श्री राजकुमार रोत द्वारा जारी किया गया तथाकथित "भील प्रदेश" का नक्शा एक शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण राजनीतिक स्टंट है। यह न केवल गौरवशाली राजस्थान की एकता पर चोट है बल्कि आदिवासी समाज के नाम पर भ्रम फैलाने और सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश भी है। आज अगर कोई भील प्रदेश की बात करेगा, कल कोई मरू प्रदेश की मांग करेगा तो क्या हम अपने शानदार इतिहास, विरासत और गौरव को ऐसे ही टुकड़ों में बाँट देंगे? सांसद राजकुमार रोत द्वारा जारी नक्शा आदिवासी समाज में जहर बोने की साजिश है जो प्रदेशद्रोह की श्रेणी में आता है और इसे जनमानस कभी स्वीकार नहीं करेगा।
 

रोत बोले यह मांग नई नहीं
वहीं सांसद राजकुमार रोत ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि भील प्रदेश की मांग नई नहीं है। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले से ही भीलप्रदेश की मांग उठती आई है, क्योंकि यहां के लोगों की संस्कृति, भाषा, बोली और रीति रिवाज दूसरे प्रदेशों से अलग है और आदिवासी संस्कृति और सभ्यता को बचाने और उसके सरंक्षण के लिए जरूरी है। रोत ने कहा कि भील राज्य की मांग को लेकर गोविंद गुरु के नेतृत्व में 1913 में 1500 से अधिक आदिवासी  मानगढ़ पर शहीद हुए थे। आजादी के बाद भील प्रदेश को चार राज्य में बांटकर इस क्षेत्र की जनता के साथ अन्याय किया।  गोविंद गुरु के नेतृत्व में शहीद हुए 1500 से अधिक शहीदों के सम्मान में भील प्रदेश राज्य बनाना है।

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बीजेपी के मंत्री बोले, यह मांग बेकार
वहीं अलग भील प्रदेश की मांग को लेकर बीजेपी नेता के आदिवासी नेता और कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी की प्रतिक्रिया भी सामने आई। उन्होंने कहा कि भील प्रदेश की मांग बेकार है और इसमें कुछ भी नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की योजनाओं को अंतिम पंक्ति के लोगों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है। योजनाओं का फायदा सभी को मिल सके। इस पर काम किया जा रहा है। ऐसे में आदिवासी समुदाय के लिए अलग से क्या किया जा सकता है।
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