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Rajasthan News: CJI सूर्यकांत ने की एकीकृत न्यायिक नीति की वकालत, कहा- तकनीक बदलेगी न्याय का स्वरूप

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जैसलमेर Published by: प्रिया वर्मा Updated Sat, 13 Dec 2025 05:20 PM IST
सार

जैसलमेर में आयोजित वेस्ट जोन रीजनल कॉन्फ्रेंस में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने न्यायिक व्यवस्था में तकनीक के इस्तेमाल पर जोर देते हुए कहा कि इससे देशभर की न्यायिक व्यवस्था को पारदर्शी और सुलभ बनाया जा सकता है।

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Rajasthan News: CJI Surya Kant Calls for Unified Judicial Policy, Says Technology Will Reform Justice System
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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देश के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने शनिवार को जैसलमेर में आयोजित पश्चिमी क्षेत्रीय न्यायिक सम्मेलन में कहा कि अब समय आ गया है जब भारत की न्याय प्रणाली को एकीकृत न्यायिक नीति की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि तकनीक की मदद से देशभर की अदालतों के बीच समानता और पारदर्शिता लाकर न्याय को अधिक सुलभ और प्रभावी बनाया जा सकता है।

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उन्होंने कहा कि अलग-अलग हाईकोर्ट्स के अपने-अपने तरीके और तकनीकी सिस्टम हैं लेकिन अब जरूरत है कि पूरे देश की न्याय प्रणाली एक समान मानकों और प्रक्रियाओं के तहत काम करे। तकनीक ने भौगोलिक सीमाएं खत्म कर दी हैं। अब हमें न्याय को अलग-अलग राज्यों की व्यवस्था नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय प्रणाली के रूप में देखना होगा।
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CJI ने कहा कि डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये अब अदालतों का काम और तेज और सटीक होगा। AI टूल्स जजों को मामलों से जुड़ी कानूनी मिसालें खोजने, तर्कों को सरल करने और फैसलों में एकरूपता लाने में मदद करेंगे। उन्होंने बताया कि नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड और ई-कोर्ट प्रोजेक्ट जैसी पहल पहले से ही केस फाइलिंग और ट्रैकिंग को आसान बना रही हैं।

उन्होंने कहा कि कई बार लोग केस जीतने के बाद भी यह नहीं समझ पाते कि उन्हें वास्तव में क्या राहत मिली है क्योंकि आदेश की भाषा बहुत जटिल होती है इसलिए फैसले ऐसी भाषा में लिखे जाने चाहिए जो हर नागरिक आसानी से समझ सके। उन्होंने एक आदेश जारी किया है, जिसके तहत जमानत या हेबियस कॉर्पस जैसे जरूरी मामलों को दो दिन के भीतर लिस्ट किया जाएगा। जनता अदालतों से न्याय और एकरूपता की उम्मीद रखती है। देश के हर व्यक्ति को यह महसूस होना चाहिए कि चाहे उसका केस कहीं भी चले, उसे समान और निष्पक्ष न्याय मिलेगा।

उन्होंने कहा कि तकनीक से न सिर्फ अदालतों की दक्षता बढ़ेगी बल्कि जनता का न्याय व्यवस्था पर भरोसा भी मजबूत होगा। नवाचार का असली पैमाना है कि आम नागरिक अपने केस का परिणाम कितनी आसानी से समझ सकता है।

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