झुंझनू में फर्जी रजिस्ट्री गैंग का खुलासा: करोड़ों की जमीनें हड़पने वाले गिरोह पर कसा शिकंजा; मुख्य सरगना फरार
एएसपी राजवीर सिंह के अनुसार, आरोपियों ने सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी कर फर्जी आधार कार्ड, झूठे प्रमाण पत्र और गवाहों की मदद से करोड़ों रुपये की जमीनों पर फर्जी तरीके से कब्जा करने की साजिश रची। कई मामलों में उप पंजीयक कार्यालय के कर्मचारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
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झुंझुनू जिले के नवलगढ़, गोठड़ा और गुढ़ा थाना क्षेत्रों में सामने आए फर्जी रजिस्ट्री के मामलों ने यह साफ कर दिया है कि बढ़ती जमीन कीमतों के बीच भू-माफिया अब संगठित और योजनाबद्ध तरीके से अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि इन मामलों में फर्जी दस्तावेज, फर्जी पहचान पत्र और झूठे गवाहों का इस्तेमाल कर सरकारी रजिस्ट्री कार्यालयों को भी गुमराह किया गया। पुलिस ने अब तक कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि कुछ की तलाश जारी है।
एएसपी राजवीर सिंह के अनुसार, आरोपियों ने सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी कर फर्जी आधार कार्ड, झूठे प्रमाण पत्र और गवाहों की मदद से करोड़ों रुपये की जमीनों पर फर्जी तरीके से कब्जा करने की साजिश रची। कई मामलों में उप पंजीयक कार्यालय के कर्मचारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। पुलिस इन मामलों की पूरी श्रृंखला की जांच कर रही है और जिन मामलों में अब तक गिरफ्तारियां नहीं हुई हैं, वहां जल्द ही कठोर कार्रवाई की जाएगी।
पहला मामला नवलगढ़ का है, जहां वार्ड नंबर एक, सेठवाली ढाणी स्थित करीब सात बीघा जमीन का फर्जी विक्रय पत्र 3 जनवरी 2025 को नवलगढ़ उप पंजीयक कार्यालय में तस्दीक कराया गया। विक्रय पत्र में विक्रेता के रूप में फर्जी हनुमान सिंह को पेश किया गया, जिसने फर्जी मूल निवास प्रमाण पत्र का उपयोग किया। इस फर्जी विक्रेता को उप पंजीयक कार्यालय में पेश कर मालमसिंह पुत्र खींवसिंह निवासी ढाणी भोमपुरा, जिला चूरू के नाम यह जमीन रजिस्ट्री करवा दी गई। मामले की जांच में सामने आया कि क्रेता मालमसिंह, रोहिताश निवासी मोहनवाड़ी, करणीसिंह निवासी गोल्याणा, एडवोकेट अनुराग सोनी, गवाह अशोक सिंह और विनोद, तथा उप पंजीयक कार्यालय के कर्मचारी इस षड्यंत्र में शामिल थे।
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दूसरा मामला गोठड़ा थाना क्षेत्र से जुड़ा है, जहां श्री सीमेंट अधिग्रहण क्षेत्र की छह बीघा भूमि में से पांच बीघा जमीन 13 मार्च 2024 को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बेच दी गई। यह भूमि 1956 में जोरसिंह और जैतसिंह के नाम दर्ज थी, लेकिन राजस्व रिकॉर्ड में 1971 में त्रुटिवश यह जमीन धूकल और भागीरथ के नाम दर्ज हो गई। आधे हिस्से की रजिस्ट्री 1999 में असली वारिस देवी सिंह के नाम हो गई थी, लेकिन शेष जमीन अब तक भागीरथ के नाम से चली आ रही थी, जबकि भागीरथ नामक कोई व्यक्ति गोठड़ा में कभी पैदा ही नहीं हुआ।
इसका फायदा उठाते हुए भू-माफियाओं ने कोलकाता निवासी सूरज कुमार कलावटिया को फर्जी भागीरथ बनाकर नवलगढ़ उप पंजीयक कार्यालय में पेश किया और दडक़ी पत्नी भानाराम यादव के नाम फर्जी विक्रय पत्र बनवा दिया। जांच में पुलिस ने सूरज कुमार और उसके साथी प्रदीप गोयनका को गिरफ्तार किया। एएसपी के अनुसार, सूरज कुमार ने अपने आधार कार्ड में नाम और पिता का नाम एडिट किया था, लेकिन आधार नंबर ट्रेस कर पुलिस ने उसे दबोच लिया।
तीसरा मामला गुढ़ा थाना क्षेत्र के भोडक़ी गांव से सामने आया है, जहां करीब 10.09 हेक्टेयर भूमि के आधे हिस्से की रजिस्ट्री 12 जून 2020 को 'फर्जी रामप्यारी' के नाम से करवाई गई। आरोपी महिला ने आधार कार्ड दिखाकर खुद को बनवारीलाल की पत्नी बताया, जबकि असली रामप्यारी 55 साल पहले गांव छोड़ चुकी थी और अब 78 वर्ष की आयु में तोलियासर में निवास कर रही है। पुलिस जांच में न केवल अंगूठा निशान असली रामप्यारी से मेल नहीं खाया, बल्कि आधार कार्ड नंबर भी फर्जी पाया गया। जांच में यह भी सामने आया कि असली और फर्जी रामप्यारी की उम्र में 23 साल का अंतर है।
इस मामले में जमीन खरीदने वाले प्रमोद कुमार और नरेश कुमार, विक्रेता बनी फर्जी महिला रामप्यारी, गवाह मनीष कुमावत और रणजीत गुर्जर को आरोपी बनाया गया है। पूछताछ में नरेश कुमार ने बताया कि यह सौदा 50 लाख रुपये में तय करवाया गया था, जिसमें राजमनीष निवासी टोडी, गणेश गुप्ता और श्रीराम निवासी भोडक़ी शामिल थे। हालांकि अब तक फर्जी रामप्यारी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। उसकी तलाश में पुलिस ने इश्तिहार जारी कर दिया है।
इन मामलों से यह स्पष्ट हो गया है कि जिले में भू-माफिया अब संगठित रूप से सक्रिय हो चुके हैं। वे न केवल दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर रहे हैं, बल्कि सरकारी तंत्र के भीतर घुसपैठ कर कानून और व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं। पुलिस की ओर से जांच तेज कर दी गई है और पूरे नेटवर्क को उजागर करने की दिशा में प्रयास जारी हैं।