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Nagore: राजपूत समाज के बाद जाट समाज भी आया आगे, भाईचारा बिगाड़ने वालों पर रोक की मांग; 20 जून तक धारा 163 लागू

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नागौर Published by: शबाहत हुसैन Updated Thu, 05 Jun 2025 10:22 PM IST
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सार

Nagore: जयपुर में चल रहे एसआई भर्ती परीक्षा रद्द किए जाने के विरोध में धरने पर बैठे नागौर सांसद व आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल द्वारा इतिहास से जुड़ी टिप्पणी के बाद यह विवाद शुरू हुआ। इस बयान को लेकर क्षेत्रीय करणी सेना के राष्ट्रीय संस्थापक डॉ. राज शेखावत नागौर में 8 जून को स्वाभिमान सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर

Nagore: After Rajput community, Jat community also came forward
ज्ञापन सौंपा गया - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राजस्थान के नागौर जिले में प्रस्तावित क्षत्रिय स्वाभिमान अस्मिता महासम्मेलन को लेकर उपजा विवाद अब गहराता जा रहा है। पहले राजपूत समाज ने इस आयोजन पर आपत्ति जताते हुए प्रशासन से अनुमति न देने की मांग की थी। अब जाट समाज ने भी इस सम्मेलन के विरोध में जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है। दोनों समाजों ने आशंका जताई है कि इस कार्यक्रम से सामाजिक सौहार्द पर विपरीत असर पड़ सकता है और जिले की कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है।
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दरअसल, जयपुर में चल रहे एसआई भर्ती परीक्षा रद्द किए जाने के विरोध में धरने पर बैठे नागौर सांसद व आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल द्वारा इतिहास से जुड़ी टिप्पणी के बाद यह विवाद शुरू हुआ। इस बयान को लेकर क्षेत्रीय करणी सेना के राष्ट्रीय संस्थापक डॉ. राज शेखावत नागौर में 8 जून को स्वाभिमान सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं। वे लगातार जिले में घूम-घूमकर राजपूत समाज के लोगों को इसमें भाग लेने का आह्वान कर रहे हैं। दूसरी ओर, जाट समाज की ओर से भी तेजाजी महाराज की धरती “खरनाल” में एकत्र होने की अपील सोशल मीडिया पर की जा रही है, जिससे स्थिति और अधिक संवेदनशील बन गई है।
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राजपूत समाज ने किया विरोध
अमर राजपूत छात्रावास के अध्यक्ष नारायण सिंह भाटी और अमर एजुकेशनल समिति के पदाधिकारियों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन से समाजों के बीच आपसी भाईचारा प्रभावित हो सकता है। उन्होंने डॉ. शेखावत के नागौर में कार्यक्रम आयोजित करने को अनुचित ठहराते हुए कहा कि यदि वे गुजरात से हैं, तो यह आयोजन वहीं होना चाहिए। सांसद बेनीवाल के बयान की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन जिले की फिजा को बिगाड़ सकता है, अतः प्रशासन को अनुमति नहीं देनी चाहिए।

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जाट समाज ने भी सौंपा ज्ञापन
जाट समन्वय समिति, नागौर ने भी जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर सम्मेलन पर रोक लगाने की मांग की है। समिति ने बताया कि सोशल मीडिया पर जाट और राजपूत समाज के बीच तनाव फैलाने की कोशिशें की जा रही हैं। एक संगठन के पदाधिकारी द्वारा सांसद के मकान पर बुलडोजर चलाने की धमकी जैसी बातें बेहद चिंताजनक हैं। समिति ने राजपूत समाज द्वारा सौहार्द बनाए रखने की पहल का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम सामाजिक एकता के लिए मील का पत्थर हो सकता है। जाट समाज ने अपने सभी युवाओं से संयम बरतने की अपील की है और कहा है कि कोई भी ऐसा कार्य न किया जाए जिससे आपसी भाईचारे को ठेस पहुंचे।

जिला प्रशासन ने लागू की निषेधाज्ञा
दोनों समाजों के ज्ञापन और संभावित तनाव को देखते हुए नागौर के जिला कलेक्टर अरुण कुमार पुरोहित ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 के तहत 20 जून तक जिले में निषेधाज्ञा लागू कर दी है। आदेश के अनुसार जिले की संपूर्ण सीमा में किसी भी प्रकार के जुलूस, प्रदर्शन, सभा, या धरने की अनुमति नहीं होगी। कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार के हथियार, आग्नेयास्त्र या धारदार हथियार लेकर सार्वजनिक स्थलों पर नहीं घूम सकेगा। साम्प्रदायिक या जातीय भावना को भड़काने वाले नारे, भाषण, पोस्टर, सोशल मीडिया पोस्ट या प्रचार पर पूर्ण रोक रहेगी। किसी भी प्रकार के धार्मिक या जातीय उन्माद फैलाने वाले वक्तव्य, सामग्री या ऑडियो-विजुअल प्रचार पर सख्त प्रतिबंध रहेगा। बिना अनुमति के कोई भी व्यक्ति लाउडस्पीकर या ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग नहीं कर सकेगा। रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक इनका प्रयोग पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। सार्वजनिक स्थलों पर मदिरा सेवन या उसका प्रचार भी प्रतिबंधित रहेगा। यह निषेधाज्ञा विवाह, धार्मिक त्योहारों और शवयात्रा पर लागू नहीं होगी। यह आदेश 5 जून से प्रभावी हो गया है और 20 जून 2025 तक लागू रहेगा।
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