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Ganesh Chaturthi 2025: देश का एकमात्र मंदिर जहां सपरिवार मंशापूर्ण महागणपति हैं विराजित, जानें इनकी विशेषताएं
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, राजसमंद
Published by: राजसमंद ब्यूरो
Updated Tue, 26 Aug 2025 06:59 PM IST
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सार
Ganesh Chaturthi Special : राजसमंद में स्थित श्री मंशापूर्ण महागणपति मंदिर में एक ही पाषाण की शिला पर चतुर्भुजधारी भगवान गणेशजी का सुंदर रूप सबको आकर्षित करता है। रिद्धि-सिद्धि, और नीचे की ओर शुभ-लाभ, गले में सर्प स्वरूप यज्ञोपवीत व मूषक की सवारी है।

श्री मंशापूर्ण महा गणपति जी
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विस्तार
राजसमंद में प्रथम पूज्य आराध्य देव भगवान गणेशजी का श्री मंशापूर्ण महागणपति के नाम से प्राचीन मंदिर अपने आप में विशिष्ट व दुर्लभ है जो 400 साल से अधिक पुराना है। मंदिर में विराजित भगवान गणेश की विशाल पाषाण प्रतिमा भारत में दुर्लभ ही देखने को मिलती है। देशभर में गणेशजी की कई प्रकार और आकार की प्रतिमाएं हैं, जो अपने आप में विशेषताएं रखती हैं, लेकिन मंशापूर्ण महागणपति का यह मंदिर सबसे विशिष्ट है। मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता महागणपति की विशाल प्रतिमा है। एक ही पाषाण से बनी गणेशजी की यह प्रतिमा इतनी विशाल है कि सीढ़ियों के सहारे ही गणेशजी की पूजा-अर्चना संभव हो पाती है। सवा नौ फीट ऊंची यह प्रतिमा सम्पूर्ण गणेश परिवार को समाहित करती है। एक ही पाषाण पर गणेश परिवार के साथ कई विशेषताओं के कारण महागणपति की यह प्रतिमा विश्व में अद्वितीय है।
सवा नौ फीट ऊंची प्रतिमा की यह है विशेषता
मंदिर के पुजारी गोपाल श्रोत्रिय के अनुसार राजसमंद जिला मुख्यालय पर नौचौकी मार्ग पर स्थित श्री मंशापूर्ण महागणपति मंदिर में एक ही पाषाण की शिला पर चतुर्भुजधारी भगवान गणेशजी के साथ रिद्धि-सिद्धि, और नीचे की ओर शुभ-लाभ, गले में सर्प स्वरूप यज्ञोपवीत व मूषक की सवारी है। भगवान गणेशजी का दाहिना पाँव आगे की ओर निकला हुआ है, जो सदैव भक्तों के कार्य सिद्धि व मनोकामना पूर्ण करने का संकेत है। यही नहीं, चतुर्भुजधारी वृहद हस्त से भक्तों को आशीर्वाद दे रहे हैं, दूसरे हाथ में लड्डू, तीसरे हाथ में फरसा व चौथे हाथ में अंकुश है। सभी विशेषताएँ गणेश की प्रतिमा में मौजूद हैं। भगवान गणेश के इस मंदिर में भक्तों की मनोकामनाएँ हमेशा पूर्ण होती हैं, यही कारण है कि यह मंदिर मंशापूर्ण महागणपति के नाम से प्रसिद्ध है।
पांच दिवसीय गणेश महोत्सव
महागणपति का दाहिना पांव आगे की ओर निकला हुआ है जो सदैव भक्तों के कार्य सिद्ध करता है, साथ ही चतुर्भुजधारी का एक हाथ भक्तों को आशीर्वाद दे रहा है। राजसमंद जिला मुख्यालय पर पांच दिवसीय गणेश महोत्सव के दौरान प्रदेश सहित देश के अनेक राज्यों से मंशापूर्ण महागणपति जी के भक्त यहां पहुंचते हैं और दर्शन करके अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।

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मंदिर के पुजारी गोपाल श्रोत्रिय के अनुसार राजसमंद जिला मुख्यालय पर नौचौकी मार्ग पर स्थित श्री मंशापूर्ण महागणपति मंदिर में एक ही पाषाण की शिला पर चतुर्भुजधारी भगवान गणेशजी के साथ रिद्धि-सिद्धि, और नीचे की ओर शुभ-लाभ, गले में सर्प स्वरूप यज्ञोपवीत व मूषक की सवारी है। भगवान गणेशजी का दाहिना पाँव आगे की ओर निकला हुआ है, जो सदैव भक्तों के कार्य सिद्धि व मनोकामना पूर्ण करने का संकेत है। यही नहीं, चतुर्भुजधारी वृहद हस्त से भक्तों को आशीर्वाद दे रहे हैं, दूसरे हाथ में लड्डू, तीसरे हाथ में फरसा व चौथे हाथ में अंकुश है। सभी विशेषताएँ गणेश की प्रतिमा में मौजूद हैं। भगवान गणेश के इस मंदिर में भक्तों की मनोकामनाएँ हमेशा पूर्ण होती हैं, यही कारण है कि यह मंदिर मंशापूर्ण महागणपति के नाम से प्रसिद्ध है।
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पांच दिवसीय गणेश महोत्सव
महागणपति का दाहिना पांव आगे की ओर निकला हुआ है जो सदैव भक्तों के कार्य सिद्ध करता है, साथ ही चतुर्भुजधारी का एक हाथ भक्तों को आशीर्वाद दे रहा है। राजसमंद जिला मुख्यालय पर पांच दिवसीय गणेश महोत्सव के दौरान प्रदेश सहित देश के अनेक राज्यों से मंशापूर्ण महागणपति जी के भक्त यहां पहुंचते हैं और दर्शन करके अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
श्री मंशापूर्ण महा गणपति जी
श्री मंशापूर्ण महा गणपति जी
श्री मंशापूर्ण महा गणपति जी