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First Crochet Christmas Tree: 25 महिलाओं ने ऊन से बुन दिया गोवा का पहला क्रोशेट क्रिसमस ट्री
लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला
Published by: शिवानी अवस्थी
Updated Tue, 23 Dec 2025 05:07 PM IST
सार
किसी बड़ी कंपनी का फंड, ना किसी लग्ज़री ब्रांड का नाम, बस 25 भारतीय महिलाओं ने ऊन की गांठें, सुईयां और एक साझा सपने के साथ क्रोशिया का क्रिसमस ट्री बुन दिया।
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गोवा में पहला क्रोशेट क्रिसमस ट्री
- फोटो : Instagram
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विस्तार
गोवा क्रिसमस और नए साल के शानदार जश्न के लिए मशहूर है। यहां कई ऐतिहासिक चर्च हैं तो वहीं क्रूज और बीच पार्टी पर्यटकों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहती है। लेकिन इस बार क्रिसमस पर सिर्फ गोवा के चर्च या पार्टी नहीं, बल्कि क्रिसमस ट्री भी चर्चा में है। वजह है ही खास, क्योंकि गोवा में इस साल क्रिसमस ट्री खरीदा नहीं गया, बुना गया है। ना किसी बड़ी कंपनी का फंड, ना किसी लग्ज़री ब्रांड का नाम, बस 25 भारतीय महिलाओं ने ऊन की गांठें, सुईयां और एक साझा सपने के साथ क्रोशिया का क्रिसमस ट्री बुन दिया।
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इस क्रिसमस ट्री को Museum of Goa (MoG) में रखा गया है जो कि 18 फीट ऊंचा है। यह महिलाओं की सामूहिक मेहनत, आपसी भरोसे और विरासत में मिली कला का जीवित प्रतीक है।
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कैसे बुना क्रिसमस ट्री
इस पहल के पीछे है क्रोसेट कलेक्टिव नाम का समूह शामिल है, जिसकी सह-स्थापना कलाकार शीना परेरा, शर्मिला मजूमदार और सोफी सिवरामन ने की। इस ग्रुप का उद्देश्य साफ था, क्रिसमस के मूल भाव खुशी, शांति, प्रेम और उम्मीद को किसी अलग रूप में सामने लाना। लेकिन यह प्रोजेक्ट जल्द ही एक आर्ट इंस्टॉलेशन से कहीं बड़ा आंदोलन बन गया।
क्रोसेट क्रिसमस ट्री क्यों है खास
ऊन से बने इस क्रिसमस ट्री को तैयार करने में तीन महीने का वक्त लगा। गोवा के अलग-अलग हिस्सों से जुड़ी 25 महिलाओं ने 1000 स्क्वेयर का 18 फीट ऊंचा पेड़ बुना। इस सामुहिक कार्य में लगीं ज्यादातर महिलाएं एक-दूसरे को जानती तक नहीं थीं। कोई रोज़गार में व्यस्त, कोई गृहिणी तो कोई कलाकार था। तीन महीने तक ये महिलाएं अपने-अपने घरों में बैठकर क्रोशिया करती रहीं, फिर चाहे बिजली कटे या मानसून की नमी से जूझना पड़ा हो।
इस दौरान हर महीने में वे आपस में किसी एक के घर पर मिलतीं और चाय नाश्ते के साथ अपनी अपनी कहानियां शेयर करतीं। ऊन की हर गांठ के साथ, अजनबी महिलाएं एक-दूसरे की साथी बनती चली गईं।
जब पहली बार आमने-सामने आईं 25 महिलाएं
जब ट्री को असेंबल करने का वक्त आया, तब ये महिलाएं पहली बार एक साथ मिलीं। उनके हाथों में थे 1000 यूनिक स्क्वेयर, हर एक अलग जैसे उनकी ज़िंदगी। इन स्क्वेयर को मेटल फ्रेम पर परत-दर-परत चढ़ाया गया। इसमें न तो कोई पैटर्न तय था और ना ही कोई परफेक्शन था। क्योंकि ज़िंदगी भी ऐसी ही होती है अपूर्ण, असमान, लेकिन खूबसूरत। यह कहानी बताती है कि महिलाएं जब साथ आती हैं, तो कला भी सामूहिक हो जाती है।
अगर आप गोवा जा रहे हैं तो 18 जनवरी तक इसका प्रदर्शन गोवा म्यूजियम में हो रहा है, जहां आप क्रोशिया से बने इस क्रिसमस ट्री को देख सकते हैं।

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