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Himachal News: प्रदेश की सहकारी समितियों को लाभांश का तीन फीसदी देना होगा एजुकेशन फंड

अमर उजाला ब्यूरो, शिमला Published by: अरविन्द ठाकुर Updated Sat, 30 Dec 2023 01:22 PM IST
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सार

प्रदेश में 5,247 सहकारी समितियां पंजीकृत हैं। अगले वर्ष से एजुकेशन फंड लिए जाने का प्रावधान किया गया है।

Cooperative societies of himachal will give three percent of dividend to education fund
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : अमर उजाला
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हिमाचल में अब सहकारी समितियों को अपने शुद्ध लाभांश का तीन फीसदी एजुकेशन फंड चुकाना पड़ेगा। राज्य सरकार ने को-ऑपरेटिव सोसायटी नियम 1971 के उपनियमों में संशोधन कर दिया है। पहली बार सहकारी समितियों से एजुकेशन फंड लेने का फैसला लिया गया है। नियमों और उपनियमों में किए गए संशोधन प्रस्ताव पर आम जनता को आपत्तियां दर्ज करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है।

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सुझाव और आपत्तियों पर गौर करने के बाद सहकारिता विभाग की ओर से राजपत्र में इस बाबत अधिसूचना जारी की जाएगी। प्रदेश में 5,247 सहकारी समितियां पंजीकृत हैं। अगले वर्ष से एजुकेशन फंड लिए जाने का प्रावधान किया गया है। शुक्रवार को सहकारिता विभाग ने राजपत्र में अधिसूचित संशोधित प्रस्ताव में बताया कि अब प्रदेश में पंजीकृत प्रत्येक सहकारी समिति सहकारी शिक्षा निधि में योगदान करेगी।
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हर समिति को शुद्ध लाभ के तीन प्रतिशत की दर से इस निधि में योगदान करना होगा। फंड को समितियां अपने स्तर पर खर्च भी नहीं कर सकेंगी। इसके लिए रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव सोसायटी से मंजूरी लेना अनिवार्य रहेगा। वहीं, 15 हजार रुपये से अधिक मासिक वेतन पर अधिकारी और कर्मचारी की नियुक्ति के लिए भी पहले रजिस्ट्रार से अनुमति लेनी होगी। 

इनसे लिया जाएगा एजुकेशन फंड 
हिमाचल प्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक, एआरडीबी, हिमफेड, हिम बुनकर, एचपी मिल्कफेड, कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, जोगिंद्रा बैंक, हिमकैप्स आदि सोसायटी एक्ट के तहत पंजीकृत हैं। इनसे संस्थाओं से एजुकेशन फंड लिया जाएगा।

नियमों में सहकारी शिक्षा निधि के गठन का प्रावधान 
नियमों में सहकारी शिक्षा निधि का गठन करने का प्रावधान किया गया है। निधि में योगदान प्रत्येक पंजीकृत सोसायटी द्वारा रुपये की दर से किया जाएगा। एक वर्ष में काम से प्राप्त शुद्ध लाभ का 300 रुपये या तीन फीसदी जो भी अधिकतम होगा, दिया जाना होगा।

3 फीसदी सहकारी शिक्षा निधि में से एक फीसदी सहकारी विकास महासंघ की ओर से प्रशासित किया जाएगा। दो फीसदी सहकारी समितियों की ओर से अपने स्तर पर प्रशासित किया जाएगा। लाभ के अधिकतम तीन फीसदी से अधिक का योगदान करने की इच्छुक कोई भी समिति रजिस्ट्रार की पूर्व अनुमति से ऐसा कर सकेगी लेकिन यह किसी भी तरह से वर्ष के शुद्ध लाभ के पांच फीसदी से अधिक नहीं होगा।

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