Flood In Himachal: खड्डों-नालों के किनारे बसे हैं लोग, तबाही तो झेलनी ही होगी, बहुमंजिला भवन कर दिए हैं खड़े
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश ने तबाही मचा दी। कहीं न कहीं हम और आप भी इस तबाही के लिए जिम्मेदार हैं। हमने साल बाद भी सबक नहीं लिया। पर्यावरण विशेषज्ञ इसके लिए कुछ कारणों को जिम्मेवार ठहराते हैं। इनमें कई कारण हैं। पढ़ें पूरी खबर...

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हिमाचल प्रदेश में नियमों को ताक पर रखकर खड्डों, नालों और नदियों के किनारे लोग बसे हुए हैं। ऐसे में जब भारी बारिश होती है या बादल फटते हैं तो हमें तबाही के लिए तो जहनी तौर पर तैयार रहना होगा। भारी मात्रा में एकत्रित हुआ पानी जब संकरे खड्डों-नालों से जाता है तो जान-माल का भारी नुकसान होता है। पिछले साल भी प्रकृति का तांडव देखा गया जो पूरी बरसात में रहा। हमने साल बाद भी सबक नहीं लिया। भविष्य के लिए नियम तो बनाए पर बन चुके भवनों के बारे में किसी ने नहीं सोचा। पर्यावरण विशेषज्ञ इसके लिए कुछ कारणों को जिम्मेवार ठहराते हैं। इनमें कई कारण हैं। मसलन पहाड़ों की सीधी कटाई, अवैज्ञानिक व अंधाधुंध निर्माण, पेड़ों का कटान, नदियों में मलबा, अत्यधिक ब्लास्ट, ड्रेनेज सिस्टम का नहीं होना और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से असंतुलित वर्षा हो रही है।

नदी-नालों के किनारे बेहिसाब आबादी बस गई है। बहुमंजिला भवन खड़े किए गए हैं। क्षमता से अधिक घर बनाए जा रहे हैं। बिना जांच किए कच्ची मिट्टी पर निर्माण हो रहा है। सड़कों के लिए पहाड़ों की 90 डिग्री एंगल की वर्टिकल कटिंग तबाही का कारण बन रहा है। खड़ी कटाई से बचना हो तो इसके लिए ज्यादा जमीन जरूरी होती है। जितनी जमीन जरूरी होती है, उतना अधिग्रहण करना आसान नहीं है। बेतरतीब निर्माण से शहर तो कंक्रीट के जंगल बन चुके हैं। बड़ी कंपनियां छोटे-छोटे कार्य अनुभवहीन ठेकेदारों को देती हैं। अंधाधुंध पेड़ कटान भी इसका बड़ा कारण है। सड़कों और नदी-नालों के किनारे मलबा अवैध रूप से डंप किया जा रहा है। खड्डों और नालों में तय मानकों से अधिक अवैध खनन हो रहा है। बिजली प्रोजेक्ट लगाने के लिए पहाड़ों को छलनी किया जा रहा है और नदियों का पानी सुरंगों से गुजारा जा रहा है। कंक्रीट के जंगल तो बनाए गए, पर ड्रेनेज प्रणाली नहीं बनी है। ज्यादा बारिश होने पर पानी को जहां से रास्ता मिलता है, वहीं से बहाव तेज हो रहा है और मकान ढह जाते हैं। ग्लोबल वार्मिंग भी अत्यधिक बारिश की वजह है।
रात के समय सजग रहे नालों के आसपास रहने वाले लोग : राणा
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के निदेशक एवं विशेष सचिव डीसी राणा ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमाचल में प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं। नालों के आसपास अधिक नुकसान हुआ है। आपदा के खतरे के मद्देनजर लोगों को एहतियात बरतनी चाहिए। विशेषकर नालों के आसपास जिनके घर हैं, वह रात में बेफिक्र होकर न सोएं। सजग रहने पर जानी नुकसान टाला जा सकता है। बुधवार रात बादल फटने के कारण अधिक नुकसान हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में असामान्य बारिश के कारण तबाही हुई है। ऐसे इलाके जो सुरक्षित माने जा रहे थे वह भी खतरे की जद में आ गए हैं।