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हिमाचल: सीएम सुक्खू बोले- प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ा रुझान, 2,22,893 किसान जुड़े
अमर उजाला ब्यूरो, शिमला।
Published by: Krishan Singh
Updated Tue, 16 Sep 2025 05:41 PM IST
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सार
3,584 पंचायतों में, 2,22,893 से अधिक किसान 38,437 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक रूप से विभिन्न प्रकार की फसलें उगा रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि प्राकृतिक खेती की ओर से किसानों का रुझान बढ़ा है। 3,584 पंचायतों में, 2,22,893 से अधिक किसान 38,437 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक रूप से विभिन्न प्रकार की फसलें उगा रहे हैं। सरकार प्राकृतिक पद्धति से तैयार उत्पादों के लिए देश में सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य भी दे रही है। मंगलवार को सीएम सुक्खू ने कहा कि 3.06 लाख किसानों और बागवानों को प्राकृतिक खेती पद्धति का प्रशिक्षण दिया गया है।

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सरकार ने वर्ष 2025-26 तक एक लाख नए किसानों को इस पहल से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। अब तक 88 विकास खंडों के 59,068 किसानों और बागवानों ने कृषि विभाग में पंजीकरण फार्म जमा करवा दिए हैं। सरकार की इस पहल से अब उपभोक्ता रसायनमुक्त उत्पादों की ओर आकर्षित हो रहे हैं और बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए बड़ी संख्या में किसान इस पद्धति को अपना रहे हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य सरकार प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई गई मक्की के लिए 40 रुपये प्रति किलोग्राम, गेहूं के लिए 60 रुपये, कच्ची हल्दी के लिए 90 रुपये प्रति किलोग्राम और पांगी क्षेत्र में उगाई गई जौ के लिए 60 रुपये प्रति किलोग्राम का न्यूनतम समर्थन मूल्य दे रही है।
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पिछले सीजन में सरकार ने 10 जिलों के 1,509 किसानों से 399 मीट्रिक टन मक्की की खरीद की और उन्हें 1.40 करोड़ रुपये का भुगतान किया। इस वर्ष राज्य सरकार ने 10 जिलों से 2,123 क्विंटल गेहूं खरीदा है और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से किसानों को 1.31 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं। छह जिलों में प्राकृतिक रूप से उगाई गई 127.2 क्विंटल कच्ची हल्दी की खरीद के लिए किसानों को 11.44 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। सुक्खू ने कहा कि प्राकृतिक उत्पादों की बिक्री में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने एक अभिनव स्व-प्रमाणन प्रणाली शुरू की है, जिसके तहत 1,96,892 किसानों को पहले ही प्रमाणित किया जा चुका है। इन पहलों के साथ हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती में एक राष्ट्रीय मॉडल के रूप में उभर रहा है।