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Himachal High Court: नेताओं के डीओ नोट पर सरकारी वकीलों के तबादलों पर रोक
अमर उजाला ब्यूरो, शिमला
Published by: Krishan Singh
Updated Wed, 06 Jul 2022 09:06 PM IST
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सार
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सभी सरकारी वकीलों के डीओ (अर्धशास्कीय आदेश) आधार पर तबादले करने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है।

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सभी सरकारी वकीलों के डीओ (अर्धशास्कीय आदेश) आधार पर तबादले करने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब से जो भी ऐसे तबादले होंगे, उन्हें तबादला नीति का अक्षरश: अनुपालना करते हुए किया जाए। कोर्ट ने अधिकांश लोक अभियोजक, सहायक जिला अटार्नी और जिला अटार्नी के तबादला आदेश डीओ नोट पर आधारित होने पर चिंता जताते हुए यह आदेश पारित किए।

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न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश चंद्र भूषण बारोवालिया की खंडपीठ ने लोक अभियोजक तरसेम कुमार की ओर से दायर याचिका का निपटारा करते हुए ये आदेश पारित किए। कोर्ट ने मामले के सभी तथ्यों और पहलुओं का अवलोकन करने पर पाया कि याचिकाकर्ता और निजी प्रतिवादी दोनों ही राजनेताओं की ओर से जारी डीओ नोट के लाभार्थी हैं। ऐसे में कोर्ट ने उन्हें कांगड़ा जिले से बाहर स्थानांतरित करने के आदेश दिए।
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लोक अभियोजक के कार्य और आचरण पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि लोक अभियोजक उच्च सम्मान का एक वैधानिक पद धारण करता है। जांच एजेंसी के एक हिस्से की जगह वे एक स्वतंत्र वैधानिक प्राधिकरण भी हैं। लोक अभियोजक की भूमिका निष्पक्ष सुनवाई के लिए आंतरिक रूप से समर्पित होती है। यह अच्छा नहीं होगा कि इन वकीलों को राजनेताओं के साथ मिलनसार या जनता के साथ मेलजोल करते देखा जाए।
कोर्ट ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता और निजी प्रतिवादी दोनों ने विभाग के कामकाज और नैतिक आचरण बारे में अनभिज्ञता जाहिर की है। इससे यह आभास होता है कि ऐसे लोक अभियोजक जिन्हें अब सेवा में शामिल किया जा रहा है, शायद बिल्कुल भी जागरूक नहीं हैं। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि पिछले 15 वर्षों से सेवा में शामिल सभी लोक अभियोजकों को एक रिफ्रेशर कोर्स से गुजरना चाहिए। जिसमें नैतिकता और आचरण पर विशेष जोर दिया गया हो। कोर्ट ने यह कोर्स हिमाचल प्रदेश न्यायिक अकादमी शिमला में दो माह के भीतर करवाने के आदेश दिए।