HP Apple Orchards: हिमाचल में सेब बगीचों का असल क्षेत्र कुछ और, कागजों में अलग
प्रदेश में सेब के बगीचों के तहत असल क्षेत्र कुछ और है, जबकि यह कागजों में कुछ और। राज्य में सेब बागवानी का वास्तविक क्षेत्र सिमट गया है।
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हिमाचल प्रदेश में सेब के बगीचों के तहत असल क्षेत्र कुछ और है, जबकि यह कागजों में कुछ और। राज्य में सेब बागवानी का वास्तविक क्षेत्र सिमट गया है। यहां सेब बागवानी का क्षेत्र 1,16000 हेक्टेयर बताया जाता है, जबकि यह घटकर अब 70 से 80 हजार के बीच रह गया है। यह दावा डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. विजय सिंह ठाकुर ने किया है। उन्होंने इन आंकड़ों को भ्रामक बताते हुए इन्हें दुरुस्त करने की जरूरत जताई है।
डॉ. विजय अपनी बात विभागीय अधिकारियों तक भी पहुंचा चुके हैं। लेकिन इस संबंध में गौर नहीं किया गया है। डॉ. ठाकुर का कहना है कि राज्य में 1982 में जब स्कैब आया तो प्रदेश में 48,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सेब के बगीचे होने की बात की गई थी। उस समय पहली बार सेब का पूरा रकबा रिकॉर्ड में आया। मगर 2025 में भी यह क्षेत्र रिकॉर्ड में बगीचों वाला ही है, जबकि 40 से 45 साल के बाद सेब के बगीचे खत्म हो जाते हैं। जहां बगीचे खत्म हुए हैं, वहां पर सेब के पेड़ों को दोबारा से उगाना बड़ी चुनौती बना है।
डॉ. विजय ने कहा कि राजगढ़ में कभी 13,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सेब होता था। आज वहां पर नाममात्र के सेब बगीचे हैं। इसे आडू की वेली के रूप में जाना जाता है। इस तरह से प्रदेश में यह आकलन भी गलत किया जा रहा है कि यहां पर सात से आठ टन प्रति हेक्टेयर सेब की पैदावार होती है, जबकि प्रति हेक्टेयर पैदावार का यह आंकड़ा इससे ज्यादा है। पूर्व कुलपति ने कहा है कि इस बारे में विभाग को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और लोगों के सामने सही तथ्य रखने चाहिए। उच्च घनत्व और अन्य हाईटेक तरीकों से किए जा रहे पौधरोपण से सेब बागवानी वाले क्षेत्र बढ़े हैं, लेकिन यह बढ़ोतरी बहुत अधिक नहीं हुई है।
बागवानी का क्षेत्र बढ़ा, आंकड़ों को दुरुस्त करने की जरूरत
बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में शिवा परियोजना समेत कई अन्य परियोजनाओं को लागू करने से उद्यान क्षेत्र का विस्तार हुआ है। पूर्व कुलपति डॉ. विजय सिंह ठाकुर की ओर से बागवानी क्षेत्र से संबंधित आंकड़ों पर उठाए गए सवाल पर बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि फिर से आंकड़ों को ठीक किए जाने की जरूरत है। विभाग इस दिशा में काम कर रहा है।