Himachal: पहाड़ी राज्यों में जमा हजारों साल पुराना कार्बन हिमालयी क्षेत्रों के लिए चुनाैती, कार्यशाला में जताई
पहाड़ी राज्यों में वेटलैंड केे आसपास बन रही पीटलैंड में हजारों साल पुराना कार्बन संचित है, जो हिमालयी क्षेत्रों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
 
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हिमाचल समेत अन्य पहाड़ी राज्यों में वेटलैंड केे आसपास बन रही पीटलैंड में हजारों साल पुराना कार्बन संचित है, जो हिमालयी क्षेत्रों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। पीटलैंड में थर्मल पावर से भी कई गुना ग्रीन हाउस गैसाें का उत्सर्जन हो सकता है। अगर इन पीटलैंड में कार्बनिक पदार्थ पानी में डूबे नहीं रहते हैं और जल स्तर नीचे जाता है तो ये ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करेंगे। इससे हिमालय क्षेत्र में तापमान में वृद्धि होगी, जो तेजी से जलवायु परिवर्तन का कारण बनेगी। यह चिंता नौ राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्र सरकार, अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों की शिमला में हुई उत्तर भारत स्तर की कार्यशाला में जाहिर की गई। जरूरत जताई गई कि वेटलैंड के संरक्षण की तरह ही पीटलैंड के उपचार की भी बड़ी जरूरत है। विशेषज्ञों ने कहा कि पीटलैंड को पानी के अंदर डुबाकर रखना बहुत जरूरी है। यह तभी होगा जब वेटलैंड में जलस्तर ठीक ठाक रहेगा।
 
दो दिवसीय कार्यशाला में देश भर के प्रतिनिधि और विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। शुक्रवार को ये विशेषज्ञ रेणुका झील की वेटलैंड का निरीक्षण करेंगे। वेटलैंड इंटरनेशनल संस्था के प्रतिनिधि डॉ. रितेश कुमार ने कहा कि पीटलैंड पर खड़े हाेते हैं तो लगता है कि साेफे पर खड़े हो गए हैं। नीचे दलदली मिट्टी होती है, उसमें हजारों वर्षों से कार्बन इकट्ठा होता है। पानी कम हो गया तो यह कार्बन कार्बनडाइऑक्साइड बनकर ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन करता है। चंद्रताल के पास बहुत बड़ा पीटलैंड देखा गया है। हिमालय क्षेत्र में बहुत सारे पीटलैंड बन गए हैं। यूरोप में बहुत सारे पीटलैंड हैं, मगर वहां इनका उपचार किया जा रहा है। भारत में इन पर बहुत काम करना बाकी है। इस पर बहुत सावधानी से काम करने जरूरत है। हिमाचल की खजियार झील में भी इस संबंध में गलती हो चुकी है, वहां पानी का स्तर बहुत कम हो गया है।
राज्य में 197 बड़े, 2343 छोटे वेटलैंड तालाबों और झीलों के रूप में
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                - वेटलैंड से एक जगह पर तालाब या झील के रूप में पानी के रुकने से बनते हैं। हिमाचल प्रदेश राज्य वेटलैंड अथाॅरिटी के संयुक्त सदस्य सचिव डॉ. सुरेश कुमार अत्री ने कहा कि राज्य में 197 बड़े वेटलैंड हैं। पौंगडैम, रेणुका और चंद्रताल को अंतरराष्ट्रीय स्तर का दर्जा प्राप्त हैं। इन्हें रामसर साइट्स कहते हैं। दो राष्ट्रीय स्तर के दो वेटलैंड रिवालसर और खज्जियार हैं। इसके अलावा छोटे तालाबों और झीलों की संख्या 2343 हैं। यह ऊंचे क्षेत्रों में भी हैं और निचले इलाकों में भी हैं। इनके संरक्षण की जरूरत है। इसी पर मंत्रणा के लिए उत्तर भारत के नौ राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि इस कार्यशाला में भाग ले रहे हैं।
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                 
