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Himachal: पितृत्व अवकाश एक मौलिक अधिकार, अनुबंध कर्मियों को भी मिले लाभ, हाईकोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला

संवाद न्यूज एजेंसी, शिमला Published by: Krishan Singh Updated Sat, 21 Jun 2025 10:41 AM IST
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सार

न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने तकनीकी शिक्षा व्यावसायिक एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग के उन सभी आदेशों को रद्द कर दिया, जिसमें उन्हें पितृत्व अवकाश देने से मना किया था।
 

Paternity leave is a fundamental right, contract workers should also get benefits, High Court gives important
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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हिमाचल हाईकोर्ट ने नियमित की तरह अनुबंध कर्मियों को भी पितृत्व अवकाश देने का महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि पितृत्व अवकाश एक मौलिक अधिकार है। इसके लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता। न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने तकनीकी शिक्षा व्यावसायिक एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग के उन सभी आदेशों को रद्द कर दिया, जिसमें उन्हें पितृत्व अवकाश देने से मना किया था। कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि संबंधित नियमों में अनुबंध के आधार पर कार्यरत पुरुष कर्मचारियों को पितृत्व अवकाश का प्रावधान शामिल करें।

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अदालत ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को इस आदेश की सूचना संबंधित विभाग तक पहुंचाने और दो महीने के भीतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। अदालत ने निर्देश दिए हैं कि 31 जुलाई 2024 से 14 अगस्त 2024 तक याचिकाकर्ता की ओर से लिए अवकाश को पितृत्व अवकाश माना जाए। कोर्ट ने फैसले में कहा कि जब बच्चे का जन्म हुआ तब याचिकाकर्ता अनुबंध पर था, लेकिन जब उसने पितृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया, तब तक वह नियमित भी हो चुका था। इसके अलावा नियम 43-ए पितृत्व अवकाश के संबंध में प्रावधान करता है कि दो से कम बच्चों वाले पुरुष सरकारी कर्मचारी को बच्चे के जन्म से 15 दिन पहले या छह महीने के भीतर 15 दिनों का पितृत्व अवकाश दिया जा सकता है।
 

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धर्मपुर में पेड़ों के अवैध कटान पर विधायक को हाईकोर्ट का नोटिस
 हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंडी जिले के धर्मपुर में पेड़ों के अवैध कटान पर विधायक चंद्रशेखर और उनकी पत्नी कविता शेखर को नोटिस जारी किया है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने केंद्र सरकार सहित सभी छह प्रतिवादियों को 8 अगस्त तक इस मामले में अपना जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं। याचिका में बताया गया है कि धर्मपुर क्षेत्र में जो पेड़ काटे दिखाए गए है, वह हकीकत में वहीं पर मौजूद हैं। यह जानकारी याचिका में शपथपत्र के माध्यम से लोगों ने कोर्ट में दी है। याचिका में बताया गया है कि आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों से पता चला है कि कंपनी ने जिस खसरा नंबर पर पेड़ काटे दिखाए हैं, उस खसरा नंबर पर वृक्ष मौजूद हैं।

कंपनी ने झूठे दस्तावेज दिखाकर आम लोगों को फंसाया है। याचिकाकर्ता ने अदालत से मामले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी से कराने की भी मांग की है। याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, हिमाचल प्रदेश सरकार के वन सचिव और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), प्रधान मुख्य वन संरक्षक हिमाचल प्रदेश, मंडलीय वन अधिकारी जोगिंद्रनगर सहित चंद्रशेखर और पत्नी कविता को पार्टी बनाया है। बता दें कि जिस कंपनी ने ये पेड़ काटे हैं, वह धर्मपुर के विधायक चंद्रशेखर की पत्नी कविता के नाम पर है। विधायक चंद्रशेखर और कविता इस कंपनी के निदेशक हैं। याचिकाकर्ता की जमीन पर काटे गए करीब 47 पेड़ दिखाए गए हैं, जबकि हकीकत में मौजूद हैं।

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