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Shimla: संजौली के न्यू डायमंड स्वीट्स बेकरी रेस्टोरेंट को देना होगा मुआवजा, उपभोक्ता को भेजा था खराब शाही पनीर

दीपक मेहता, संवाद न्यूज एजेंसी, शिमला Published by: शिमला ब्यूरो Updated Fri, 17 Oct 2025 03:07 PM IST
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सार

जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने न्यू डायमंड स्वीट्स बेकरी रेस्टोरेंट संजौली को उपभोक्ता से अधिक वसूली और घटिया भोजन परोसने का दोषी ठहराया है।

Restaurant management will have to pay compensation for serving bad Shahi Paneer.
सांकेतिक तस्वीर। - फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
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जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने न्यू डायमंड स्वीट्स बेकरी रेस्टोरेंट संजौली को उपभोक्ता से अधिक वसूली और घटिया भोजन परोसने का दोषी ठहराया है। आयोग ने आदेश दिया है कि रेस्टोरेंट प्रबंधन, शिकायतकर्ता को 351 रुपये वापस करे और मानसिक उत्पीड़न तथा मुकदमेबाजी खर्च का 5,000 रुपये मुआवजा भी दे।

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आयोग ने यह आदेश निशा सिंह सेन बनाम न्यू डायमंड स्वीट्स बेकरी रेस्टोरेंट मामले में सुनाया। शिकायतकर्ता निशा सिंह सेन निवासी न्यू ढली ने शिकायत की थी कि उन्होंने 31 दिसंबर 2024 को रेस्टोरेंट का ऑनलाइन मैन्यू देखकर शाही पनीर और छह गुलाब जामुन का ऑर्डर दिया था। मैन्यू के अनुसार शाही पनीर की कीमत 220 रुपये और गुलाब जामुन की कीमत 30 रुपये प्रति पीस थी लेकिन डिलीवरी के समय बिल में उनसे 540 रुपये वसूले गए।
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यानी शाही पनीर के 300 रुपये और गुलाब जामुन के छह टुकड़ों के 240 रुपये। शिकायतकर्ता का आरोप था कि शाही पनीर खाने योग्य नहीं था उसमें से अजीब गंध आ रही थी और गुणवत्ता बेहद खराब थी। वह वास्तव में सूखे नारियल का पाउडर और मसालों में पका हुआ पनीर के कुछ टुकड़े थे, जिन्हें सूखे नारियल की पावर करी कहा जा सकता है। शिकायतकर्ता ने तुरंत रेस्टोरेंट प्रबंधन को फोन पर शिकायत की। 1 और 3 जनवरी को दोबारा संपर्क किया लेकिन कोई समाधान नहीं मिला।

कानूनी नोटिस देने के बाद भी रेस्टोरेंट ने कोई जवाब नहीं दिया। आयोग की ओर से नोटिस जारी होने के बावजूद विपक्षी पक्ष पेश नहीं हुआ। इस पर आयोग ने 3 जुलाई 2025 को एकपक्षीय कार्यवाही करते हुए निर्णय सुनाया। आयोग के अध्यक्ष डॉ. बलदेव सिंह और सदस्य निधि शर्मा ने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता के साक्ष्य और दस्तावेज (मैन्यू, बिल और नोटिस) स्पष्ट रूप से साबित करते हैं कि रेस्टोरेंट ने मैन्यू दरों से अधिक राशि वसूली और मानक गुणवत्ता का भोजन नहीं दिया। आयोग ने इसे सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार माना। आदेश दिया कि रेस्टोरेंट 45 दिन के भीतर आदेश का पालन करें।
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