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Year Ender 2023: बरसात में बड़ा झटका खाया, घावों पर मलहम तो लगा पर जख्म भरे नहीं

अमर उजाला ब्यूरो, शिमला Published by: अरविन्द ठाकुर Updated Sat, 30 Dec 2023 12:23 PM IST
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Year Ender 2023: Himachal Pradesh one of the worst disasters in July 2023 275 lost their lives
फाइल फोटो - फोटो : संवाद
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मानसून की बारिश ने इस बार हिमाचल में भीषण तांडव मचाया। आपदा से 450 से अधिक लोगों की जानें चली गईं और प्रदेश को करीब 13,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। ताश के पत्तों की तरह मकान ढह गए, जिससे हजारों लोग बेघर हो गए। आपदा के सताए लोग अब तक दूसरों के मकानों में आसरा लिए हैं। ढही गौशालाएं अब तक नहीं बन पाई हैं। दर्जनों सड़कें अभी तक बंद हैं। जो खुल गई हैं, उनकी हालत भी ऐसी है कि अगली बरसात में फिर ढह सकती हैं।

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आपदा के बाद से कुल्लू-मनाली में होटल और होम स्टे पर ताले लग गए थे और हजारों लोग बेरोजगार हो गए। इतना सब कुछ होने के बावजूद प्रदेश फिर उठ खड़ा हुआ है। सड़कें बहाल होने के बाद सैलानी हिमाचल पहुंचने शुरू हो गए हैं। आपदा के बाद क्रिसमस पर पहली बार पांच लाख से अधिक सैलानी घूमने के लिए हिमाचल पहुंचे।
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मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बिलासपुर, हमीरपुर, सोलन और ठियोग सहित अन्य जिलों में आपदा प्रभावितों को राहत राशि के तौर पर करोड़ों रुपये के चेक वितरित कर दिए हैं। प्रदेश सरकार की कोशिशों से आपदा के घावों पर मलहम तो लगा है, पर जख्म अभी पूरी तरह से भर नहीं पाए।

कुल्लू में 565 घर पूरी तरह से हुए क्षतिग्रस्त

कुल्लू घाटी पर 10 जुलाई को मौसम कहर बनकर टूटा। ब्यास, पार्वती नदी में भयानक बाढ़ से मनाली, पारला भुंतर, मणिकर्ण व सैंज में भारी नुकसान हुआ। कुल्लू में आपदा से 565 घर क्षतिग्रस्त हुए, 2,439 मकानों को आंशिक नुकसान पहुंचा। 559 गोशालाएं, 570 व्यावसायिक परिसर, कृषि व बागवानी योग्य 1850 बीघा भूमि बह गई। कुल्लू से पलचान तक सात जगहों पर 200 से 700 मीटर हाईवे का नामोनिशान मिट गया था।

अब एनएचएआई ने कुल्लू-मनाली तक हाईवे को चकाचक कर दिया है। थुनाग बाजार में तांदी नाला से 9 जुलाई को आई भयंकर बाढ़ ने सैंकड़ों लोगों को बेघर कर दिया था। जिंदगी भर की कमाई से बने आशियाने जमींदोज हो गए। लोगों को रिश्तेदारों के घरों में शरण लेनी पड़ी। थुनाग, छतरी और बागाचनोगी उप तहसील में 69 मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए। 161 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। 42 दुकानें और 102 गोशालाएं बाढ़ की भेंट चढ़ीं। सिराज घाटी में सात लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।

समरहिल शिव बावड़ी हादसे में 20 लोग बने काल का ग्रास

राजधानी शिमला के समरहिल क्षेत्र में शिव बावड़ी मंदिर में 14 अगस्त को हुई त्रासदी में 20 लोग काल का ग्रास बने। 11 दिनों तक मलबे से शवों को बाहर निकालने का अभियान चला रहा। एडवांस्ड स्टडी के नीचे कालका-शिमला हेरिटेज रेल लाइन का पुल भी इस त्रासदी की भेंट चढ़ा। इस कारण करीब दो महीने ट्रेनों की आवाजाही बंद रही।

चक्की मोड़ में भूस्खलन ने सताया, कई दिन बंद रहा एनएच

कालका-शिमला नेशनल हाईवे पांच भूस्खलन के कारण चक्कीमोड़ के पास बंद होने से लोगों की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हुई। पैदल गुजरने के लिए भी लोगों को दो किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा। पंजाब और चंडीगढ़ से दूध की सप्लाई प्रभावित हुई। सीजन के दौरान बाहरी राज्यों की मंडियों तक सेब पहुंचाना मुश्किल हो गया। तेल के टैंकर और ट्रक कई दिनों तक फंसे रहे।

सेब के हजारों पौधे उखड़े, करोड़ों का नुकसान

भारी बारिश से भूस्खलन के कारण शिमला, मंडी और कुल्लू जिलों में सेब के बगीचों को भारी नुकसान हुआ। सेब के हजारों फलदार पौधे उखड़ गए। शिमला जिले के कुमारसैन में ही 1500 से अधिक पौधे उखड़ गए। ठियोग, कोटखाई, जुब्बल, रोहड़ू और चिड़गांव में भी सेब के हजारों पौधे क्षतिग्रस्त हुए।

सैलाब ने मासूम बच्चों समेत पांच की ली जान

उपमंडल पांवटा साहिब के सिरमौरी ताल में 9 अगस्त की रात बादल फटने से एक परिवार के पांच सदस्यों की मलबे में दबकर मौत हो गई। हादसे में दादा, दादी, पोती, पोते और बहू की मौत हुई थी। छह सदस्यों के परिवार में सिर्फ बेटा बचा, जो घटना के समय घर से कुछ दूरी पर था।
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