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Amla Navami 2025: कब है आंवला नवमी, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Wed, 29 Oct 2025 12:46 PM IST
सार
Amla Navami 2025: आंवला नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा करने का विशेष विधान होता है। साथ ही इस दिन आंवले के पेड़ नीचे बैठकर भोजन बनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवला का वृक्ष भगवान विष्णु को बहुत ही प्रिय होता है।
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विस्तार
Amla Navami 2025: हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवम मतिथि पर अक्षय नवमी का त्योहार मनाया जाता है। इसे आवंला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। आंवला नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा करने का विशेष विधान होता है। साथ ही इस दिन आंवले के पेड़ नीचे बैठकर भोजन बनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवला का वृक्ष भगवान विष्णु को बहुत ही प्रिय होता है। साथ ही आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु और भगवान शिव का वास होता है। आंवले के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु और शिव की पूजा करने और भोजन करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर-परिवार में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं आंवला नवमी की तिथि और पूजा शुभ मुहूर्त।
अक्षय नवमी तिथि 2025
पंचांग के अनुसार, हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी मनाई जाती है। नवमी तिथि की शुरुआत 30 अक्तूबर 2025 को सुबह 10 बजकर 07 मिनट से होगी जो अगले दिन 31 अक्तूबर 2025 को सुबह 10 बजकर 04 मिनट पर खत्म होगी। उदयातिथि के आधार पर अक्षय नवमी 31 अक्तूबर 2025 को मनाई जाएगी।
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अक्षय नवमी पूजा शुभ मुहूर्त 2025
अक्षय नवमी तिथि पर पूजा का शुभ मुहूर्त 31 अक्तूबर 2025 को सुबह 06 बजकर 37 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 04 मिनट तक रहेगा। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है।
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आंवला नवमी का महत्व 2025
आंवला नवमी पर भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा-अर्चना करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी या अक्षय नवमी कहा जाता है। यह तिथि द्वापर युग के आरंभ की प्रतीक मानी गई है, इसलिए इसे युगादि तिथि भी कहा गया है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा कर परिवार की आरोग्यता और समृद्धि की कामना की जाती है। इस दिन तप, जप, दान और व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। माना जाता है कि आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करने से शरीर के रोग दूर होते हैं और मन की शांति प्राप्त होती है।
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