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Ram Navami 2024: श्री राम की पूजा के दौरान जरूर करें भगवान राम की आरती, पढ़ें सम्पूर्ण आरती यहां

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Sun, 07 Apr 2024 04:15 PM IST
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सार

Ram Navami 2024: पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की नवमी तिथि का आरंभ 16 अप्रैल के दिन मंगलवार को दोपहर 1 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ होगा और नवमी तिथि 17 जनवरी को दोपहर 3 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि में नवमी तिथि होने के कारण रामनवमी का पर्व 17 अप्रैल को मनाया जाएगा। 17 अप्रैल को पूरे दिन रवि योग भी रहने वाला है।

Ram Navami 2024 Bhagwan Ram Aarti Lyrics in Hindi Shri Ram Puja
bhagwan ram ki aarti - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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Shri Ram Aarti Lyrics: भगवानrराम को श्री हरि विष्णु का अवतार माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दशहरा, राम नवमी और दिवाली जैसे त्योहारों में भी भगवान राम की आराधना की जाती है। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के उद्घाटन का समय तय हो गया है। पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की नवमी तिथि का आरंभ 16 अप्रैल के दिन मंगलवार को दोपहर 1 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ होगा और नवमी तिथि 17 जनवरी को दोपहर 3 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि में नवमी तिथि होने के कारण रामनवमी का पर्व 17 अप्रैल को मनाया जाएगा। 17 अप्रैल को पूरे दिन रवि योग भी रहने वाला है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार, इसी तारीख और शुभ मुहूर्त में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।  मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की पूजा अर्चना करने से सभी विघ्न-बाधाएं दूर होने के साथ-साथ मन शांत होता इस पावन दिन प्राण प्रतिष्ठा के दौरान आप सब भी भगवान श्री राम की आरती के साथ घर से ही उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। आइए जाने भगवान श्री राम की आरती लिरिक्स के साथ।

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    भगवान श्री राम की आरती
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।। 
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
छंद 
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
।।सोरठा।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
 

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