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Prayagraj Kumbh 2019 : साधुओं की साधना ही नहीं श्रृंगार देखने भी खिंचे चले आते हैं श्रद्धालु
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Published by: Ayush Jha
Updated Mon, 14 Jan 2019 07:42 PM IST
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Prayagraj Kumbh 2019
- फोटो : PTI
कुंभ मेले का वैभव बढ़ाने वाले साधु-संत सिर्फ अपनी साधना के लिए ही नहीं बल्कि श्रृंगार के लिए भी जाने जाते हैं। मसलन किसी ने खुद को रुद्राक्ष से ढंक रखा है तो किसी ने अपने पूरे शरीर में भभूत लगा रखी है। तो कहीं किसी साधु का तिलक ही उसका सबसे बड़ा आकर्षण है। अलग-अलग रंग-रूप और वेशभूषा लिए तमाम साधुओं की अपनी एक अलग पहचान होती है। मसलन कोई अपने वस्त्र विशेष को धारण करने के लिए जाना जाता है तो वहीं बगैर वस्त्रों के यानी नग्न रहने के कारण लोगों की आस्था और आकर्षण का केंद्र बना रहता है।
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Prayagraj Kumbh 2019
- फोटो : PTI
भस्म
माथे पर तिलक लगाने से लेकर शरीर में लपेटी जाने वाली इस भभूत का नागा साधु विशेष तौर पर प्रयोग करते हैं। कुंभ मेले में अक्सर नागा साधु इस भभूत को लगाए दिख जाएंगे। माना जाता है कि यह यज्ञ आदि से प्राप्त की गई इस भभूत को लगाने से तमाम तरह की बीमारियों से बचाव होता है। शायद यही कारण है कि नग्न घूमने वाले इन नागा बाबाओं पर कभी किसी मौसम का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और न ही जल्दी ये बीमार होते हैं।
माथे पर तिलक लगाने से लेकर शरीर में लपेटी जाने वाली इस भभूत का नागा साधु विशेष तौर पर प्रयोग करते हैं। कुंभ मेले में अक्सर नागा साधु इस भभूत को लगाए दिख जाएंगे। माना जाता है कि यह यज्ञ आदि से प्राप्त की गई इस भभूत को लगाने से तमाम तरह की बीमारियों से बचाव होता है। शायद यही कारण है कि नग्न घूमने वाले इन नागा बाबाओं पर कभी किसी मौसम का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और न ही जल्दी ये बीमार होते हैं।
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Kumbh 2019
तिलक
महाकुंभ में शामिल होने के लिए आमजन से लेकर साधु-सन्यासी तक तमाम तरह की वेशभूषा धारण करके पहुंचते हैं। कुंभ में शामिल होने वाले साधुओं के श्रृंगार की बात करें तो उनके द्वारा धारण किए जाने वाले वस्त्र एवं उनका तिलक ही उनकी विशेष पहचान है। मसलन कोई गोल तो कोई उर्ध्वपुंड्र टीका लगाता है। शैव परंपरा वाले साधु अगल तरीके से तो वैष्णव परंपरा वाले साधु अलग तरीके से तिलक लगाते हैं।
महाकुंभ में शामिल होने के लिए आमजन से लेकर साधु-सन्यासी तक तमाम तरह की वेशभूषा धारण करके पहुंचते हैं। कुंभ में शामिल होने वाले साधुओं के श्रृंगार की बात करें तो उनके द्वारा धारण किए जाने वाले वस्त्र एवं उनका तिलक ही उनकी विशेष पहचान है। मसलन कोई गोल तो कोई उर्ध्वपुंड्र टीका लगाता है। शैव परंपरा वाले साधु अगल तरीके से तो वैष्णव परंपरा वाले साधु अलग तरीके से तिलक लगाते हैं।
Prayagraj Kumbh 2019
- फोटो : PTI
रुद्राक्ष
भगवान शिव के उपासक के लिए रुद्राक्ष किसी बहुमूल्य मणि से कम नहीं होता है। ऐसे में शिव की साधना में लीन रहने वाले तमाम साधु-संत रुद्राक्ष को विशेष रूप से धारण करते हैं। कुंभ मेले में आपको रुद्राक्ष की मालाओं से ढके हुए कई साधु-संत मिल जाएंगे। मसलन किसी ने सिर पर रुद्राक्ष की जटाएं बना रखी होंगी तो किसी ने बकायदा सिर पर ही रुद्राक्ष का शिवलिंग बना दिया होगा। पूरे शरीर में हजारों-हजार रुद्राक्ष धारण किए एक साधु की पहचान तो रुद्राक्ष बाबा के नाम से ही हो रही है।
भगवान शिव के उपासक के लिए रुद्राक्ष किसी बहुमूल्य मणि से कम नहीं होता है। ऐसे में शिव की साधना में लीन रहने वाले तमाम साधु-संत रुद्राक्ष को विशेष रूप से धारण करते हैं। कुंभ मेले में आपको रुद्राक्ष की मालाओं से ढके हुए कई साधु-संत मिल जाएंगे। मसलन किसी ने सिर पर रुद्राक्ष की जटाएं बना रखी होंगी तो किसी ने बकायदा सिर पर ही रुद्राक्ष का शिवलिंग बना दिया होगा। पूरे शरीर में हजारों-हजार रुद्राक्ष धारण किए एक साधु की पहचान तो रुद्राक्ष बाबा के नाम से ही हो रही है।
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कुंभ
जटाएं
कुंभ मेले में जहां कुछ साधु सिर के पूरे बाल मुंड़ाए हुए मिल जाएंगे, वहीं कुछ साधुओं की पहचान उनकी लंबी जटाएं होती हैं। लंबी और मोटी जटाओं की साधु-संत विशेष देखभाल करते हैं। कुछ साधु तो इन जटाओं का रुद्राक्ष, मोतियों, फूल-मालाओं आदि से श्रृंगार करते हैं।
कुंभ मेले में जहां कुछ साधु सिर के पूरे बाल मुंड़ाए हुए मिल जाएंगे, वहीं कुछ साधुओं की पहचान उनकी लंबी जटाएं होती हैं। लंबी और मोटी जटाओं की साधु-संत विशेष देखभाल करते हैं। कुछ साधु तो इन जटाओं का रुद्राक्ष, मोतियों, फूल-मालाओं आदि से श्रृंगार करते हैं।

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