{"_id":"6935093d470d15dfac0d7d13","slug":"paush-month-2025-surya-dev-worship-time-benefits-and-importance-surya-puja-vidhi-labh-2025-12-07","type":"story","status":"publish","title_hn":"Paush Month 2025: पौष माह सूर्यदेव की उपासना का सबसे अच्छा समय, जानिए महत्व और लाभ","category":{"title":"Religion","title_hn":"धर्म","slug":"religion"}}
Paush Month 2025: पौष माह सूर्यदेव की उपासना का सबसे अच्छा समय, जानिए महत्व और लाभ
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Sun, 07 Dec 2025 10:28 AM IST
सार
Paush Month 2025: हिंदू कैलेंडर के अनुसार पौष माह वर्ष का दसवां महीना होता है। इस महीने में भगवान सूर्य की पूजा उपासना का विशेष महत्व होता है। पौष में गंगा स्नान और पितरों को तर्पण करना सबसे शुभ और पुण्यदायक माना जाता है।
विज्ञापन
पौष माह में सूर्य उपासना का महत्व
- फोटो : adobe stock
विज्ञापन
विस्तार
Paush Month 2025: भारतीय संस्कृति में सूर्यदेव को जगत का दर्शनीय देवता और प्रकृति की ऊर्जा का स्रोत माना गया है। शास्त्रों में वर्णन है कि वर्ष के बारह महीनों में पौष मास वह समय है जब सूर्य की उपासना सर्वोत्तम फल प्रदान करती है। इस पवित्र मास में सूर्यदेव की किरणों का प्रभाव अत्यंत तेजस्वी माना गया है, जो साधक के मन, शरीर और जीवन पर शुभता का संचार करता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पौष माह में की गई सूर्य आराधना से जीवन के दुख, रोग और दोष दूर होते हैं तथा सौभाग्य, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है।
1. पौराणिक आधार और सूर्यदेव की महिमा
पुराणों में सूर्यदेव को त्रिदेवों का संयुक्त स्वरूप कहा गया है। सूर्य उपनिषद में उल्लेख है कि वे सृष्टि, पालन और संहार—तीनों कार्यों का प्रतीक हैं। मान्यता है कि पौष मास में विशेष रूप से सूर्य पूजन करने से पापों का क्षय होता है और जीवन में तेज, बल, आयु तथा सफलता की प्राप्ति होती है। इस काल में सूर्य को अर्घ्य देने से घर–परिवार में मंगलभाव का संचार होता है और साधक रोगों तथा बाधाओं से सुरक्षित रहता है।
2. पौष माह में सूर्य आराधना का धार्मिक समय
धार्मिक विश्वास है कि पौष मास वह अवधि होती है जब सूर्यदेव दक्षिणायन से धीरे–धीरे उत्तरायण की ओर गति करते हैं। उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा गया है और इसे आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना गया है। इसलिए इस समय सूर्य पूजा करने से साधक को सौभाग्य, सकारात्मकता और मनोबल में वृद्धि प्राप्त होती है। यह मास साधना, तप और सूर्य ध्यान के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ, हल्के या लाल रंग के वस्त्र धारण करें। पूर्व दिशा की ओर मुख कर तांबे के लोटे में जल, लाल पुष्प, अक्षत और गुड़ मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। “ॐ घृणिः सूर्य आदित्यः” या “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का 11 या 21 बार जप करें। सूर्यदेव के समक्ष दीपक प्रज्वलित कर आरती करें और उनके तेज का ध्यान करें।
स्वास्थ्य और बलवर्धन
सूर्य की किरणें स्वाभाविक औषधि मानी गई हैं। वे शरीर को विटामिन D प्रदान करती हैं और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं। शास्त्रों के अनुसार, सूर्य पूजा से मानसिक, शारीरिक और त्वचा संबंधी रोगों का नाश होता है तथा शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है।
मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति
पौष मास में सूर्यध्यान करने से मन शुद्ध होता है, चित्त स्थिर होता है तथा व्यक्ति को भीतर से आत्मिक शांति प्राप्त होती है। यह समय साधना और ध्यान के लिए अत्यंत अनुकूल माना जाता है।
आर्थिक प्रगति और सौभाग्य
धर्मग्रंथों में सूर्यदेव को सफलता, वैभव और राजसत्ता का कारक बताया गया है। उनकी कृपा से आर्थिक संकट दूर होते हैं और सौभाग्य के अवसर बढ़ते हैं। पौष मास में की गई सूर्य आराधना विशेष रूप से धन–समृद्धि प्रदान करती है।
पापों का क्षय और शुभ फल
पुराणों के अनुसार, सूर्यदेव कर्मों के फलदाता हैं। उनकी पूजा से पूर्व जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सद्मार्ग की प्राप्ति होती है। सूर्य आराधना मोक्ष के मार्ग को सरल बनाने वाली मानी गई है।
सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक उत्साह
इस मास में सूर्य की किरणों का प्रभाव अत्यंत प्रखर होता है, जिससे व्यक्ति के भीतर उत्साह, तेज और सकारात्मक ऊर्जा जागृत होती है। यह समय नए कार्यों की शुरुआत और संकल्प लेने के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
Trending Videos
1. पौराणिक आधार और सूर्यदेव की महिमा
पुराणों में सूर्यदेव को त्रिदेवों का संयुक्त स्वरूप कहा गया है। सूर्य उपनिषद में उल्लेख है कि वे सृष्टि, पालन और संहार—तीनों कार्यों का प्रतीक हैं। मान्यता है कि पौष मास में विशेष रूप से सूर्य पूजन करने से पापों का क्षय होता है और जीवन में तेज, बल, आयु तथा सफलता की प्राप्ति होती है। इस काल में सूर्य को अर्घ्य देने से घर–परिवार में मंगलभाव का संचार होता है और साधक रोगों तथा बाधाओं से सुरक्षित रहता है।
विज्ञापन
विज्ञापन
2. पौष माह में सूर्य आराधना का धार्मिक समय
धार्मिक विश्वास है कि पौष मास वह अवधि होती है जब सूर्यदेव दक्षिणायन से धीरे–धीरे उत्तरायण की ओर गति करते हैं। उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा गया है और इसे आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना गया है। इसलिए इस समय सूर्य पूजा करने से साधक को सौभाग्य, सकारात्मकता और मनोबल में वृद्धि प्राप्त होती है। यह मास साधना, तप और सूर्य ध्यान के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
Paush Month 2025: आज से पौष माह आरम्भ, इन 5 कार्यों से बचें, वरना जीवन में आ सकती हैं परेशानियां
3. पौष मास में सूर्य पूजा की विधिप्रातः ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ, हल्के या लाल रंग के वस्त्र धारण करें। पूर्व दिशा की ओर मुख कर तांबे के लोटे में जल, लाल पुष्प, अक्षत और गुड़ मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। “ॐ घृणिः सूर्य आदित्यः” या “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का 11 या 21 बार जप करें। सूर्यदेव के समक्ष दीपक प्रज्वलित कर आरती करें और उनके तेज का ध्यान करें।
Margashirsha Purnima: मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शिवलिंग पर अर्पित करें ये चीज़ें, मिलेगी धन-धान्य और सुख-शांति
4. सूर्य पूजा से मिलने वाले प्रमुख लाभस्वास्थ्य और बलवर्धन
सूर्य की किरणें स्वाभाविक औषधि मानी गई हैं। वे शरीर को विटामिन D प्रदान करती हैं और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं। शास्त्रों के अनुसार, सूर्य पूजा से मानसिक, शारीरिक और त्वचा संबंधी रोगों का नाश होता है तथा शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है।
मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति
पौष मास में सूर्यध्यान करने से मन शुद्ध होता है, चित्त स्थिर होता है तथा व्यक्ति को भीतर से आत्मिक शांति प्राप्त होती है। यह समय साधना और ध्यान के लिए अत्यंत अनुकूल माना जाता है।
आर्थिक प्रगति और सौभाग्य
धर्मग्रंथों में सूर्यदेव को सफलता, वैभव और राजसत्ता का कारक बताया गया है। उनकी कृपा से आर्थिक संकट दूर होते हैं और सौभाग्य के अवसर बढ़ते हैं। पौष मास में की गई सूर्य आराधना विशेष रूप से धन–समृद्धि प्रदान करती है।
पापों का क्षय और शुभ फल
पुराणों के अनुसार, सूर्यदेव कर्मों के फलदाता हैं। उनकी पूजा से पूर्व जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सद्मार्ग की प्राप्ति होती है। सूर्य आराधना मोक्ष के मार्ग को सरल बनाने वाली मानी गई है।
सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक उत्साह
इस मास में सूर्य की किरणों का प्रभाव अत्यंत प्रखर होता है, जिससे व्यक्ति के भीतर उत्साह, तेज और सकारात्मक ऊर्जा जागृत होती है। यह समय नए कार्यों की शुरुआत और संकल्प लेने के लिए श्रेष्ठ माना गया है।