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Football: भारतीय फुटबॉल महासंघ पर फिर मंडराया प्रतिबंध का खतरा, फीफा-एएफसी ने 30 अक्तूबर की समय-सीमा तय की
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Wed, 27 Aug 2025 12:13 PM IST
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सार
यह पहली बार नहीं है जब भारतीय फुटबॉल को इस तरह की शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। अगस्त 2022 में फीफा ने भारत को ‘तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप’ के आरोप में निलंबित कर दिया था।

सुनील छेत्री
- फोटो : ANI
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विस्तार
भारतीय फुटबॉल पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि वैश्विक संचालन संस्था फीफा और एशियाई फुटबॉल परिसंघ (एएफसी) ने संकटग्रस्त अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को सख्त चेतावनी दी है कि उसे 30 अक्तूबर तक नया संविधान अपनाना और उसकी पुष्टि करनी होगी या फिर निलंबन का जोखिम उठाना पड़ेगा।
एआईएफएफ अध्यक्ष कल्याण चौबे को मंगलवार को लिखे दो पन्नों के कड़े पत्र में दोनों अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने 2017 से उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित होने के बावजूद महासंघ द्वारा अपने संविधान को अंतिम रूप देने में विफलता पर ‘गहरी चिंता’ व्यक्त की। शीर्ष अदालत गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करेगी।

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एआईएफएफ अध्यक्ष कल्याण चौबे को मंगलवार को लिखे दो पन्नों के कड़े पत्र में दोनों अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने 2017 से उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित होने के बावजूद महासंघ द्वारा अपने संविधान को अंतिम रूप देने में विफलता पर ‘गहरी चिंता’ व्यक्त की। शीर्ष अदालत गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करेगी।
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AIFF अध्यक्ष कल्याण चौबे
- फोटो : PTI
निलंबन का क्या मतलब?
निलंबन का मतलब होगा कि राष्ट्रीय टीमों और क्लबों को सभी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा और साथ ही अहमदाबाद में 2036 के ओलंपिक खेलों के लिए भारत की महत्वाकांक्षी बोली भी अनिश्चितता में पड़ जाएगी। फीफा और एएफसी ने चौबे के नेतृत्व वाले एआईएफएफ को संशोधित संविधान को मंजूरी देने के लिए उच्चतम न्यायालय से एक ‘निश्चित आदेश’ प्राप्त करने, इसे फीफा और एएफसी के अनिवार्य नियमों के अनुरूप बनाने और 30 अक्तूबर की समय-सीमा से पहले अगली आम सभा की बैठक में इसकी पुष्टि करने का निर्देश दिया है।
पत्र में कहा गया है, 'इस कार्यक्रम का पालन नहीं करने पर हमारे पास इस मामले को निर्णय लेने वाली फीफा की संबंधित संस्था के पास विचार और निर्णय के लिए भेजने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा… जिसमें निलंबन की संभावना भी शामिल है।' इस पत्र पर फीफा के मुख्य सदस्य संघ अधिकारी एल्खान मामादोव और एएफसी के उप महासचिव (सदस्य संघ) वाहिद कर्दानी ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षर किए हैं।
निलंबन का मतलब होगा कि राष्ट्रीय टीमों और क्लबों को सभी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा और साथ ही अहमदाबाद में 2036 के ओलंपिक खेलों के लिए भारत की महत्वाकांक्षी बोली भी अनिश्चितता में पड़ जाएगी। फीफा और एएफसी ने चौबे के नेतृत्व वाले एआईएफएफ को संशोधित संविधान को मंजूरी देने के लिए उच्चतम न्यायालय से एक ‘निश्चित आदेश’ प्राप्त करने, इसे फीफा और एएफसी के अनिवार्य नियमों के अनुरूप बनाने और 30 अक्तूबर की समय-सीमा से पहले अगली आम सभा की बैठक में इसकी पुष्टि करने का निर्देश दिया है।
पत्र में कहा गया है, 'इस कार्यक्रम का पालन नहीं करने पर हमारे पास इस मामले को निर्णय लेने वाली फीफा की संबंधित संस्था के पास विचार और निर्णय के लिए भेजने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा… जिसमें निलंबन की संभावना भी शामिल है।' इस पत्र पर फीफा के मुख्य सदस्य संघ अधिकारी एल्खान मामादोव और एएफसी के उप महासचिव (सदस्य संघ) वाहिद कर्दानी ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षर किए हैं।

एआईएफएफ के अध्यक्ष कल्याण चौबे
- फोटो : माई सिटी रिपोर्टर
पहले भी लग चुका है प्रतिबंध
यह पहली बार नहीं है जब भारतीय फुटबॉल को इस तरह की शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। अगस्त 2022 में फीफा ने भारत को ‘तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप’ के आरोप में निलंबित कर दिया था जब उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) ने अस्थायी रूप से एआईएफएफ का संचालन किया था।
यह प्रतिबंध देश की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के जश्न के दौरान लगाया गया था लेकिन सीओए के भंग होने और चुनाव होने के दो सप्ताह के भीतर इसे हटा लिया गया था। चुनावों में चौबे ने एकतरफा परिणाम में दिग्गज फुटबॉलर बाईचुंग भूटिया को हराया था। विश्व निकायों ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के संशोधित संविधान को अंतिम रूप देने और लागू करने में निरंतर विफलता’ पर चिंता व्यक्त की। यह मामला 2017 से भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है।
यह पहली बार नहीं है जब भारतीय फुटबॉल को इस तरह की शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। अगस्त 2022 में फीफा ने भारत को ‘तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप’ के आरोप में निलंबित कर दिया था जब उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) ने अस्थायी रूप से एआईएफएफ का संचालन किया था।
यह प्रतिबंध देश की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के जश्न के दौरान लगाया गया था लेकिन सीओए के भंग होने और चुनाव होने के दो सप्ताह के भीतर इसे हटा लिया गया था। चुनावों में चौबे ने एकतरफा परिणाम में दिग्गज फुटबॉलर बाईचुंग भूटिया को हराया था। विश्व निकायों ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के संशोधित संविधान को अंतिम रूप देने और लागू करने में निरंतर विफलता’ पर चिंता व्यक्त की। यह मामला 2017 से भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है।

भारतीय फुटबॉल टीम
- फोटो : PTI
'कानूनी अनिश्चितताएं पैदा कर दी'
पत्र में कहा गया है, 'बार-बार आश्वासन के बावजूद, एक स्पष्ट और अनुपालनकारी प्रशासनिक ढांचे के अभाव ने भारतीय फुटबॉल के मूल में शून्य और कानूनी अनिश्चितताएं पैदा कर दी हैं।' पत्र में इसे 'लंबे समय से चल रहा गतिरोध' बताते हुए कहा गया है कि इसने ‘प्रशासन और संचालन संबंधी संकट को जन्म दिया है। पत्र के अनुसार, ‘‘इससे क्लब और खिलाड़ी घरेलू प्रतियोगिता कैलेंडर को लेकर अनिश्चित हैं। दिसंबर 2025 के बाद व्यावसायिक साझेदारियां अभी तक तय नहीं हुई हैं और विकास, प्रतियोगिताओं और विपणन से संबंधित आवश्यक कार्य लगातार कमजोर होते जा रहे हैं।’’
वित्तीय स्थिरता की कमी और ‘भारत के फुटबॉल पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके गहरे नकारात्मक प्रभाव’ की निंदा करते हुए दोनों संस्थाओं ने कहा कि वे इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में भाग लेने वाले क्लबों के फुटबॉल खिलाड़ियों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। पत्र में कहा गया है, 'हमें फिफप्रो से विभिन्न क्लबों द्वारा खिलाड़ियों के अनुबंधों को एकतरफा रूप से समाप्त करने की चिंताजनक रिपोर्ट मिली है जो मौजूदा गतिरोध का सीधा परिणाम है और खिलाड़ियों की आजीविका और करियर को प्रभावित कर रहा है।'
पत्र में कहा गया है, 'बार-बार आश्वासन के बावजूद, एक स्पष्ट और अनुपालनकारी प्रशासनिक ढांचे के अभाव ने भारतीय फुटबॉल के मूल में शून्य और कानूनी अनिश्चितताएं पैदा कर दी हैं।' पत्र में इसे 'लंबे समय से चल रहा गतिरोध' बताते हुए कहा गया है कि इसने ‘प्रशासन और संचालन संबंधी संकट को जन्म दिया है। पत्र के अनुसार, ‘‘इससे क्लब और खिलाड़ी घरेलू प्रतियोगिता कैलेंडर को लेकर अनिश्चित हैं। दिसंबर 2025 के बाद व्यावसायिक साझेदारियां अभी तक तय नहीं हुई हैं और विकास, प्रतियोगिताओं और विपणन से संबंधित आवश्यक कार्य लगातार कमजोर होते जा रहे हैं।’’
वित्तीय स्थिरता की कमी और ‘भारत के फुटबॉल पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके गहरे नकारात्मक प्रभाव’ की निंदा करते हुए दोनों संस्थाओं ने कहा कि वे इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में भाग लेने वाले क्लबों के फुटबॉल खिलाड़ियों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। पत्र में कहा गया है, 'हमें फिफप्रो से विभिन्न क्लबों द्वारा खिलाड़ियों के अनुबंधों को एकतरफा रूप से समाप्त करने की चिंताजनक रिपोर्ट मिली है जो मौजूदा गतिरोध का सीधा परिणाम है और खिलाड़ियों की आजीविका और करियर को प्रभावित कर रहा है।'

भारतीय फुटबॉल टीम
- फोटो : @IndianFootball
तत्काल कदम उठाने का निर्देश
दोनों संस्थाओं ने एआईएफएफ को समय-सीमा तक तीन तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया गया है। पत्र में कहा गया, 'एआईएफएफ के संशोधित संविधान को मंजूरी देने के लिए भारत के उच्चतम न्यायालय से एक निर्णायक आदेश प्राप्त करें। एआईएफएफ संविधान का फीफा और एएफसी के नियमों और विनियमों के अनिवार्य प्रावधानों के साथ पूर्ण अनुकूलन सुनिश्चित करें।' उन्होंने कहा, 'एआईएफएफ की अगली आम बैठक में एआईएफएफ संविधान की औपचारिक पुष्टि प्राप्त करें।'
पत्र के अनुसार, 'एआईएफएफ के निलंबन का परिणाम फीफा और एएफसी के सदस्य के रूप में उसके सभी अधिकारों का नुकसान होगा जैसा कि फीफा और एएफसी के नियमों में परिभाषित है।' उच्चतम न्यायालय गुरुवार को एआईएफएफ और उसके वाणिज्यिक साझेदार फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड (एफएसडीएल) के बीच मास्टर राइट्स समझौते से संबंधित मामले की सुनवाई करने वाला है। यह समझौता आठ दिसंबर को समाप्त हो रहा है।
दोनों संस्थाओं ने एआईएफएफ को समय-सीमा तक तीन तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया गया है। पत्र में कहा गया, 'एआईएफएफ के संशोधित संविधान को मंजूरी देने के लिए भारत के उच्चतम न्यायालय से एक निर्णायक आदेश प्राप्त करें। एआईएफएफ संविधान का फीफा और एएफसी के नियमों और विनियमों के अनिवार्य प्रावधानों के साथ पूर्ण अनुकूलन सुनिश्चित करें।' उन्होंने कहा, 'एआईएफएफ की अगली आम बैठक में एआईएफएफ संविधान की औपचारिक पुष्टि प्राप्त करें।'
पत्र के अनुसार, 'एआईएफएफ के निलंबन का परिणाम फीफा और एएफसी के सदस्य के रूप में उसके सभी अधिकारों का नुकसान होगा जैसा कि फीफा और एएफसी के नियमों में परिभाषित है।' उच्चतम न्यायालय गुरुवार को एआईएफएफ और उसके वाणिज्यिक साझेदार फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड (एफएसडीएल) के बीच मास्टर राइट्स समझौते से संबंधित मामले की सुनवाई करने वाला है। यह समझौता आठ दिसंबर को समाप्त हो रहा है।

सुनील छेत्री
- फोटो : ANI
ISL के आगामी सत्र को रोका गया
एफएसडीएल ने पिछले महीने करार नवीनीकरण पर अनिश्चितता का हवाला देते हुए आगामी सत्र को रोक दिया था। इस फैसले के कारण कम से कम तीन क्लबों को अपना परिचालन स्थगित करना पड़ा या वेतन में देरी करनी पड़ी और सभी 11 आईएसएल क्लबों ने ‘अस्तित्व के संकट’ की चेतावनी दी। उच्चतम न्यायालय ने 22 अगस्त को एआईएफएफ और एफएसडीएल को अंतरिम उपाय तय करने के लिए बातचीत करने की अनुमति दी जिससे कि सत्र समय पर शुरू हो सके।
एफएसडीएल ने पिछले महीने करार नवीनीकरण पर अनिश्चितता का हवाला देते हुए आगामी सत्र को रोक दिया था। इस फैसले के कारण कम से कम तीन क्लबों को अपना परिचालन स्थगित करना पड़ा या वेतन में देरी करनी पड़ी और सभी 11 आईएसएल क्लबों ने ‘अस्तित्व के संकट’ की चेतावनी दी। उच्चतम न्यायालय ने 22 अगस्त को एआईएफएफ और एफएसडीएल को अंतरिम उपाय तय करने के लिए बातचीत करने की अनुमति दी जिससे कि सत्र समय पर शुरू हो सके।