TikTok: टिकटॉक डील को चीन की मंजूरी, अमेरिका संग समझौते से खुला रास्ता; जल्द सुलझ सकता विवाद
चीन और अमेरिका के बीच टिकटॉक डील पर सुलह की उम्मीद बढ़ी है। बुसान में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के बाद चीन ने कहा कि वह टिकटॉक से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम करेगा।
 
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टिकटॉक विवाद को लेकर चीन और अमेरिका के बीच एक बार फिर नई उम्मीद जगी है। गुरुवार को बुसान में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद दोनों देशों ने कई अहम मुद्दों पर प्रगति दिखाई, हालांकि, चीन ने शॉर्ट वीडियो एप टिकटॉक के हस्तांतरण समझौते को मंजूरी दे दी है। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने उम्मीद जताई कि यह डील आने वाले हफ्तों में आगे बढ़ेगी, जिससे मामले का समाधान होगा। यह डील टिकटॉक के अमेरिकी ऑपरेशंस को अमेरिका और वैश्विक निवेशकों के एक समूह को बेचने से संबंधित है।
 
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बिक्री योजना को राष्ट्रीय सुरक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने वाला घोषित किया था, जिसमें एल्गोरिदम को अमेरिकी कंपनी की ओर से मॉनिटर किए जाने की बात कही गई है। इस नई इकाई में चीनी मूल की कंपनी बाइटडांस के पास 20% से कम हिस्सेदारी होगी। वह सात बोर्ड सदस्यों में से एक को नामित कर पाएगी।
चीन की क्या है रणनीति?
मुलाकात के बाद चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा चीन टिकटॉक से जुड़े मुद्दों को अमेरिका के साथ मिलकर उचित तरीके से हल करेगा। हालांकि, मंत्रालय ने यह स्पष्ट नहीं किया कि टिकटॉक की अमेरिकी इकाई के भविष्य पर क्या फैसला लिया गया है। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने हाल ही में कहा था कि दोनों देश टिकटॉक के स्वामित्व को लेकर एक निर्णायक डील के करीब हैं। ट्रंप प्रशासन लंबे समय से यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि टिकटॉक का अमेरिकी संचालन अमेरिकी निवेशकों के नियंत्रण में जाए ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े खतरे कम हों।
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अमेरिकी कांग्रेस पहले ही एक कानून पारित कर चुकी है, जिसके तहत टिकटॉक को अमेरिका में बैन किया जा सकता है अगर उसने अपनी मालिकाना हिस्सेदारी चीनी कंपनी बाइटडांस से अलग नहीं की। ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद टिकटॉक पर बैन लगाने की प्रक्रिया रोक दी थी, ताकि एक ऐसा समाधान निकाला जा सके जो ऐप को अमेरिका में जारी रखने के साथ-साथ डेटा सुरक्षा के मानकों पर खरा उतरे।
डेटा और एल्गोरिदम नियंत्रण असली मुद्दा
टिकटॉक विवाद के पीछे असली मुद्दा डेटा और एल्गोरिदम नियंत्रण का है। चीन का कहना है कि टिकटॉक का अनुशंसा एल्गोरिदम चीन के कानून के तहत उसके नियंत्रण में रहेगा। वहीं अमेरिका की मांग है कि ऐप को पूरी तरह अमेरिकी स्वामित्व में आना चाहिए ताकि डेटा लीक या जासूसी की कोई गुंजाइश न रहे। विश्लेषक बॉनी ग्लेसर, जो जर्मन मार्शल फंड की इंडो-पैसिफिक प्रोग्राम निदेशक हैं, का कहना है कि यह मामला राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है, लेकिन वह ट्रंप को इस समझौते का श्रेय लेने देने में कोई हर्ज नहीं मानते। उन्होंने कहा सवाल यह है कि क्या यह डील अमेरिकी कानून के अनुरूप है और क्या इससे अमेरिकी नागरिकों के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
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अमेरिका में 43% वयस्क टिकटॉक इस्तेमाल करते है
टिकटॉक की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। प्यू रिसर्च सेंटर की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में 30 वर्ष से कम आयु के 43% वयस्क टिकटॉक से नियमित रूप से खबरें प्राप्त करते हैं, जो किसी भी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की तुलना में अधिक है। हालांकि, अमेरिका में टिकटॉक पर बैन को लेकर राय बंटी हुई है। सर्वेक्षणों में करीब एक-तिहाई अमेरिकियों ने ऐप पर प्रतिबंध का समर्थन किया है, जबकि उतने ही लोग इसके खिलाफ हैं।
फिलहाल, दोनों देशों के बीच बातचीत का नया दौर टिकटॉक के भविष्य को लेकर उम्मीद जगाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह डील तय हो जाती है, तो यह चीन-अमेरिका के बीच टेक्नोलॉजी युद्ध को ठंडा करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।