AI: एनवीडिया जैसी कंपनियों का एआई पर लगातार निवेश, जेफरीज ने जारी की चेतावनी
एनवीडिया के नतीजे दिखाते हैं कि एआई पर कंपनियों का खर्च अभी भी जोरों पर है। इससे पता चलता है कि टेक कंपनियों को एआई के भविष्य पर पूरा भरोसा है। लेकिन जेफरीज की नई ग्रीड एंड फियर रिपोर्ट कहती है कि बाजार इस खर्चे के असली मुद्दे को नजरअंदाज कर रहा है।
विस्तार
एनवीडिया के ताजा नतीजे दिखाते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर कंपनियों का खर्च अभी भी जोरों पर है। इससे यह साफ होता है कि टेक कंपनियों को एआई के भविष्य पर पूरा भरोसा है। लेकिन जेफरीज की नई ग्रीड एंड फियर रिपोर्ट कहती है कि बाजार इस खर्चे के असली मुद्दे को नजरअंदाज कर रहा है। इतने भारी निवेश का फायदा आखिर निवेशकों को कब और कैसे मिलेगा? रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 24 घंटों में एनवीडिया के शेयर 2.8% और TSMC के शेयर 4.3% बढ़े हैं। लेकिन रिपोर्ट का कहना है कि इन बढ़ोतरी के बावजूद यह सवाल बना हुआ है कि यह तेजी कितने समय तक टिकेगी।
जेफरीज की चेतावनी
जेफरीज ने चेतावनी दी है कि आने वाले महीनों में बाजार को एक 'रियलिटी चेक' मिल सकता है। उनका कहना है कि एआई इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी आई है, लेकिन पश्चिमी देशों में एआई से जुड़े हार्डवेयर (यानि पिक्स एंड शोवेल्स) का सबसे अच्छा दौर शायद अब पीछे छूट गया है। अब फोकस इस बात पर है कि कौन-सी कंपनियां एआई एप्लिकेशन से कमाई (मोनेटाइजेशन) बेहतर तरीके से कर पाएंगी, खासकर चीन के बाहर।
अल्फाबेट पर जेफरीज का भरोसा
रिपोर्ट के अनुसार अल्फाबेट (गूगल की पैरेंट कंपनी) एआई से अच्छे तरीके से कमाई कर सकती है, क्योंकि वह अपने जेमिनी एआई को सर्च में तेजी से जोड़ रही है। सिमिलरवेब के डाटा के मुताबिक जनरेटिव एआई मार्केट में पिछले एक साल में जेमिनी की वेब ट्रैफिक हिस्सेदारी 5.6% से बढ़कर 13.7% हो गई है। वहीं चैटजीपीटी की हिस्सेदारी 86.6% से घटकर 72.3% रह गई। इसी वजह से जेफरीज इस हफ्ते अपने ग्लोबल पोर्टफोलियो में अल्फाबेट को शामिल कर रहा है और आईसीआईसीआई बैंक को हटा रहा है।
चैटजीपीटी बनाम स्नैपचैट: वैल्यूएशन में बड़ा अंतर
रिपोर्ट ने यह बात भी उठाई कि स्नैपचैट के 477 मिलियन डेली एक्टिव यूजर हैं। कंपनी का मार्केट कैप लगभग 13.8 अरब डॉलर है, वहीं दूसरी ओर चैटजीपीटी के अक्तूबर तक 800 मिलियन साप्ताहिक एक्टिव यूजर और उसका वैल्यूएशन हालिया फंडिंग के आधार पर लगभग 500 अरब डॉलर आंका गया है। जेफरीज का कहना है कि इतने बड़े अंतर से यह सवाल उठता है कि क्या एआई कंपनियों का वैल्यूएशन वास्तव में जायज है, खासकर तब, जब अभी तक कोई 'किलर एप्लिकेशन' भी सामने नहीं आया है।