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Samsung: सैमसंग ने भारत सरकार को टैक्स ट्रिब्यूनल में दी चुनौती, कंपनी पर ₹4,451 करोड़ का टैरिफ बचाने का आरोप
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Sun, 04 May 2025 07:22 PM IST
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सार
Samsung: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का आरोप है कि सैमसंग ने टेलीकॉम इक्विपमेंट्स के इंपोर्ट को गलत तरीके से क्लासिफाई किया, जिससे कंपनी 10% से 20% तक लगने वाले टैरिफ से बच गई।

सैमसंग
- फोटो : AI

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विस्तार
दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी Samsung और भारत सरकार के बीच टैक्स को लेकर जबरदस्त टकराव सामने आया है। सरकार ने कंपनी पर 4,451 करोड़ रुपये (520 मिलियन डॉलर) का टैक्स डिमांड ठोका है, जिसके खिलाफ सैमसंग ने अब टैक्स ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया है।
क्या है पूरा मामला?
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का आरोप है कि सैमसंग ने टेलीकॉम इक्विपमेंट्स के इंपोर्ट को गलत तरीके से क्लासिफाई किया, जिससे वह 10% से 20% तक लगने वाले टैरिफ से बच गई। ये वही उपकरण हैं जो सैमसंग ने रिलायंस जियो को बेचे थे और जिनका इस्तेमाल मोबाइल टावरों में किया गया।
सैमसंग का जवाब
सैमसंग का कहना है कि टैक्स अधिकारी खुद इस क्लासिफिकेशन से वाकिफ थे और 2017 में रिलायंस जियो को इसी मुद्दे पर चेतावनी भी दी गई थी, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी कभी नहीं दी गई। कंपनी का दावा है कि अगर समय पर बताया जाता, तो वो पहले ही बदलाव कर देती। इतना ही नहीं, सरकार ने सैमसंग के 7 वरिष्ठ अधिकारियों पर 693 करोड़ रुपए (81 मिलियन डॉलर) का जुर्माना भी लगाया है।
जांच की शुरुआत और बड़ा खुलासा
2021 में टैक्स विभाग ने मुंबई और दिल्ली स्थित सैमसंग के दफ्तरों पर छापेमारी की, जहां से ईमेल, दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त किए गए। जांच में पता चला कि 2018 से 2021 के बीच कंपनी ने कोरिया और वियतनाम से करीब 6,711 करोड़ रुपये की वैल्यू वाले कंपोनेंट्स मंगवाए, लेकिन उन पर कोई टैरिफ नहीं चुकाया गया।
क्या है कस्टम विभाग का आरोप?
8 जनवरी 2024 को जारी एक आदेश में कस्टम कमिश्नर सोनल बजाज ने सैमसंग पर आरोप लगाया कि कंपनी ने जानबूझकर फर्जी दस्तावेज दिए और भारतीय कानूनों व इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स का उल्लंघन किया है। उनके मुताबिक, यह न सिर्फ टैक्स चोरी का मामला है, बल्कि यह बिजनेस एथिक्स की भी खुली अनदेखी है।
सैमसंग ने एक बयान में साफ किया है कि उसने किसी भी भारतीय कानून का उल्लंघन नहीं किया है और अब वह कानूनी विकल्पों का मूल्यांकन कर रही है ताकि अपने अधिकारों की रक्षा कर सके।
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क्या है पूरा मामला?
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का आरोप है कि सैमसंग ने टेलीकॉम इक्विपमेंट्स के इंपोर्ट को गलत तरीके से क्लासिफाई किया, जिससे वह 10% से 20% तक लगने वाले टैरिफ से बच गई। ये वही उपकरण हैं जो सैमसंग ने रिलायंस जियो को बेचे थे और जिनका इस्तेमाल मोबाइल टावरों में किया गया।
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सैमसंग का जवाब
सैमसंग का कहना है कि टैक्स अधिकारी खुद इस क्लासिफिकेशन से वाकिफ थे और 2017 में रिलायंस जियो को इसी मुद्दे पर चेतावनी भी दी गई थी, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी कभी नहीं दी गई। कंपनी का दावा है कि अगर समय पर बताया जाता, तो वो पहले ही बदलाव कर देती। इतना ही नहीं, सरकार ने सैमसंग के 7 वरिष्ठ अधिकारियों पर 693 करोड़ रुपए (81 मिलियन डॉलर) का जुर्माना भी लगाया है।
जांच की शुरुआत और बड़ा खुलासा
2021 में टैक्स विभाग ने मुंबई और दिल्ली स्थित सैमसंग के दफ्तरों पर छापेमारी की, जहां से ईमेल, दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त किए गए। जांच में पता चला कि 2018 से 2021 के बीच कंपनी ने कोरिया और वियतनाम से करीब 6,711 करोड़ रुपये की वैल्यू वाले कंपोनेंट्स मंगवाए, लेकिन उन पर कोई टैरिफ नहीं चुकाया गया।
क्या है कस्टम विभाग का आरोप?
8 जनवरी 2024 को जारी एक आदेश में कस्टम कमिश्नर सोनल बजाज ने सैमसंग पर आरोप लगाया कि कंपनी ने जानबूझकर फर्जी दस्तावेज दिए और भारतीय कानूनों व इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स का उल्लंघन किया है। उनके मुताबिक, यह न सिर्फ टैक्स चोरी का मामला है, बल्कि यह बिजनेस एथिक्स की भी खुली अनदेखी है।
सैमसंग ने एक बयान में साफ किया है कि उसने किसी भी भारतीय कानून का उल्लंघन नहीं किया है और अब वह कानूनी विकल्पों का मूल्यांकन कर रही है ताकि अपने अधिकारों की रक्षा कर सके।