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आस्था और श्रद्धा का केंद्र ही नहीं, वोटों की फसल को भी खाद-पानी देती है अयोध्या

राजेन्द्र सिंह, लखनऊ Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Fri, 07 Aug 2020 04:18 AM IST
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Ayodhya is not only the center of faith and reverence, but also fertilize the crop of votes
हनुमानगढ़ी - फोटो : अमर उजाला
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अयोध्या सिर्फ आस्था व श्रद्धा का केंद्र नहीं है, बल्कि वह वोटों की फसल के लिए खादी-पानी का काम भी करती है। भाजपा को सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाने में अयोध्या के राममंदिर मुद्दे की अहम भूमिका रही है। 

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मंदिर निर्माण कार्य का शुभारंभ हो जाने से प्रदेश की सियासत में भाजपा को बढ़त तो मिली है, लेकिन विपक्ष पर हमले की धार अब पहले जैसी पैनी नहीं है। भाजपा के लिए वोटों का ध्रुवीकरण कराने की चुनौती होगी तो विपक्षों दलों के सामने ध्रुवीकरण को रोकने की।
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राममंदिर के शिलान्यास पर सपा, बसपा व कांग्रेस का जैसा रुख रहा है, उससे भाजपा को ज्यादा हमलावर होने का मौका शायद ही मिले। कुछ नेताओं ने श्रीराम मंदिर ट्रस्ट में पिछड़ों, अनुसूचित जाति के लोगों की भागदारी नहीं होने पर सवाल उठाकर भविष्य में राजनीति की दिशा के संकेत भी दे दिए हैं।

विपक्ष को तलाशने होंगे जनता के मुद्दे...
विपक्ष को राममंदिर मुद्दे पर भाजपा की काट के लिए जन सरोकारों से जुड़ना होगा। धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण न हो, इसके लिए रणनीति बनानी होगी। सपा के राष्ट्रीय सचिव व मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहते हैं कि राम आस्था और श्रद्धा का विषय हैं। भाजपा को इन पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। प्रदेश में किसान, नौजवान, छात्र, व्यापारी सभी परेशान हैं। कोरोना पर नियंत्रण करने में सरकार नाकाम रही है। अर्थव्यवस्था रसातल में पहुंच गई है। किसानों की जमीन को पूंजीपतियों को सौंपने की साजिश चल रही है। इन सभी मुद्दों पर भाजपा व उसकी सरकार की घेराबंदी की जाएगी।

विपक्ष ने भांपा हवा का रुख, मंदिर निर्माण का स्वागत...
हवा का रुख भांपते हुए विपक्षी दलों, खासतौर पर सपा, बसपा व कांग्रेस ने उदार रुख दिखाया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कहते हैं कि राम भी हमारे हैं और कृष्ण भी। वहीं, कहते हैं कि वे भाजपाइयों से बड़े हिंदू हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि राम सबके हैं। राहुल गांधी को भी की याद आई है। कई कांग्रेसी यह कहने में गुरेज नहीं करते थे कि जन्मभूमि का का ताला कांग्रेस सरकार में खुला, शिलान्यास कांग्रेस सरकार में हुआ। 

भूमि पूजन के उत्सव में छिपी महत्वाकांक्षा
जिस अयोध्या व राम मंदिर मुद्दे को लेकर भाजपा ने राजनीतिक सीढ़ियां चढ़ी, उसका संकल्प पूरा होने को है। 5 अगस्त को प्रधानमंत्री ने भूमि पूजन कर मंदिर के  कार्य का शुभारंभ कर दिया। इसके लिए कोरोना काल के बावजूद भाजपा ने अयोध्या समेत देशभर में उत्सव जैसा माहौल बनाया, उससे भगवा खेमे की इस मुद्दे के राजनीतिक लाभ की आकांक्षा को समझा जा सकता है। जाहिर है, डेढ़ साल बाद होने वाले प्रदेश विधानसभा के चुनाव में भाजपा राम मंदिर निर्माण का राजनीतिक लाभ लेने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। उसकी कोशिश चुनाव में सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण कराने की होगी। ऐसे में नजरें विपक्षी दलों की रणनीति पर होगी कि वे भाजपा के मंसूबों की काट कर पाते हैं या नहीं। वोटों का ध्रुवीकरण रोक पाते हैं या नहीं।

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