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मोदी का मौन भी होता रहा मुखर ...श्रद्धा के सरोकार, प्रतीकों से धार

अखिलेश वाजपेयी, लखनऊ Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Thu, 06 Aug 2020 04:29 AM IST
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Modi's silence has also been outspoken in bhumi poojan ceremony
PM MODI IN Ayodhya - फोटो : PTI
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अयोध्या यात्रा पूरी तरह भक्ति भाव में डूबी दिखी। हर क्षण व हर कदम पर मोदी पूरी तरह श्रद्धा के सरोकारों में डूबे दिखे। यह बात दीगर है कि उनके श्रद्धा के सरोकारों की मौन मुद्राएं भी लोगों के मनों में मुखर होकर बैठती दिखी। साथ ही प्रतीक बनकर सियासी समीकरणों को धार देने में भी कसर नहीं छोड़ी। हो भी क्यों न आखिर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की शुरुआत के साथ वह करोड़ों लोगों की 500 वर्षों की प्रतीक्षा को पूर्णता और सपनों को साकार करने का माध्यम जो बन रहे थे ।

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प्रधानमंत्री की अयोध्या यात्रा की हर मुद्रा व भाव-भंगिमा तथा वेशभूषा इस मौके के मनोभावों का पूरी तरह प्रगटीकरण कर रही थी। हो भी क्यों न मोदी लोकभावों की बड़ी समझ जो रखते हैं। तभी तो 2014 में अपने नेतृत्व में आजाद भारत में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद वह जब लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद पहुंचे तो उन्होंने संसद भवन की सीढ़ियों पर माथा टेककर आने वाली राजनीति के बड़े संकेत दे दिए। उसी तरह उन्होंने आज रामलला के सामने जब साष्टांग दंडवत, दर्शन, पुजारियों व संतों के प्रति सम्मान, आरती से लेकर कोदंड राम की मूर्ति हाथों में लेते समय व डाक टिकट जारी करते समय पर जिस का भाव को दिखाया उससे वह 500 वर्षों की प्रतीक्षा को साकार करते हुए भविष्य के प्रसाद का भी प्रबंध कर गए।
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प्रतीकों से साधे हिंदुत्व के सरोकार : 
मोदी की मुद्राओं ने आस्था व संविधान दोनों में संतुलन बनाने और आलोचकों को मुंह बंद करने के लिए मुखरता से ज्यादा मौन का सहारा लिया। धार्मिक कर्मकांडों के  बीच मोदी ने वाराह भगवान की पूजा अर्चना कर और हिंदू मतावलंबियों सहित बौद्ध, सिख और जैन शाखा की डोर को भी अवध से जोड़कर राजनीति की गणित भी साधी। आने वाले दिनों में इस यात्रा की राजनीतिक गूंज होगी तो होती रहे, लेकिन मोदी शायद तब भी तुलसी बाबा की शरण में होंगे और अचरज न होगा कि उस समय भी वह अपनी मुद्राओं से आलोचकों को कोई नया जवाब दे जाएं।

इस तरह साधे समीकरण
उन्होंने अपने हाव-भाव से इस यात्रा को पूरी तरह एक भक्त की भगवान के दरबार की यात्रा के रूप में ही बांधे रखने की कोशिश की। रामलला के दरबार में साष्टांग दंडवत और जन्मभूमि की मिट्टी का तिलक की स्मृतियों ने उन्हें लोगों के दिलों में गहरे से उतार दिया। आमतौर पर पाजामा कुर्ता में दिखने वाले प्रधानमंत्री आज सफेद धोती, सुनहरे रंग का कुर्ता और पीले व गले में भगवा रंग का अंगौछा डाले एक सनातनी यजमान के रूप में दिख रहे थे। यह वेशभूषा उन्हें प्रधानमंत्री से भिन्न एक सामान्य श्रद्धालु के रूप में लोगों के सरोकारों से सीधे जोड़ती दिखी ।

इस तरह संदेश
अयोध्या में उन्होंने हनुमान गढ़ी में पूरे भक्ति भाव से आरती की और मंदिर की प्रदक्षिणा के साथ प्रणाम कर दक्षिणा भी अर्पित की। हावभाव और प्रतीकों से लोगों को संदेश देने के महारथी मोदी के सिर पर जब हनुमान जी के प्रसाद व आशीर्वाद के रूप में मंदिर के महंत ने पगड़ी रखी और रामनामी उनके गले में डाली तो प्रधानमंत्री ने जिस तरह श्रदाभाव से महंत का आभार जताया उससे भी वह लोगों के दिलों में उतर गए।

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