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बालश्रम में लिप्त बच्चों के मामलों को गंभीरता लें : डीएम
संवाद न्यूज एजेंसी, पौड़ी
Updated Thu, 13 Nov 2025 04:15 PM IST
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पौड़ी। जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को जिला कार्यालय सभागार में जिला बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति की बैठक हुई। इस दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि बालश्रम में लिप्त बच्चों के मामलों को अत्यंत गंभीरता से लिया जाए। उन्होंने बच्चों के रचनात्मक विकास पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए, ताकि वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें।
जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य और पुलिस विभाग को वन स्टॉप सेंटर से समन्वय स्थापित कर कार्य करने को कहा। उन्होंने नशामुक्ति अभियान के तहत शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग को मिलकर दुकानों में नशीले पदार्थों के संबंध में सघन चेकिंग अभियान चलाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने ड्रॉपआउट बच्चों की काउंसलिंग, अनाथ और एकल माता-पिता वाले बच्चों की सूची तैयार की जाए ताकि उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ा जा सके। इसके लिए उन्होंने ग्राम प्रहरी, पटवारी और स्थानीय प्रतिनिधियों का सहयोग लेने को कहा। उन्होंने कहा कि जिले में कोई भी बच्चा शैक्षणिक, सामाजिक या मानसिक रूप से उपेक्षित न रहे। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में फंसे बच्चों के पुनर्वास के लिए एक विशेष कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश भी दिए।
बैठक में बताया कि कोटद्वार में राजकीय महिला कल्याण एवं पुनर्वास केंद्र में बालिकाओं को विद्यालय जाने, चिकित्सा व अन्य आपातकालीन सुविधाओं के लिए वाहन की आवश्यकता है। इस पर जिलाधिकारी ने वाहन व्यवस्था के लिए प्रस्ताव उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए।
इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. शिव मोहन शुक्ला, अपर जिला समाज कल्याण अधिकारी अनिल सेमवाल, सहायक बाल विकास अधिकारी आशा रावत आदि मौजूद रहे।
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जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य और पुलिस विभाग को वन स्टॉप सेंटर से समन्वय स्थापित कर कार्य करने को कहा। उन्होंने नशामुक्ति अभियान के तहत शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग को मिलकर दुकानों में नशीले पदार्थों के संबंध में सघन चेकिंग अभियान चलाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने ड्रॉपआउट बच्चों की काउंसलिंग, अनाथ और एकल माता-पिता वाले बच्चों की सूची तैयार की जाए ताकि उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ा जा सके। इसके लिए उन्होंने ग्राम प्रहरी, पटवारी और स्थानीय प्रतिनिधियों का सहयोग लेने को कहा। उन्होंने कहा कि जिले में कोई भी बच्चा शैक्षणिक, सामाजिक या मानसिक रूप से उपेक्षित न रहे। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में फंसे बच्चों के पुनर्वास के लिए एक विशेष कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश भी दिए।
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बैठक में बताया कि कोटद्वार में राजकीय महिला कल्याण एवं पुनर्वास केंद्र में बालिकाओं को विद्यालय जाने, चिकित्सा व अन्य आपातकालीन सुविधाओं के लिए वाहन की आवश्यकता है। इस पर जिलाधिकारी ने वाहन व्यवस्था के लिए प्रस्ताव उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए।
इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. शिव मोहन शुक्ला, अपर जिला समाज कल्याण अधिकारी अनिल सेमवाल, सहायक बाल विकास अधिकारी आशा रावत आदि मौजूद रहे।