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Rishikesh News: प्रदेश में एक लाख हेक्टेयर से अधिक जंगल हो गया खत्म
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- मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए बड़कोट वन रेंज में कार्यशाला आयोजित
जौलीग्रांट। बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए बड़कोट वन रेंज में कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के सलाहकार हेमशंकर मैंदोला ने कहा कि प्रदेश में लगभग एक लाख 22 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र विकास कार्यों के कारण खत्म हो गया है। यह मानव-वन्यजीव संघर्ष का प्रमुख कारण है। दून एयरपोर्ट, एसडीआरएफ मुख्यालय, ऋषिकेश आईडीपीएल, बीएचईएल हरिद्वार, लच्छीवाला टोल बैरियर, चीला पॉवर हाउस, टिहरी डैम सहित पूरे प्रदेश में सैकड़ों प्रोजेक्ट वन भूमि पर स्थापित किए गए हैं। प्रदेश के जंगलों में करीब 40 प्रतिशत भूमि पर लैंटाना की झाड़ियां उग आई हैं, जिनमें वन्यजीव छिपते तो हैं लेकिन रहते नहीं हैं। 1957 से पहले तक हरिद्वार गैंडीखाता में गैंडे पाए जाते थे। विकास कार्यों के कारण वन क्षेत्र प्रभावित होने से वन्यजीव आबादी का रुख कर रहे हैं। राजाजी वन क्षेत्र में रेलवे ट्रैक पर अब करीब 42 ट्रेनें प्रतिदिन दौड़ रही हैं। इनसे वन्यजीवों की आवाजाही प्रभावित हो रही है। पहले पशुपालक अपने बाड़े आदि में काफी पालतू जानवर रखते थे लेकिन अब कुत्ते पालने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। इस कारण गुलदार कुत्ते पर हमला कर रहे हैं। कुत्ते नहीं मिलने पर आबादी क्षेत्र में घुसकर बच्चों को निशाना बना रहे हैं। कार्यशाला में रेंजर धीरज रावत, तकनीकी विशेषज्ञ पंकज जोशी, कॉडिनेटर आकांशा गोगई ग्रामीण और वनकर्मी उपस्थित रहे।
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स्वयंसेवियों की मदद लेने पर विचार
जौलीग्रांट। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए गांवों और जंगल के आसपास के इलाकों में स्वयंसेवियों की टीमों को तैनात करने पर विचार किया जा रहा है। जिन्हें प्रशिक्षण के बाद टॉर्च, मोबाइल फोन, अन्य उपकरण देकर फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में तैयार किया जाएगा। इन्हें मानदेय भी मिलेगा।
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जौलीग्रांट। बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए बड़कोट वन रेंज में कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के सलाहकार हेमशंकर मैंदोला ने कहा कि प्रदेश में लगभग एक लाख 22 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र विकास कार्यों के कारण खत्म हो गया है। यह मानव-वन्यजीव संघर्ष का प्रमुख कारण है। दून एयरपोर्ट, एसडीआरएफ मुख्यालय, ऋषिकेश आईडीपीएल, बीएचईएल हरिद्वार, लच्छीवाला टोल बैरियर, चीला पॉवर हाउस, टिहरी डैम सहित पूरे प्रदेश में सैकड़ों प्रोजेक्ट वन भूमि पर स्थापित किए गए हैं। प्रदेश के जंगलों में करीब 40 प्रतिशत भूमि पर लैंटाना की झाड़ियां उग आई हैं, जिनमें वन्यजीव छिपते तो हैं लेकिन रहते नहीं हैं। 1957 से पहले तक हरिद्वार गैंडीखाता में गैंडे पाए जाते थे। विकास कार्यों के कारण वन क्षेत्र प्रभावित होने से वन्यजीव आबादी का रुख कर रहे हैं। राजाजी वन क्षेत्र में रेलवे ट्रैक पर अब करीब 42 ट्रेनें प्रतिदिन दौड़ रही हैं। इनसे वन्यजीवों की आवाजाही प्रभावित हो रही है। पहले पशुपालक अपने बाड़े आदि में काफी पालतू जानवर रखते थे लेकिन अब कुत्ते पालने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। इस कारण गुलदार कुत्ते पर हमला कर रहे हैं। कुत्ते नहीं मिलने पर आबादी क्षेत्र में घुसकर बच्चों को निशाना बना रहे हैं। कार्यशाला में रेंजर धीरज रावत, तकनीकी विशेषज्ञ पंकज जोशी, कॉडिनेटर आकांशा गोगई ग्रामीण और वनकर्मी उपस्थित रहे।
स्वयंसेवियों की मदद लेने पर विचार
जौलीग्रांट। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए गांवों और जंगल के आसपास के इलाकों में स्वयंसेवियों की टीमों को तैनात करने पर विचार किया जा रहा है। जिन्हें प्रशिक्षण के बाद टॉर्च, मोबाइल फोन, अन्य उपकरण देकर फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में तैयार किया जाएगा। इन्हें मानदेय भी मिलेगा।
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