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श्रीनगर पोस्टर से दिल्ली धमाके तक, समझिए पूरी कहानी
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 12 Nov 2025 01:01 PM IST
दिल्ली में हुए विस्फोट के बाद जो जांच शुरू हुई, उसने देशभर में फैले एक खतरनाक आतंकी नेटवर्क की जड़ें हिला दीं। जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में एक साथ हुई छापेमार कार्रवाई में पुलिस ने अब तक का सबसे बड़ा विस्फोटक जखीरा करीब 2,900 किलो आईईडी सामग्री, असॉल्ट राइफलें, पिस्तौल, रसायन और ज्वलनशील पदार्थ बरामद किए हैं।
जांच की सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इस पूरे नेटवर्क की पोल श्रीनगर में लगे कुछ पोस्टरों ने खोली।
19 अक्टूबर को श्रीनगर के नौगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के नाम से धमकी भरे उर्दू पोस्टर लगाए गए थे। इनमें पुलिस और सुरक्षा बलों को चेतावनी दी गई थी कि स्थानीय लोग उनका सहयोग न करें और अपनी दुकानों में उन्हें न बैठने दें।
इन्हीं पोस्टरों से शुरू हुई जांच ने पुलिस को ऐसे नेटवर्क तक पहुंचाया, जो न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फैला हुआ था।
पोस्टरों के सुराग से पुलिस ने पहले शोपियां के मौलवी इरफान अहमद वाघे और गांदरबल के जमीर अहमद को गिरफ्तार किया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि इस मॉड्यूल की कड़ी फरीदाबाद के मेडिकल कॉलेज तक जाती है। 5 नवंबर को सहारनपुर से डॉ. आदिल पकड़ा गया और फिर 8 नवंबर को फरीदाबाद के अल फलाह मेडिकल कॉलेज में छापेमारी हुई, जहां से पिस्तौल, बंदूकें और बारूद बरामद हुए। इसी कड़ी में प्रोफेसर डॉ. मुजम्मिल का नाम सामने आया, जिसने जांच को एक नए मोड़ पर ला दिया। उसके जरिये पुलिस महिला आतंकी शाहीन तक पहुंची, जबकि डॉक्टर उमर फरार हो गया।
पुलिस की संयुक्त टीमों ने डॉ. मुजम्मिल की निशानदेही पर फरीदाबाद के धौज क्षेत्र में दो ठिकाने खोजे। यहां से 358 किलो अमोनियम नाइट्रेट, एक क्रिंकोव असॉल्ट राइफल, 83 कारतूस, एक पिस्तौल और बम बनाने की सामग्री बरामद की गई। इसके बाद 9 नवंबर को एक ‘मदरासी’ नामक व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई, जिसकी निशानदेही पर अगले दिन 2563 किलो विस्फोटक और मिला। तीनों राज्यों में चले इस ऑपरेशन ने जैश के वाइट कॉलर नेटवर्क की परतें खोल दीं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह आतंकी साजिश दो साल से रची जा रही थी। आतंकी समूह एन्क्रिप्टेड चैनलों के जरिये धन जुटा रहा था और लोगों को कट्टरपंथी बनाने में पेशेवर और शिक्षित वर्ग का इस्तेमाल कर रहा था। धर्मार्थ संस्थानों की आड़ में फंडिंग और भर्ती दोनों का सिलसिला चुपचाप चल रहा था।
जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने दिल्ली विस्फोट की निंदा करते हुए कहा, “सभ्य समाज में आतंक का कोई स्थान नहीं है। यह निर्दोषों में भय फैलाने की कायराना कोशिश है।”
वहीं पूर्व डीजीपी एस.पी. वैद ने खुलासा किया कि पाकिस्तान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में नाकाम रहने के बाद भारत में बड़े हमले की फिराक में था।
उनके मुताबिक, “दिल्ली धमाका इसी बौखलाहट का नतीजा था।”
श्रीनगर के एक पोस्टर से शुरू हुई यह जांच तीन राज्यों तक पहुंच गई और एक विशाल आतंकी जाल का पर्दाफाश हुआ। पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने न केवल हजारों किलो विस्फोटक जब्त किया, बल्कि एक ऐसे नेटवर्क को तोड़ दिया जो देश की राजधानी को दोबारा दहलाने की साजिश रच रहा था।
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