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These questions, which arose after the blast, have not yet been answered.
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धमाके के बाद खड़े हुए इन सवालों के नहीं मिले अब तक जवाब
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 12 Nov 2025 03:28 PM IST
दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के पास हुआ भीषण धमाका अब राजधानी की सुरक्षा और खुफिया व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर रहा है। सोमवार शाम 6:52 बजे, लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास एक चलती i20 कार में हुआ विस्फोट न सिर्फ दस जिंदगियां निगल गया बल्कि दिल्ली पुलिस से लेकर केंद्रीय एजेंसियों तक सबको चौकन्ना कर गया। धमाके के बाद पूरे देश में एक ही सवाल गूंज रहा है आखिर इतने हाई-सिक्योरिटी जोन में यह कार और विस्फोटक कैसे पहुंच गया?
खुफिया अलर्ट था, फिर भी चूक क्यों?
सूत्रों के मुताबिक, कुछ दिन पहले दिल्ली पुलिस और खुफिया एजेंसियों को आतंकी हमले की आशंका को लेकर इनपुट मिले थे। बावजूद इसके, ऐसा बड़ा विस्फोट राजधानी के सबसे संवेदनशील इलाकों में से एक में हो गया। अब जांच इस बात पर केंद्रित है कि खुफिया सूचना के बावजूद चूक कहां हुई। क्या अलर्ट को स्थानीय स्तर पर गंभीरता से नहीं लिया गया, या फिर साजिश इतनी सटीक थी कि एजेंसियां गच्चा खा गईं?
जांच के मुताबिक, 10 नवंबर दोपहर 3:19 बजे संदिग्ध i20 कार लाल किला पार्किंग में दाखिल हुई। करीब तीन घंटे बाद 6:48 बजे वह पार्किंग से निकली और महज चार मिनट बाद 6:52 बजे सुभाष मार्ग की लाल बत्ती के पास विस्फोट हो गया। एफआईआर में दर्ज है कि धमाके से पुलिस चौकी की दीवार तक ढह गई, कई वाहन जल उठे, और सड़क पर शव बिखरे पड़े थे। प्राथमिकी के मुताबिक, चौकी प्रभारी विनोद नैन की शिकायत पर मामला दर्ज हुआ।
दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट किया है कि यह सिलेंडर फटने या आकस्मिक विस्फोट नहीं, बल्कि “आतंकी बम धमाका” था। एफआईआर में यूएपीए (धारा 16 और 18), विस्फोटक अधिनियम की धारा 3 और 4, और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराएं लगाई गई हैं-
• धारा 103(1) हत्या के लिए,
• धारा 109(1) हत्या के प्रयास के लिए,
• धारा 161(2) वरिष्ठ अधिकारी पर हमले के लिए उकसाने की।
पुलिस ने इस हमले को “आतंकी साजिश का हिस्सा” बताया है और जांच को स्पेशल सेल तथा एनआईए के हवाले कर दिया गया है।
धमाके के शुरुआती सुराग अब सीधे जम्मू-कश्मीर और हरियाणा-यूपी मॉड्यूल से जुड़ते दिख रहे हैं। बीते दिनों जिन अभियानों में पुलिस ने करीब 2,900 किलो विस्फोटक सामग्री जब्त की थी, उन छापों के धागे इस ब्लास्ट से जुड़ते नजर आ रहे हैं। फरीदाबाद के अल फलाह मेडिकल कॉलेज, सहारनपुर के डॉक्टरों और श्रीनगर के मौलवियों के नेटवर्क के बीच बातचीत के एन्क्रिप्टेड रिकॉर्ड्स मिले हैं। सूत्र बताते हैं कि संदिग्ध उमर मोहम्मद इसी नेटवर्क का हिस्सा था, जो संभवतः दिल्ली में इस धमाके को अंजाम देने आया था।
इस विस्फोट के बाद कई ऐसे सवाल खड़े हुए हैं, जो अब सुरक्षा व्यवस्था की जड़ें हिला रहे हैं-
• अगर अलर्ट था तो कार को कैसे एंट्री मिली?
• पार्किंग में तीन घंटे तक कार रही, अटेंडेंट क्या कर रहा था?
• विस्फोटक दिल्ली तक पहुंचा कैसे और कहां से आया?
• क्या यह अकेले उमर मोहम्मद का काम था या किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा?
• अल फलाह यूनिवर्सिटी और अन्य जगहों पर क्या और लोग इस टेरर मॉड्यूल से जुड़े हैं?
• क्या इस साजिश के पीछे जैश-ए-मोहम्मद या लश्कर जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन हैं?
ये सभी सवाल अब जांच एजेंसियों के लिए सबसे अहम हैं।
पुलिस को शक है कि इस हमले की फंडिंग विदेश से हुई, संभवतः सोशल या धर्मार्थ संस्थानों के नाम पर। जांच एजेंसियां कई एन्क्रिप्टेड चैनलों और बैंक खातों की निगरानी कर रही हैं, ताकि “वाइट कॉलर आतंकी नेटवर्क” की पहचान की जा सके। फिलहाल मुख्य मास्टरमाइंड की तलाश जारी है। पुलिस मान रही है कि यह हमला दो साल से तैयार हो रही एक गहरी साजिश का हिस्सा था।
धमाके के बाद दिल्ली, हरियाणा, यूपी और जम्मू-कश्मीर में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और मॉल्स पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी लगातार जांच की निगरानी कर रहे हैं और हर CCTV फुटेज को खंगाला जा रहा है।
पूर्व डीजीपी एस.पी. वैद ने कहा, “यह स्पष्ट रूप से भारत की स्थिरता को चुनौती देने की कोशिश है। पाकिस्तान समर्थित नेटवर्क, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की नाकामी के बाद बौखलाया हुआ है।”
वहीं, डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने घटना की निंदा करते हुए कहा, “सभ्य समाज में आतंक का कोई स्थान नहीं है। यह निर्दोषों में भय फैलाने की कायराना कोशिश है।”
लाल किला विस्फोट ने दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था की असल परीक्षा ले ली है। धमाके से जुड़े सुराग अब कई राज्यों में फैल चुके हैं डॉक्टरों से लेकर मौलवियों तक का नेटवर्क, सोशल फंडिंग से लेकर स्लीपर सेल तक। अब सबसे बड़ा सवाल यही है क्या पुलिस इस ब्लास्ट के असली मास्टरमाइंड तक पहुंच पाएगी, या यह हमला देश की खुफिया प्रणाली की सबसे बड़ी चेतावनी बनकर रह जाएगा?
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