पहली ही फिल्म को लेकर मुश्किल में अनिल कपूर के बेटे, अब क्या करेंगे?
दो कथानकों पर एक ही समय में फिल्म आए तो टकराव होता है। मिर्जा-साहिबा की प्रेम कहानी पर आधारित राकेश ओम प्रकाश मेहरा की मिर्जिया की चर्चा थी कि अचानक मिर्जा सामने आ गई। मिर्जा सितंबर में और मिर्जिया अक्तूबर में रिलीज होगी।
बॉलीवुड इस साल अक्तूबर में जहां अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्द्धन की फिल्म मिर्जिया की रिलीज का इंतजार कर रहा है, वहीं इसी कथानक पर एक और फिल्म मिर्जा सितंबर में रिलीज को तैयार है। दोनों फिल्में प्रसिद्ध मिर्जा-साहिबा की प्रेम कहानी पर आधारित हैं और निर्देशकों ने इन्हें मॉडर्न अंदाज में पेश किया है।
इस लिहाज से इन कहानियों को कहने का ढंग कुछ मेल खाता है। दोनों फिल्मों में नए चेहरे लॉन्च हो रहे हैं और उनके साथ सपोर्टिंग कास्ट मंजे हुए कलाकारों की है। मिर्जिया का निर्देशन रंग दे बसंती जैसी क्लासिक फिल्म के निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने किया है, जबकि मिर्जा निर्देशक हेमंत प्रदीप की पहली फिल्म है। हेमंत बीस साल से टीवी और विज्ञापन जगत से जुड़े हैं। उन्होंने कई पंजाबी धारावाहिक बनाए हैं।
हर्षवर्धन को लग सकता है झटका
अक्सर देखा गया है कि किसी एक कथानक पर दो या उससे ज्यादा फिल्में आने पर टकराव से एक ही फिल्म को फायदा मिलता है। मिर्जिया महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है और ऐसे में मिर्जा का उससे पहले आना, हर्षवर्द्धन कपूर तथा सियामी खेर जैसे हाई प्रोफाइल ऐक्टरों के लिए भविष्य में कठिनाइयां पेश कर सकता है क्योंकि कहानी को लेकर दर्शक का रोमांच पहले रिलीज होने वाली फिल्म को देख कर कम हो सकता है।
हालांकि इसका उल्टा भी संभव है कि दर्शक राकेश ओमप्रकाश मेहरा और गुलजार जैसे दिग्गजों द्वारा तैयार मिर्जिया का इंतजार करें और मिर्जा की उपेक्षा कर दें। मिर्जिया की तरह मिर्जा में भी दो नए चेहरे सूर्यांश और सानवी लॉन्च हो रहे हैं। इन्हें मदद करने के लिए मिर्जा में कबीर बेदी, रवि किशन, रंजीत, फरीदा जलाल, दीपशिखा जैसे चेहरे हैं। मीत ब्रदर्स अंजान, कुमार तथा रेमो डिसूजा जैसे नामों ने इसमें संगीत-गीत और कोरियोग्राफी की है। वहीं मिर्जिया में हर्षवर्द्धन और सियामी के साथ ओमपुरी, केके रैना और अंजली पाटिल जैसे ऐक्टर हैं। फिल्म दिग्गज राइटर गुलजार ने लिखी है।
सूत्रों की मानें तो मिर्जा की कहानी मिर्जिया की तर्ज पर ही तैयार हुई। जिसमें मुख्य पात्रों सनी (मिर्जा) और सीरत (साहिबा) के प्रेम के सामनांतर पांच सौ साल पीछे पृष्ठभूमि में मिर्जा-साहिबा के प्यार की कहानी चलती है। उल्लेखनीय है कि मिर्जिया में भी मिर्जा-साहिबा की लोक-कहानी के बीच आज के जमाने में युवा प्रेमियों की दास्तान दिखेगी। वैसे मिर्जा में सनी-सीरत को मिर्जा-साहिबा के पुनर्जन्म के रूप में दिखाया गया है। सनी और सीरत कॉलेज में मिलते हैं। उन्हें एक-दूसरे से प्यार हो जाता है। सवाल यह कि क्या मिर्जा-साहिबा की दोनों मॉडर्न कहानियों में इस बार कुछ अलग होगा या इतिहास खुद को दोहराएगा और ये प्रेमी मिल नहीं पाएंगे?
आखिर मिर्जा-साहिबा क्यों?
पंजाब प्रेम कहानियों धरती है। लैला-मजनूं, सोहनी-महिवाल, सस्सी-पन्नू। ये ऐसी कहानियां हैं जिनमें दोनों ही प्रेमी बड़े अच्छे हैं। मगर मिर्जा-साहिबा जरा अलग है क्योंकि यहां मिर्जा के किरदार में थोड़े ग्रे शेड्स हैं। यह बात उसे ज्यादा इंट्रेस्टिंग और दूसरों से अलग बनाती है। मिर्जा की कहानी मैंने एक सीरियल बनाते हुए कुछ साल पहले सुनी थी और तभी तय कर लिया था एक दिन इस पर फिल्म जरूर बनाऊंगा।
हेमंत प्रदीप, मिर्जा
मैंने कॉलेज में मिर्जा-साहिबा का नाटक देखा था। यह बड़ी प्यारी कहानी लगी थी मुझे। कहानियां हमने लैला-मजनूं, शीरीं-फरहाद की भी सुनी थी। मगर साहिबा जैसी सशक्त केंद्रीय महिला पात्र और प्यार के मायनों को लेकर इतनी अनोखी बात मेरे को कहीं नहीं दिखी। जिस मिर्जा से साहिबा प्यार करती थी, उससे अपने भाइयों को बचाने के लिए मिर्जा के तीर तोड़ दिए! ये प्यार चीज क्या है? इसका लॉजिक क्या है।
राकेश ओमप्रकाश मेहरा, मिर्जिया