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Baloch activist Karima Baloch found dead in Canada Harbourfront after Pakistan atrocities
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पाक के अत्याचारों से तंग होकर कनाडा भागीं बलूच कार्यकर्ता करीमा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, टोरंटो
Published by: अनवर अंसारी
Updated Tue, 22 Dec 2020 12:33 PM IST
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करीमा बलूच (फाइल फोटो)
- फोटो : social media
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बलूच कार्यकर्ता करीमा बलूच कनाडा के हार्बरफ्रंट में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाई गई है। बलूच ने साल 2016 में पाकिस्तान से भागकर कनाडा में शरण ली थी। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने करीमा का शव टोरंटो में एक झील के किनारे पाया।
करीमा बलूच के पति हम्माल हैदर और भाई ने शव की पहचान की है। फिलहाल शव को पुलिस कस्टडी में रखा गया है। करीमा साल 2016 में कुछ दोस्तों और बलूच कार्यकर्ताओं की मदद से बलूचिस्तान से भागकर कनाडा गई थीं। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान में उनकी जान को खतरा है।
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करीमा बलोच (फाइल फोटो)
- फोटो : social media
करीमा कनाडा में बसने वाले पूर्व पाकिस्तानी सेना अधिकारियों की एक कठोर आलोचक थीं और बलूचिस्तान की आजादी के सबसे मुखर प्रस्तावकों में से एक थीं। 2016 में ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए रिकॉर्ड किया हुआ 'रक्षा बंधन संदेश' भेजा था।
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करीमा बलोच (फाइल फोटो)
- फोटो : social media
वहीं, करीमा की मौत के बाद बलूच नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) ने 40 दिनों के शोक का एलान किया है। कनाडा में निर्वासन में रह रहे बीएनएम नेता और बलूच छात्र संगठन (बीएसओ) के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि करीमा बलूच की शहादत बलूच राष्ट्र और राष्ट्रीय आंदोलन के लिए बहुत बड़ी क्षति है।
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करीमा बलोच (फाइल फोटो)
- फोटो : social media
बीएनएम के प्रवक्ता के बयान में कहा गया, करीमा की मृत्यु के साथ, हमने एक दूरदर्शी नेता और एक राष्ट्रीय प्रतीक खो दिया है। बलूच राष्ट्रीय आंदोलन ने अपने नेता करीमा बलूच की आकस्मिक मृत्यु को लेकर 40 दिनों का शोक घोषित किया है और सभी क्षेत्रों को 40 दिनों के लिए अन्य गतिविधियों को निलंबित करने का निर्देश दिया गया है।
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करीमा बलोच (फाइल फोटो)
- फोटो : social media
बलूचिस्तान में करीमा की लोकप्रियता का बढ़ना उनकी जान के लिए खतरा बनने लगा था। वह पाकिस्तानी सरकार और सेना की आंखों में खटकने लगी थीं। उन्होंने पाकिस्तानी सेना द्वारा बलूचिस्तान में किए जाने वाले मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में संयुक्त राष्ट्र में भी आवाज उठाई थी।
कनाडा में शरणार्थी बनने को मजबूर हुईं करीमा को 2016 में बीबीसी ने 100 सबसे प्रभावशाली महिलाओं में शुमार किया था। गौरतलब है कि पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के चलते कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं को देश छोड़ना पड़ा है। इनमें से ज्यादातर ने कनाडा और यूरोपीय देशों में शरण ली हुई है।
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