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Bangladesh: बांग्लादेश में सेना को चेतावनी, 15 अफसरों को अदालत में पेश नहीं किया गया तो घोषित होंगे फरार
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका
Published by: लव गौर
Updated Wed, 22 Oct 2025 01:56 AM IST
सार
Bangladesh News: बांग्लादेशी न्यायाधिकरण के अभियोजन पक्ष ने सेवारत अधिकारियों के मुकदमे को लेकर सेना को चेतावनी दी है। जिसमें कहा गया है कि अगर 15 मौजूदा सैन्य अधिकारी बुधवार तक अदालत में पेश नहीं किए गए, तो उन्हें 'फरार' घोषित कर दिया जाएगा।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण की अभियोजन टीम ने मंगलवार (21 अक्तूबर) को सेना को सख्त चेतावनी दी है कि अगर उनके 15 सेवारत अधिकारियों को बुधवार को अदालत में पेश नहीं किया गया, तो उन्हें "भगोड़ा" घोषित कर दिया जाएगा।
15 सेना अफसरों को कड़ी चेतावनी
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (बांग्लादेश), जिसे संक्षेप में आईसीटी (बांग्लादेश) कहा जाता है, उसके अभियोजक गाजी एमएच तमीम ने मीडिया से कहा, "“अगर वे बुधवार को अदालत में पेश नहीं होते हैं या सेना उन्हें प्रस्तुत नहीं करती, तो ट्रिब्यूनल नई तारीख तय करेगा और उनके समन के नोटिस दो अखबारों में प्रकाशित किए जाएंगे। यदि वे उस तारीख पर भी नहीं आते, तो उन्हें ‘फरार’ घोषित कर दिया जाएगा।”
उन्होंने बताया कि न्यायाधिकरण ने इससे पहले कई सेवानिवृत्त और वर्तमान अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे और पुलिस महानिरीक्षक को उसे लागू करने का आदेश दिया गया था। साथ ही वारंट की प्रतियां संबंधित बलों के प्रमुखों को भी भेजी गई थीं। तमीम ने आगे कहा, "अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण अधिनियम के तहत आरोपी अधिकारी या तो स्वेच्छा से पेश हो सकते हैं या कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार करके न्यायाधिकरण में लाए जा सकते हैं।"
शेख हसीना के शासन से जुड़ा है मामला
आईसीटी-बीडी ने 8 अक्तूबर को 16 सेवारत सैन्य अधिकारियों और 14 अन्य लोगों, जिनमें अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना भी शामिल हैं, के खिलाफ पिछले अवामी लीग शासन के दौरान "राजनीतिक असंतुष्टों के जबरन गायब होने, अपहरण और यातना" में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किए। 11 अक्तूबर को एक मीडिया ब्रीफिंग में सेना ने कहा कि आईसीटी-बीडी द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी करने के तुरंत बाद उन्होंने 16 में से 15 अधिकारियों को "सैन्य हिरासत" में ले लिया। हालांकि, सेना ने दावा किया कि उन्हें किसी औपचारिक वारंट की प्रति प्राप्त नहीं हुई है।
आईसीटी-बीडी के मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने सेना की घोषणा के बाद लगातार दो दिनों तक उनकी अदालत में पेशी की मांग की, लेकिन सेना ने इसको अनसुना कर दिया। इस बीच, सरकार ने ढाका छावनी के भीतर एक इमारत को अस्थायी जेल घोषित कर दिया है, हालांकि इसके उद्देश्य को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। देशभर में इस ट्रायल को लेकर तनाव और अनिश्चितता का माहौल है।
बांग्लादेश सेना के एडजुटेंट जनरल मेजर जनरल मोहम्मद हकीमुज्जमां ने 11 अक्टूबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि उनके 16 अधिकारियों को सेना मुख्यालय में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था और उनमें से 15 ने जवाब दिया और उन्हें सैन्य हिरासत में रखा गया। हकीमुज्जमां ने कहा, "हमने वारंट मिलने से पहले ही कार्रवाई की थी।" उन्होंने यह नहीं बताया कि क्या उन्हें आईसीटी-बीडी के समक्ष पेश किया जाएगा, लेकिन उन्होंने कहा कि सेना अधिनियम नौ सेवानिवृत्त अधिकारियों पर लागू नहीं होता है और पुलिस वारंट पर कार्रवाई कर सकती है।
बीएनपी ने अंतरिम सरकार को चेताया
वहीं पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने भी इस मामले पर चिंता जताते हुए अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को आगाह किया कि सेना के साथ टकराव से बचा जाए। सलाउद्दीन अहमद ने कहा, “हम चाहते हैं कि सरकार और सेना के बीच अच्छे संबंध बने रहें। सेना में असंतुलन या असंतोष पैदा होना देश के लिए खतरनाक हो सकता है।”
गौरतलब है कि जुलाई 2024 में छात्र-नेतृत्व वाले हिंसक जन आंदोलन ‘जुलाई विद्रोह’ के बाद शेख हसीना की सरकार को अपदस्थ कर दिया गया था। हसीना भारत चली गईं और तीन दिन बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस फ्रांस से लौटकर अंतरिम सरकार के प्रमुख बने।
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15 सेना अफसरों को कड़ी चेतावनी
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (बांग्लादेश), जिसे संक्षेप में आईसीटी (बांग्लादेश) कहा जाता है, उसके अभियोजक गाजी एमएच तमीम ने मीडिया से कहा, "“अगर वे बुधवार को अदालत में पेश नहीं होते हैं या सेना उन्हें प्रस्तुत नहीं करती, तो ट्रिब्यूनल नई तारीख तय करेगा और उनके समन के नोटिस दो अखबारों में प्रकाशित किए जाएंगे। यदि वे उस तारीख पर भी नहीं आते, तो उन्हें ‘फरार’ घोषित कर दिया जाएगा।”
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उन्होंने बताया कि न्यायाधिकरण ने इससे पहले कई सेवानिवृत्त और वर्तमान अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे और पुलिस महानिरीक्षक को उसे लागू करने का आदेश दिया गया था। साथ ही वारंट की प्रतियां संबंधित बलों के प्रमुखों को भी भेजी गई थीं। तमीम ने आगे कहा, "अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण अधिनियम के तहत आरोपी अधिकारी या तो स्वेच्छा से पेश हो सकते हैं या कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार करके न्यायाधिकरण में लाए जा सकते हैं।"
शेख हसीना के शासन से जुड़ा है मामला
आईसीटी-बीडी ने 8 अक्तूबर को 16 सेवारत सैन्य अधिकारियों और 14 अन्य लोगों, जिनमें अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना भी शामिल हैं, के खिलाफ पिछले अवामी लीग शासन के दौरान "राजनीतिक असंतुष्टों के जबरन गायब होने, अपहरण और यातना" में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किए। 11 अक्तूबर को एक मीडिया ब्रीफिंग में सेना ने कहा कि आईसीटी-बीडी द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी करने के तुरंत बाद उन्होंने 16 में से 15 अधिकारियों को "सैन्य हिरासत" में ले लिया। हालांकि, सेना ने दावा किया कि उन्हें किसी औपचारिक वारंट की प्रति प्राप्त नहीं हुई है।
आईसीटी-बीडी के मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने सेना की घोषणा के बाद लगातार दो दिनों तक उनकी अदालत में पेशी की मांग की, लेकिन सेना ने इसको अनसुना कर दिया। इस बीच, सरकार ने ढाका छावनी के भीतर एक इमारत को अस्थायी जेल घोषित कर दिया है, हालांकि इसके उद्देश्य को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। देशभर में इस ट्रायल को लेकर तनाव और अनिश्चितता का माहौल है।
बांग्लादेश सेना के एडजुटेंट जनरल मेजर जनरल मोहम्मद हकीमुज्जमां ने 11 अक्टूबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि उनके 16 अधिकारियों को सेना मुख्यालय में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था और उनमें से 15 ने जवाब दिया और उन्हें सैन्य हिरासत में रखा गया। हकीमुज्जमां ने कहा, "हमने वारंट मिलने से पहले ही कार्रवाई की थी।" उन्होंने यह नहीं बताया कि क्या उन्हें आईसीटी-बीडी के समक्ष पेश किया जाएगा, लेकिन उन्होंने कहा कि सेना अधिनियम नौ सेवानिवृत्त अधिकारियों पर लागू नहीं होता है और पुलिस वारंट पर कार्रवाई कर सकती है।
बीएनपी ने अंतरिम सरकार को चेताया
वहीं पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने भी इस मामले पर चिंता जताते हुए अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को आगाह किया कि सेना के साथ टकराव से बचा जाए। सलाउद्दीन अहमद ने कहा, “हम चाहते हैं कि सरकार और सेना के बीच अच्छे संबंध बने रहें। सेना में असंतुलन या असंतोष पैदा होना देश के लिए खतरनाक हो सकता है।”
गौरतलब है कि जुलाई 2024 में छात्र-नेतृत्व वाले हिंसक जन आंदोलन ‘जुलाई विद्रोह’ के बाद शेख हसीना की सरकार को अपदस्थ कर दिया गया था। हसीना भारत चली गईं और तीन दिन बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस फ्रांस से लौटकर अंतरिम सरकार के प्रमुख बने।