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Bangladesh: बांग्लादेश में ताजा प्रदर्शनों के आह्वान को लेकर अलर्ट, पुलिस-अर्द्धसैनिक बलों ने बढ़ाई पेट्रोलिंग
न्यूज जेस्क, अमर उजाला, ढाका
Published by: श्वेता महतो
Updated Mon, 29 Jul 2024 06:34 PM IST
सार
कई अन्य छात्रों ने नए विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। उन्होंने दावा किया कि उनके नेताओं को पुलिस हिरासत में प्रदर्शन वापस लेने के लिए मजबूर किया गया। सरकार ने अपने नेताओं की रिहाई और प्रदर्शन में मारे गए लोगों के लिए माफी मांगने के अल्टीमेटम को नजरअंदाज कर दिया।
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बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर विरोध-प्रदर्शन और हिंसा
- फोटो : एएनआई / रॉयटर्स
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विस्तार
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार को लेकर हिंसा जारी है। देशभर में जारी हिंसा के बीच पहली बार बांग्लादेश सरकार ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि देशभर में फैले अशांति में 150 छात्रों की मौत हो चुकी है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान जारी कर बताया कि सरकार ने फैसला किया कि देशभर में कल शोक मनाया जाएगा। सोमवार को बांग्लादेशी सेना और अर्धसैनिक बल ने राजधानी ढाका में पेट्रोलिंग की। वहीं पुलिस ने चप्पे-चप्पे की कड़ी निगरानी कर रही है। गुप्त सूत्रों से मिले इनपुट के बाद सुरक्षा बलों ने उपद्रवियों से निपटने की सभी तैयारियां शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारी छात्रों के एक गुट ने बीती रात में ही नए दौर के विरोध प्रदर्शन का आह्वान कर दिया है। यह बात उस वक्त सामने आई, जब उनके छह समन्वयकों ने प्रदर्शन वापस लेने की घोषणा कर दी थी।
पीएमओ कार्यालय से जारी बयान में कहा गया, "कल देशभर में शोक मनाया जाएगा। हिंसा में जान गंवाने वालों की याद में सभी से काला बैंड पहनने का भी अनुरोध किया गया है। मृतकों और घायलों के लिए देश भर के सभी मस्जिदों चर्चों और मंदिरों में पूजा करने के लिए भी कहा गया है।"
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "हमने ताजा हिंसा को रोकने के लिए सेना जुटा ली है।" गवाहों और टीवी फुटेज के अनुसार, सुरक्षा बल, सेना के साथ राजधानी के मुख्य जगहों की रक्षा में जुटे हुए हैं। पुलिस अर्धसैनिक बलों के साथ सड़कों पर पेट्रोलिंग कर रही है। सोमवार को छात्रों के एक समूह ने एक नए विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। दरअसल, इसी समूह के छह नेताओं ने प्रदर्शन को वापस लेने की घोषणा की थी।
बता दें कि बीते महीने 5 जून को बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने देश में फिर से आरक्षण की पुरानी व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया। शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील भी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा। इससे छात्र नाराज हो गए और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों से शुरू हुआ ये विरोध प्रदर्शन अब बढ़ते-बढ़ते हिंसा में तब्दील हो गया है।
इस प्रदर्शन पर छात्र समन्वयक नाहिद इस्लाम ने कहा, "सरकारी नौकरी कोटा प्रणाली में सुधार की हमारी मांग पूरी हो गई है।" हालांकि, कई अन्य छात्रों ने नए विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। उन्होंने दावा किया कि उनके नेताओं को पुलिस हिरासत में प्रदर्शन वापस लेने के लिए मजबूर किया गया। सरकार ने अपने नेताओं की रिहाई और प्रदर्शन में मारे गए लोगों के लिए माफी मांगने के अल्टीमेटम को नजरअंदाज कर दिया।
इस हिंसक प्रदर्शन में देशभर में 200 नागरिकों की मौत हो गई। एक स्थानीय मीडिया ने बताया कि हिंसा में 210 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 113 बच्चे थे। मरने वालों में ज्यादातर किशोर और युवा थे। हिंसा शुरू होने के बाद से देशभर में नौ हजार लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
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पीएमओ कार्यालय से जारी बयान में कहा गया, "कल देशभर में शोक मनाया जाएगा। हिंसा में जान गंवाने वालों की याद में सभी से काला बैंड पहनने का भी अनुरोध किया गया है। मृतकों और घायलों के लिए देश भर के सभी मस्जिदों चर्चों और मंदिरों में पूजा करने के लिए भी कहा गया है।"
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एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "हमने ताजा हिंसा को रोकने के लिए सेना जुटा ली है।" गवाहों और टीवी फुटेज के अनुसार, सुरक्षा बल, सेना के साथ राजधानी के मुख्य जगहों की रक्षा में जुटे हुए हैं। पुलिस अर्धसैनिक बलों के साथ सड़कों पर पेट्रोलिंग कर रही है। सोमवार को छात्रों के एक समूह ने एक नए विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। दरअसल, इसी समूह के छह नेताओं ने प्रदर्शन को वापस लेने की घोषणा की थी।
बता दें कि बीते महीने 5 जून को बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने देश में फिर से आरक्षण की पुरानी व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया। शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील भी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा। इससे छात्र नाराज हो गए और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों से शुरू हुआ ये विरोध प्रदर्शन अब बढ़ते-बढ़ते हिंसा में तब्दील हो गया है।
इस प्रदर्शन पर छात्र समन्वयक नाहिद इस्लाम ने कहा, "सरकारी नौकरी कोटा प्रणाली में सुधार की हमारी मांग पूरी हो गई है।" हालांकि, कई अन्य छात्रों ने नए विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। उन्होंने दावा किया कि उनके नेताओं को पुलिस हिरासत में प्रदर्शन वापस लेने के लिए मजबूर किया गया। सरकार ने अपने नेताओं की रिहाई और प्रदर्शन में मारे गए लोगों के लिए माफी मांगने के अल्टीमेटम को नजरअंदाज कर दिया।
इस हिंसक प्रदर्शन में देशभर में 200 नागरिकों की मौत हो गई। एक स्थानीय मीडिया ने बताया कि हिंसा में 210 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 113 बच्चे थे। मरने वालों में ज्यादातर किशोर और युवा थे। हिंसा शुरू होने के बाद से देशभर में नौ हजार लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।