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Bangladesh: चीन ने सक्रिय किया था 'एसईपी स्लीपर सेल'! यूं ही नहीं बुलाए जा रहे थे बांग्लादेशी छात्र

Ashish Tiwari आशीष तिवारी
Updated Wed, 07 Aug 2024 12:53 PM IST
सार
बांग्लादेश में बदहाल हुए हालात में पाकिस्तान और चीन का बराबर का हाथ बताया जा रहा है। विदेशी मामलों के जानकार से लेकर खुफिया एजेंसियों को मिले इनपुट इस बात की तस्दीक करते हैं कि जब बांग्लादेश में हालत खराब होने शुरू हुए तो चीन ने भी उसको इतनी हवा दी कि देश में सियासी उथल-पुथल शुरू हो गया।
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बांग्लादेश में हिंसा। - फोटो : ANI/istock

विस्तार
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बांग्लादेश में हुए तख्ता पलट में जितना हाथ पाकिस्तान का है, उतना ही चीन का भी है। दुनिया भर की अलग-अलग खुफिया एजेंसियों की ओर से जुटाए जा रहे इनपुट में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ चीन ने भी बांग्लादेश में माहौल बिगड़ने के लिए बड़ी साजिश रची। खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक जानकारी इस बात की भी मिली है कि बांग्लादेश में चीन की और से यहां के स्टूडेंट्स को अपने मुल्क में पढ़ाई करवाने के नाम पर बड़ा नेटवर्क डेवलप किया जा रहा था। 'मिशन एजुकेशन' के नाम पर छात्रों के बीच चीन की पूरी स्लीपर सेल बीते कई वर्षों से सक्रिय थी। चीन और बांग्लादेश के बीच 'स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम' (एसईपी) के तहत चीन ने शेख हसीना की सरकार को अस्थिर करने के लिए भी अपनी साजिशें रचीं। चीन की स्लीपर से छात्रों के बीच में थी इसीलिए जब छात्रों का आंदोलन उग्र होना शुरू हुआ, तो पाकिस्तान और चीन की ओर से हवा दिए जाने पर हालात और बिगड़ते रहे। 


बांग्लादेश में बदहाल हुए हालात में पाकिस्तान और चीन का बराबर का हाथ बताया जा रहा है। विदेशी मामलों के जानकार से लेकर खुफिया एजेंसियों को मिले इनपुट इस बात की तस्दीक करते हैं कि जब बांग्लादेश में हालत खराब होने शुरू हुए तो चीन ने भी उसको इतनी हवा दी कि देश में सियासी उथल-पुथल शुरू हो गया। केंद्रीय खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्रों की मानें, तो चीन बीते कुछ सालों से बांग्लादेश के छात्रों को अपने देश में 'मिशन एजुकेशन' के तहत उच्च शिक्षा के लिए बुलाता है। इस दौरान चीन ने बीते कुछ सालों में बांग्लादेश के छात्रों को अपने देश से चिकित्सा की पढ़ाई करने के साथ-साथ दूसरे बड़े संस्थानों में भी एडमिशन का आसान रास्ता तैयार किया था। सूत्रों के मुताबिक बीते छह सालों में अलग-अलग इलाकों से तकरीबन 47 हजार छात्रों को चीन की साजिशन तैयार की गई नीति से उनको अपने मुल्क बुलाया गया। इस दौरान चीन ने अपने देश के लोगों को बांग्लादेश में स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत भेजा। खुफिया सूत्रों की मानें तो बांग्लादेश में भेजे जाने वाले चीन के लोगों को यहां के छात्रों में समन्वय करने के लिए भेजा जा रहा था। जबकि इसके पीछे की कहानी कुछ और थी, जो बांग्लादेश में तख्ता पलट के दौरान दिखी।


खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि चीन के वो लोग जो बांग्लादेश में आकर वहां के छात्रों से समन्वय कर उनको अपने देश में पढ़ने के लिए लाइनअप करवाते थे। वही लोग चीन के स्लीपर सेल के तौर पर सक्रिय होकर उन छात्रों के आंदोलन को उग्र भी करवा रहे थे। बाद में जब हालात आरक्षण के मामले पर आंदोलन में तब्दील होने लगे, तो चीन की इसी स्लीपर सेल ने उनको हर तरीके से हवा देकर और आंदोलित किया। खुफिया सूत्रों को मिले इनपुट से इस बात की भी तस्दीक होती है कि जो घटना बांग्लादेश में घटी है, उसके पीछे कई वर्षों से चीन और पाकिस्तान मिलकर माहौल तैयार कर रहे थे। खुफिया जानकारियां तो इस बात की भी मिली हैं कि चीन और पाकिस्तान ने बाकायदा बांग्लादेश में फंड भी मुहैया कराया है। हालांकि यह फंड छात्रों को पढ़ाई के नाम पर दिया जा रहा था, लेकिन इसके पीछे का मकसद वही था जो आरक्षण में आंदोलन के दौरान अराजकता के तौर पर सामने आया। 

विदेशी मामलों के जानकार और साउथ एशियन स्टडीज एंड जियो पॉलिटिकल सेंटर के प्रोफेसर जेपी निगम कहते हैं कि बांग्लादेश में चीन ने जो स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम शुरू किया था, वह भी इस पूरे हालात में बांग्लादेश के लिए नेगेटिव ही रहा। निगम कहते हैं बीते कुछ वर्षों में अगर देखा जाए, तो बांग्लादेश के छात्रों के लिए चीन पढ़ाई के लिहाज से बड़ा सेंटर बनकर उभरा था। बांग्लादेश की एक रिपोर्ट के मुताबिक विदेश जाने वालों की संख्या में 80 फीसदी छात्र चीन में पढ़ाई करना और वहां पर नौकरी करने के लिए जाना पसंद कर रहे थे। क्योंकि चीन बांग्लादेश में बड़ा निवेश भी करना चाहता था और उसकी नजर भी यहां के संसाधनों के साथ-साथ उस जमीन पर थी, जो भारत से बिल्कुल सटी हुई थी। इसीलिए चीन ने अपनी शिक्षा नीति को बांग्लादेश के छात्रों के लिए ज्यादा सुगम भी किया था। चीन ने बांग्लादेश के छात्रों के लिए चिकित्सा की पढ़ाई में विशेष रियासतों को भी दुनिया के अन्य मुल्कों की तुलना में ज्यादा कर दिया था। यही नहीं चीन में पढ़ने वाले छात्रों के लिए बांग्लादेश बैंक ने भी बहुत रियायतें देनी शुरू कर दी थी। हालात ऐसे हो गए थे कि बांग्लादेश बैंक ने चीन में पढ़ने वाले छात्रों की ट्यूशन फीस तक अदा करना शुरू कर दिया था।

बांग्लादेश के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने चीन की ओर से मिशन एजुकेशन और स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के पीछे की मंशा को जब समझना शुरू किया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्रों की मानें तो यहां के छात्रों के बीच में इतनी ज्यादा अपनी पकड़ और पहचान बना ली थी कि प्रतिबंधित छात्रों का संगठन भी चीन के ही इशारों पर चलने लगा था। विदेशी मामलों के जानकार और वरिष्ठ राजनयिक रहे एपी गुप्ता कहते हैं कि प्रतिबंधित छात्रों के बीच चीन और पाकिस्तान की स्लीपर सेल मौजूद थे। इसीलिए आंदोलन करने की पूरी भूमिका में सहयोग देने की भी सूचना आ रही है। गुप्ता का मानना है जिस तरीके के हालात बांग्लादेश में बने हुए थे खासतौर से चीन और पाकिस्तान को लेकर। उन दशाओं में दोनों देशों ने बांग्लादेश को अस्थिर करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी। वह कहते हैं कि इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो प्रतिबंधित संगठन थे उनको पाकिस्तान की आईएसआई की ओर से समर्थन और वित्तीय मदद की जा रही थी। इस बीच चीन ने भी बांग्लादेश से कई मामलों में तल्ख हो रहे रिश्तों के आधार पर पाकिस्तान का भी बांग्लादेश को अस्थिर करने में जमकर साथ दिया। 
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