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कोरोना वायरस: रूसी वैक्सीन स्पुतनिक को लेकर थम नहीं रहा है यूरोपियन यूनियन में सियासी विवाद

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ब्रसेल्स Published by: Harendra Chaudhary Updated Mon, 08 Mar 2021 03:05 PM IST
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सार

ईयू के सदस्य देशों हंगरी, चेक रिपब्लिक और स्लोवाकिया ने ईएमए के फैसले का इंतजार ना करते हुए अपने यहां स्पुतनिक-वी के इस्तेमाल को हरी झंडी दे दी। लेकिन पोलैंड और लिथुआनिया, एस्तोनिया आदि जैसे देश रूसी वैक्सीन को लेकर शक जताते रहे हैं...

Drug regulator of European Union EMA is investigating the data of Russian vaccine Sputnik-V
sputnik v - फोटो : Agency (File Photo)
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विस्तार
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यूरोपियन यूनियन (ईयू) के ड्रग्स रेगुलेटर- ईएमए कोरोना वायरस की रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी को हरी झंडी देने के बारे में जांच कर रहा है। ये काम उसने पिछले हफ्ते शुरू किया। लेकिन जानकारों का कहना है कि इस बारे में उसके सामने जो चुनौतियां हैं, उनमें एक का संबंध राजनीति से है। रूस के प्रति यूरोपीय देशों के विरोध को देखते हुए उसका काम कठिन हो गया है। हालांकि ईएमए वैज्ञानिक डाटा के आधार पर फैसला लेगी, लेकिन वह अपने फैसले को विवादों से मुक्त रख पाएगी, इसमें संदेह है।

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विश्लेषकों का कहना है कि ईयू के भीतर रूसी वैक्सीन का सवाल पहले ही सियासी रंग ले चुका है। प्रतिष्ठित ब्रिटिश मेडिकल जर्नल द लासेंट ने स्पुतनिक-वी के बारे में सकारात्मक राय दी थी। इसके बावजूद ईएमए ने इस बारे में विचार करने में देर लगाई। वह भी उस हालत में जब यूरोपीय देशों में वैक्सीन की कमी लगातार बनी हुई है। आरोप है कि ये देर राजनीतिक कारणों से हुई।
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इसी का नतीजा है कि ईयू के सदस्य देशों हंगरी, चेक रिपब्लिक और स्लोवाकिया ने ईएमए के फैसले का इंतजार ना करते हुए अपने यहां स्पुतनिक-वी के इस्तेमाल को हरी झंडी दे दी। लेकिन पोलैंड और लिथुआनिया, एस्तोनिया आदि जैसे देश रूसी वैक्सीन को लेकर शक जताते रहे हैं। इन देशों ने आरोप लगाया है कि रूस वैक्सीन की राजनीति कर रहा है, जिसके जरिए वह ईयू में फूट डालना चाहता है। लेकिन जर्मनी जैसे देश ने स्पुतनिक-वी के बारे में अच्छी राय जताई है।

ईएमए को फैसला गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावशीलता के आधार पर करना है। उसे देखना है कि इन मानकों पर ये वैक्सीन खरी है या नहीं। लेकिन इस बारे में भरोसे की कमी के कारण यूरोपीय आयोग को इस बारे में सफाई देनी पड़ी है। उसके प्रवक्ता एरिक मामेर ने कहा- ईएमए के कामकाज का भू-राजनीति से कोई संबंध नहीं है। वह उस डाटा के आधार पर फैसला करेगी, जो वैक्सीन निर्माता कंपनी ने उपलब्ध कराए हैँ।

लेकिन इस सफाई के बावजूद इस बारे में जताए गए संदेहों का अंत नहीं हुआ है। बल्कि कुछ हलकों से निर्माता कंपनी की तरफ से दिए गए डाटा पर ही सवाल खड़े किए गए हैं। यूरोपियन पीपुल्स पार्टी के प्रवक्ता और यूरोपीय संसद के सदस्य पीटर लीसे ने कहा कि क्या इस कंपनी ने अपने परीक्षण लोगों के सही नमूने पर किए। या उसने सेना के स्वयं सेवकों पर परीक्षण किए, जो अपेक्षाकृत युवा और स्वस्थ होते हैं। इसलिए जरूरी है कि ईएमए गहराई से वैज्ञानिक तरीके एवं आलोचनात्मक ढंग से डाटा की जांच करे।

जर्मन ग्रीन पार्टी के कुछ नेताओं ने भी रूस में किए गए परीक्षणों को लेकर शक जताया है। उन्होंने पूछा है कि क्या इस टीके का ईयू के दूसरे देशों में स्वतंत्र रूप से परीक्षण हुआ। उन्होंने सवाल किया है कि क्या ईएमए यह सुनिश्चित कर पाएगा कि रूसी परीक्षण ईयू के मानदंडों का पालन करते हुए किए गए।

ईएमए यूरोपभर से लिए गए विशेषज्ञों की एजेंसी है। उसकी मानव औषधि समिति वैक्सीन का जायजा लेती है। वह पहले स्पुतनिक की निर्माता कंपनी से प्राप्त डाटा की जांच करेगी। वह इस बात को देखेगी कि ये वैक्सीन किस हद तक मानव शरीर में एंटीबॉडीज बनाने में सक्षम है। लेकिन जानकारों का कहना है कि ऐसा वह तभी निष्पक्षता से कर पाएगी, अगर ये एजेंसी ईयू की विभिन्न राजधानियों से पड़ रहे दबावों से खुद को दूर रख पाए। खासकर उन देशों के दबावों से, जिनके रूस से खराब संबंध हैं।

वैसे ईएमए का रिकॉर्ड प्रोफेशनल है। इसलिए विशेषज्ञों के बीच आम तौर पर ये धारणा है कि आखिरकार उसका फैसला वैक्सीन की गुणवत्ता के आधार पर ही होगा। ये और बात है कि उसके फैसले के बाद उसको लेकर राजनीति का नया दौर शुरू हो जाए।

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