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वैक्सीन को लेकर यूरोप में विवाद: एस्ट्राजेनेका और स्पुतनिक-वी को लेकर देशों का अलग-अलग रुख
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ब्रसेल्स
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 23 Mar 2021 05:22 PM IST
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सार
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन के सुरक्षित होने का प्रमाणपत्र अब यूरोपीय ड्रग एजेंसी के साथ-साथ अमेरिकी एजेंसी से भी मिल गया है। अमेरिका में हुए परीक्षण से सामने आया कि ये वैक्सीन 79 फीसदी प्रभावी है...

स्पुतनिक-वी
- फोटो : Agency (File Photo)
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विस्तार
यूरोपियन यूनियन (ईयू) में कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए टीकाकरण की गति इतनी धीमी है, यह लगातार नए विवादों को जन्म दे रहा है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी को लेकर ईयू के अलग-अलग देशों के बीच एक तरह से टकराव की स्थिति बन गई है। एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन को लेकर मामला कुछ देशों में हुए अनुभवों से पैदा हुआ शक है। जबकि रूसी वैक्सीन के मामले में राजनीतिक पहलू भी शामिल हैं।

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ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन के सुरक्षित होने का प्रमाणपत्र अब यूरोपीय ड्रग एजेंसी के साथ-साथ अमेरिकी एजेंसी से भी मिल गया है। अमेरिका में हुए परीक्षण से सामने आया कि ये वैक्सीन 79 फीसदी प्रभावी है। साथ ही इससे खून में थक्के जमने का खतरा नहीं रहता है। लेकिन इसके ऐसे कथित दुष्प्रभाव के शक में यूरोप के 13 देशों में इस टीके का इस्तेमाल अब तक रुका हुआ है। इन देशों में इस टीके का इस्तेमाल रोकने का फैसला जल्दबाजी में किया। इसका असर यह हुआ है कि इस टीके को लेकर जनता में गहरा शक पैदा हो गया है। यू-गोव एजेंसी के एक ताजा सर्वे के मुताबिक फ्रांस में 61 फीसदी और जर्मनी में 55 फीसदी लोगों ने इस टीके को असुरक्षित माना। जानकारों का कहना है कि ऐसे शक के माहौल में इस वैक्सीन को लगाने का काम फिर शुरू करना आसान नहीं होगा।
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जिस समय यूरोपीय देश वैक्सीन डोज की कमी से जूझ रहे हैं, एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को लेकर पैदा हुए इस हाल से समस्या और गहरा गई है। इस कारण स्पुतनिक-वी को लेकर ईयू देशों में विवाद खड़ा हो गया है। ताजा परीक्षणों से ये साबित हुआ है कि स्पुतनिक-वी बेहद प्रभावी और सुरक्षित है। अब रूस इसे दुनिया भर में भेजने की तैयारी में है। खास कर ईयू में वह इसका निर्यात करना चाहता है। जबकि ईयू में इस समय रूस को लेकर गहरा विरोध भाव है। इसके बावजूद कई ईयू देशों ने स्पुतनिक-वी को खरीदने की इच्छा जता दी है। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने तो यहां तक कहा है कि अगर ईयू देशों में कोई सहमति नहीं बनी, तो वे अकेले इसे खरीदने की मंजूरी अपने देश के विनियामक एजेंसी को दे देंगी।
दूसरी तरफ ईयू के वैक्सीन टास्क फोर्स के प्रमुख थियरी ब्रेटॉन ने कहा है कि यूरोप को स्पुतनिक वी की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने दावा किया है कि जून के आखिर तक यूरोप में ईयू में बने वैक्सीन के डोज पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हो जाएंगे। स्पुतनिक-वी की निर्माता कंपनी ने ब्रेटॉन के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। उसने कहा है कि ब्रेटॉन का ये रुख पूर्वाग्रह से भरा है। उन्हें इस वैक्सीन पर सिर्फ इसलिए एतराज है, क्योंकि यह रूस में बना है, जबकि ब्रेटॉन की नाकामियां ईयू देशों के सामने जग-जाहिर हैं।
स्पुतनिक वी को एक बड़ा समर्थन अमेरिका संक्रामक रोग निरोधक एजेंसी सीडीसी के प्रमुख एंथनी फाउची से मिला है। फाउची ने सोमवार को कहा कि उनकी राय में स्पुतनिक वी पूर्णततया प्रभावी है। एक रेडियो टॉक शो में उन्होंने कहा कि रूस और चीन में बनी वैक्सीन में उनका पूरा भरोसा है। फाउची ने कहा- ‘मैंने रूसी वैक्सीन के डाटा को देखा है। ये सही दिखते हैं।’ गौरतलब है कि दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण रोकने का वैक्सीन रूस ने सबसे पहले बनाया था। उसने अगस्त 2020 में ही इसे लॉन्च कर दिया था। इसे रूस सरकार की वित्तीय मदद से गेमालेया नाम की कंपनी ने बनाया है।
इस बीच वैक्सीन के सवाल पर ब्रिटेन और ईयू के बीच भी एक विवाद खड़ा हो गया है। ईयू के नेताओं ने धमकी दी है कि वे ईयू में निर्मित वैक्सीन का ब्रिटेन को निर्यात रोक देंगे। उनकी शिकायत है कि ब्रिटेन ईयू से वैक्सीन आयात कर रहा है, लेकिन ब्रिटेन में बनी वैक्सीन को ईयू देशों को निर्यात नहीं कर रहा है। खबर है कि ब्रिटिश सरकार ईयू से संभावित प्रतिबंध को रोकने के लिए ईयू देशों की लॉबिंग शुरू कर दी है।
उधर वैक्सीन निर्माता अमेरिकी कंपनी फाइजर ने चेतावनी दी है कि अगर निर्यात प्रतिबंध लगाया गया, तो उसका खराब असर वैक्सीन के सप्लाई चेन पर पड़ेगा। गौरतलब है कि ब्रिटिश सरकार ने एस्ट्राजेनेका से करार में ये शर्त लगाई हुई है कि ब्रिटेन में ये कंपनी जो वैक्सीन उत्पादित करेगी, उसकी सप्लाई ब्रिटेन में ही करनी होगी। जबकि ईयू में निर्मित वैक्सीन डोजों का 40 फीसदी निर्यात ब्रिटेन को हो रहा है।