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Iran Nuclear Row: 'ईरान कुछ महीनों में फिर से खड़ा कर सकता है परमाणु ढांचा', तमाम देशों को IAEA की चेतावनी
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Mon, 30 Jun 2025 11:07 AM IST
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सार
आईएईए प्रमुख ग्रॉसी ने कहा कि अमेरिका के हमलों के बावजूद ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। ईरान के पास तकनीकी क्षमता बची है जिससे वह कुछ महीनों में यूरेनियम संवर्धन दोबारा शुरू कर सकता है। इसी बीच, ईरान-इस्राइल तनाव और परमाणु खतरे को लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंता बढ़ रही है।

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई
- फोटो : एक्स@id_Khamenei
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विस्तार
ईरान और पश्चिमी देशों के बीच परमाणु विवाद लगातार दुनिया की चिंता बढ़ा रहा है। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (आईएईए) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने फिर साफ-साफ कहा है कि अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा ईरान पर किए गए हमलों के बावजूद, तेहरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। ग्रॉसी का कहना है कि ईरान महज कुछ महीनों में फिर से यूरेनियम संवर्धन शुरू कर सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि अमेरिका की सैन्य कार्रवाई ने ईरान के परमाणु इरादों को 'दशकों' पीछे धकेल दिया है। लेकिन आईएईए प्रमुख ग्रॉसी के मुताबिक, ईरान की परमाणु क्षमता इतनी आसानी से खत्म नहीं हो सकती। ग्रॉसी ने कहा कि ईरान के पास जरूरी तकनीक और औद्योगिक ढांचा मौजूद है, जिससे वह कुछ ही महीनों में फिर से यूरेनियम संवर्धन की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।
ईरान पर हुए हमलों का मिला-जुला असर
पिछले हफ्ते अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला किया था। इन हमलों का मकसद ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बड़ा झटका देना था। हालांकि, अमेरिकी रक्षा एजेंसियों की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान का मेटल कन्वर्जन प्लांट जरूर तबाह हुआ है, लेकिन बाकी ढांचे को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका। वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि ईरानी अधिकारियों ने खुद भी माना है कि नुकसान उम्मीद से कम हुआ है।
ये भी पढ़ें: ट्रंप से टकराव के बाद राजनीति से पीछे हटे अमेरिकी सांसद टिलिस, कहा- 2026 में नहीं लड़ेंगे चुनाव
आईएईए की सख्त चेतावनी
आईएईए चीफ ग्रॉसी ने साफ कहा कि सिर्फ हमलों के भरोसे परमाणु हथियारों की रोकथाम नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि ईरान के पास अभी भी औद्योगिक और तकनीकी क्षमता मौजूद है। अगर वो चाहे तो कुछ महीनों में फिर से यूरेनियम संवर्धन शुरू कर सकता है। ग्रॉसी ने यह भी कहा कि आईएईए पर दबाव डाला जा रहा है कि वो यह बताए कि ईरान के पास परमाणु हथियार हैं या नहीं, लेकिन ऐसी पुष्टि तभी संभव है जब अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों को ईरान में पूरी जांच करने दी जाए।
ये भी पढ़ें: चिली में सत्ता बदलने की आहट: कम्युनिस्ट नेता जीनेट की बड़ी जीत, अब राष्ट्रपति पद के लिए दक्षिणपंथियों से जंग
बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंताएं
आईएईए की यह चेतावनी ऐसे वक्त आई है जब दुनिया पहले से ही मध्य पूर्व में तनाव के कारण परेशान है। ईरान और इस्राइल के बीच चल रहे संघर्ष और अमेरिका की सैन्य कार्रवाई के बीच अब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर नई चिंता खड़ी हो गई है। जानकारों का कहना है कि अगर ईरान ने दोबारा संवर्धन शुरू किया तो यह सिर्फ मध्य पूर्व ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है।

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ईरान पर हुए हमलों का मिला-जुला असर
पिछले हफ्ते अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला किया था। इन हमलों का मकसद ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बड़ा झटका देना था। हालांकि, अमेरिकी रक्षा एजेंसियों की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान का मेटल कन्वर्जन प्लांट जरूर तबाह हुआ है, लेकिन बाकी ढांचे को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका। वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि ईरानी अधिकारियों ने खुद भी माना है कि नुकसान उम्मीद से कम हुआ है।
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आईएईए की सख्त चेतावनी
आईएईए चीफ ग्रॉसी ने साफ कहा कि सिर्फ हमलों के भरोसे परमाणु हथियारों की रोकथाम नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि ईरान के पास अभी भी औद्योगिक और तकनीकी क्षमता मौजूद है। अगर वो चाहे तो कुछ महीनों में फिर से यूरेनियम संवर्धन शुरू कर सकता है। ग्रॉसी ने यह भी कहा कि आईएईए पर दबाव डाला जा रहा है कि वो यह बताए कि ईरान के पास परमाणु हथियार हैं या नहीं, लेकिन ऐसी पुष्टि तभी संभव है जब अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों को ईरान में पूरी जांच करने दी जाए।
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बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंताएं
आईएईए की यह चेतावनी ऐसे वक्त आई है जब दुनिया पहले से ही मध्य पूर्व में तनाव के कारण परेशान है। ईरान और इस्राइल के बीच चल रहे संघर्ष और अमेरिका की सैन्य कार्रवाई के बीच अब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर नई चिंता खड़ी हो गई है। जानकारों का कहना है कि अगर ईरान ने दोबारा संवर्धन शुरू किया तो यह सिर्फ मध्य पूर्व ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है।
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