पाकिस्तान को लगी मिर्ची: US ने TRF को बताया आतंकी संगठन; डार बोले- पहलगाम हमले में शामिल होने का सबूत दिखाएं
पहलगाम आतंकी हमले को अंजाम देने वाले आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को अमेरिका ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है। ऐसे में आतंकियों के पनाहगाह पाकिस्तान को मिर्ची लग गई है। यही कारण है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार ने संसद में इसका खुलकर टीआरएफ का बचाव किया। डार ने दावा किया कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के बयान से टीआरएफ का नाम हटवाया। साथ ही उन्होंने टीआरएफ को गैरकानूनी मानने से भी इनकार किया।

विस्तार
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बीते 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी लेने वाला आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) इन दिनों चर्चा में है। कारण है कि बीते दिनों अमेरिका ने एक बड़ा कदम उठाते हुए टीआरएफ को विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। अमेरिका के इस फैसले पर पाकिस्तान को मिर्ची लग गई और पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार खुलकर टीआरएफ के बचाव में सामने आ गए। उन्होंने पाकिस्तान की संसद में भाषण देते हुए खुलेआम द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) का बचाव किया।

टीएरएफ के समर्थन में आया पाकिस्तान
इशाक डार ने संसद में दावा किया कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पहलगाम हमले पर जारी बयान में टीआरएफ का नाम हटवाया। उन्होंने कहा कि हमने टीआरएफ का नाम हटाने की मांग की। कई देशों से फोन आए, लेकिन पाकिस्तान नहीं झुका। अंत में टीआरएफ का जिक्र हटा दिया गया।
ये भी पढ़ें:- US: पहलगाम हमले के दोषी TRF को अमेरिका ने आतंकवादी संगठन घोषित किया, रुबियो बोले- हम न्याय के लिए प्रतिबद्ध
टीआरएफ को गैरकानूनी नहीं मानते डार
साथ ही पाकिस्तान के नापाक मंशे का खुलासा तब हुआ जब डार ने समर्थन के साथ-साथ ये भी कह दिया कि टीआरएफ को वे गैरकानूनी संगठन नहीं मानते। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के लिए टीआरएफ जिम्मेदार है, इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं दिया गया। हालांकि ये अलग बात है कि पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने खुद ली थी और अमेरिका व भारत की खुफिया एजेंसियों ने भी इसकी पुष्टि की थी।
बता दें कि टीआरएफ को पाकिस्तान में मौजूद लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी संगठन माना जाता है और हाल ही में अमेरिका ने इसे विदेशी आतंकी संगठन (एफटीओ) घोषित किया है। इसके साथ ही टीआरएफ को विशेष वैश्विक आतंकी (एसडीजीटी) की सूची में भी रखा गया है।
समझिए अमेरिका ने क्यों लिया सख्त फैसला?
गौरतलब है कि टीआरएफ को विदेशी आतंकी संगठन घोषित करते हुए अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित करना जरूरी था क्योंकि पहलगाम हमला भारत में 2008 के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला था। उन्होंने कहा कि टीआरएफ ने न सिर्फ पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी, बल्कि 2024 में भी कई बार भारतीय सुरक्षा बलों पर हमले किए। रुबियो ने कहा कि यह कदम अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ हमारी प्रतिबद्धता को दिखाता है।
ये भी पढ़ें:- Syria: संघर्षविराम के बीच अंतरिम सरकार ने दक्षिणी प्रांत में तैनात किए सुरक्षा बल, इस्राइली हमलों से बढ़ा तनाव
भारत ने फैसले का किया स्वागत
अमेरिका के इस फैसले का भारत ने स्वागत भी किया। मामले में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह भारत-अमेरिका के बीच आतंक के खिलाफ मजबूत सहयोग को दर्शाता है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित करने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्रालय और रुबियो का धन्यवाद। जयशंकर ने भारत की आतंक के खिलाफ जीरो टलरेंस नीति पर भी जोर देते हुए कहा कि यह लश्कर का सहयोगी संगठन है जिसने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी।