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Russia Ukraine War: रूस के लिए राहत, यूक्रेन मामले में बंटी हुई है एशियाई देशों की राय

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, सिंगापुर Published by: Harendra Chaudhary Updated Wed, 02 Mar 2022 03:09 PM IST
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सार

विश्लेषकों का कहना है कि ज्यादातर एशियाई देशों ने रूस से अपने पुराने संबंधों और अपने हितों का ख्याल करते हुए इस मामले में रुख तय किया है। जापान और दक्षिण कोरिया हमेशा से अमेरिकी खेमे के देश माने जाते हैं। स्वाभाविक रूप से उन्होंने इस मामले में सख्त तेवर दिखाए हैं...

Russia Ukraine War: big division in Asian countries over the issue of Russian attack on Ukraine, Japan, South Korea, Taiwan, Singapore strongly condemned Russian move
यूक्रेन पर यूएनजीए का आपात सत्र - फोटो : Agency (File Photo)
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विस्तार
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यूक्रेन पर रूसी हमले के मुद्दे पर एशियाई देशों में बड़ा विभाजन देखने को मिला है। जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, सिंगापुर आदि जैसे देशों ने यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस की कड़ी निंदा की है। जापान ने रूस के खिलाफ प्रतिबंध भी लगाए हैं। लेकिन चीन, भारत, आसियान, पाकिस्तान, और यूईए जैसे देशों ने रूस की निंदा करने से इनकार कर दिया है।

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दक्षिण-पूर्व देशों के संघ आसियान में दस देश शामिल हैं। आसियान की तरफ से जारी बयान में यूक्रेन की प्रादेशिक अखंडता का समर्थन किया गया, लेकिन रूस की निंदा नहीं की गई। आसियान के सदस्यों में से सिर्फ सिंगापुर ऐसा देश है, जिसने अपने अलग बयान में रूस की निंदा की है।

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जापान के सख्त तेवर

विश्लेषकों का कहना है कि ज्यादातर एशियाई देशों ने रूस से अपने पुराने संबंधों और अपने हितों का ख्याल करते हुए इस मामले में रुख तय किया है। जापान और दक्षिण कोरिया हमेशा से अमेरिकी खेमे के देश माने जाते हैं। स्वाभाविक रूप से उन्होंने इस मामले में सख्त तेवर दिखाए हैं। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने सोमवार को एलान किया कि उनका देश रूस के सेंट्रल बैंक से लेन-देन को सीमित कर देगा। साथ ही जापान ने अंतरराष्ट्रीय भुगतान के नेटवर्क- स्विफ्ट से रूस को निकालने का समर्थन किया है।


दक्षिण कोरिया ने एक करोड़ डॉलर की मानवीय मदद यूक्रेन भेजने की घोषणा की है। इसके पहले दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि व्यापार, उद्योग और ऊर्जा क्षेत्र में रूसी निर्यातों को नियंत्रित करने के कदम उठाए जाएंगे। रूस को इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर की सप्लाई भी रोक दी जाएगी। दक्षिण कोरिया ने भी रूस को स्विफ्ट सिस्टम से निकालने का समर्थन किया है।

ताइवान-सिंगापुर ने भी उठाए कदम

ताइवान हालांकि स्वतंत्र देश नहीं है, लेकिन वहां की मौजूदा सरकार ने रूस के खिलाफ उठाए जा रहे तमाम कड़े कदमों को समर्थन किया है। ताइवान के रुख को इसलिए महत्वपूर्ण समझा जा रहा है, क्योंकि वह चिप और सुपरकंडक्टर का सबसे बड़ा निर्माता है। इन उत्पादों का निर्यात रोक देने के कारण रूस के उद्योग जगत को भारी नुकसान पहुंचेगा। ताइवान ने यूक्रेन के लिए 27 टन मेडिकल सहायता भेजने की घोषणा भी की है।

दक्षिण-पूर्व एशिया में सिंगापुर अकेला देश है, जिसने रूस के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया है। सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन ने एक बयान में कहा कि सिंगापुर समान सोच वाले देशों के साथ मिल कर रूस पर उचित प्रतिबंध लगाएगा। लेकिन अन्य आसियान देशों का भी इस मामले में रुख नरम है।

भारत-चीन के रुख से राहत

वियतनाम सरकार ने एक बयान में कहा कि यूक्रेन में ‘सशस्त्र टकराव’ से वियतनाम चिंतित है और वह यूक्रेन में मौजूद वियतनाम के लोगों पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रहा है। यूक्रेन में लगभग सात हजार वियतनामी मौजूद हैं। मलेशिया, इंडोनेशिया और थाईलैंड ने भी वियतनाम की तरह ही नपे-तुले शब्दों में प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

विश्लेषकों का कहना है कि रूस के लिए सबसे बड़ी राहत की बात भारत और चीन का रुख रहा है। ये दोनों बड़े देश हैं, जिनकी बात दुनिया भर में सुनी जाती है। चीन तो खुल कर इस मामले में रूस का समर्थन कर रहा है।

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