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Nepal: शेरबहादुर देउबा ने छोड़ी नेपाली कांग्रेस की कार्यकारी जिम्मेदारी; पूर्णबहादुर खड़का को सौंपी कमान
अतुल मिश्र
Published by: शिवम गर्ग
Updated Wed, 15 Oct 2025 06:37 AM IST
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सार
नेपाली कांग्रेस के नेता शेरबहादुर देउबा ने कार्यकारी पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आगामी 15वें महाधिवेशन से पहले पार्टी की जिम्मेदारी पूर्णबहादुर खड़का को सौंप दी है।

नेपाल के पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा
- फोटो : ANI
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विस्तार
करीब एक दशक तक नेपाली कांग्रेस का नेतृत्व संभालने वाले और पांच बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने शेरबहादुर देउबा ने मंगलवार से औपचारिक रूप से पार्टी की कार्यकारी भूमिका से विदाई ली है। आगामी 15वें महाधिवेशन में कांग्रेस पार्टी का विधान उन्हें दोबारा उम्मीदवार बनने की अनुमति नहीं देता। हालांकि, देउबा ने खुद केंद्रीय कार्य समिति की बैठक में घोषणा की कि अब वह सभापति पद के लिए उम्मीदवार नहीं होंगे।
महाधिवेशन संपन्न कराने की जिम्मेदारी उन्होंने उप सभापति पूर्णबहादुर खड़का को सौंपी है, जो अब कार्यकारी सभापति के रूप में पार्टी का नेतृत्व करेंगे। जिम्मेदारी हस्तांतरित करते हुए देउबा ने स्पष्ट संकेत दिया कि वे अब पूर्ण रूप से कार्यकारी भूमिका से अलग हो चुके हैं। नेपाल मे जेनजी आंदोलन के कारण देश की राजनीति में आई हलचल ने देउबा को समय पूर्व नेतृत्व से विदा होने के लिए बाध्य किया। आंदोलन से पहले उनकी योजना थी कि 'नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एमाले)-नेपाली कांग्रेस', गठजोड़ के तहत जून 2026 में छठी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही कांग्रेस पार्टी की महाधिवेशन कराएं। आंदोलन के बाद उन्होंने सुरक्षित रास्ता अपनाते हुए नेतृत्व हस्तांतरण का निर्णय लिया । परंतु पार्टी के भीतर बढ़ते दबाव ने उन्हें तुरंत पद छोड़ने की स्थिति में ला खड़ा किया। कांग्रेस के महासचिव विश्वप्रकाश शर्मा और गगन थापाले सार्वजनिक रूप से देउबा से नेतृत्व त्यागने का आग्रह किया था।
देउबा अब भी पार्टी सभापति, लेकिन कार्यकारी भूमिका समाप्त हो गई
52 प्रतिशत से अधिक महाधिवेशन प्रतिनिधियों ने विशेष महाधिवेशन की मांग पर हस्ताक्षर भी किए, जिससे पार्टी के भीतर परिवर्तन की लहर और तेज हुई। बढ़ते दबाव के बीच देउबा ने अंततः कार्यकारी पद से हटने का निर्णय लिया। तकनीकी रूप से देउबा अब भी पार्टी सभापति हैं, लेकिन कार्यकारी रूप में उनकी भूमिका समाप्त हो गई है। छह दशक से अधिक लंबे राजनीतिक जीवन में यह उनका कार्यकारी पद पर आखिरी दिन माना जा रहा है। देउबा पांच बार नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। हालांकि, बार बार सत्ता में आने के बावजूद उनकी कार्यशैली और उपलब्धियों पर सवाल उठते रहे। आलोचकों ने उन पर सुशासन स्थापित न कर पाने और राजनीतिक अव्यवस्था बढ़ाने का आरोप लगाया है।
अपने प्रधानमंत्रित्व काल की उपलब्धियों को किया याद
केंद्रीय कार्य समिति के बैठक में लिखित वक्तव्य के माध्यम से देउबा ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल की उपलब्धियों को याद किया और आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा, -'मुझे पांच बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला, भले ही कार्यकाल छोटे रहे। अधिकांश समय मैंने चुनावी सरकारों का नेतृत्व किया, लेकिन कई क्षेत्रों में सुधार की दिशा में हमने महत्वपूर्ण कदम उठाए।' देउबा के विदा लेने के बावजूद पार्टी के भीतर यह संशय बना हुआ है कि उनके सहयोगियों के प्रभाव में विधान द्वारा तय समय सीमा के भीतर महाधिवेशन होगा या नहीं। कई कांग्रेस नेताओं का मानना है कि उनके आसपास मौजूद गुटबंदी अब भी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।

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महाधिवेशन संपन्न कराने की जिम्मेदारी उन्होंने उप सभापति पूर्णबहादुर खड़का को सौंपी है, जो अब कार्यकारी सभापति के रूप में पार्टी का नेतृत्व करेंगे। जिम्मेदारी हस्तांतरित करते हुए देउबा ने स्पष्ट संकेत दिया कि वे अब पूर्ण रूप से कार्यकारी भूमिका से अलग हो चुके हैं। नेपाल मे जेनजी आंदोलन के कारण देश की राजनीति में आई हलचल ने देउबा को समय पूर्व नेतृत्व से विदा होने के लिए बाध्य किया। आंदोलन से पहले उनकी योजना थी कि 'नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एमाले)-नेपाली कांग्रेस', गठजोड़ के तहत जून 2026 में छठी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही कांग्रेस पार्टी की महाधिवेशन कराएं। आंदोलन के बाद उन्होंने सुरक्षित रास्ता अपनाते हुए नेतृत्व हस्तांतरण का निर्णय लिया । परंतु पार्टी के भीतर बढ़ते दबाव ने उन्हें तुरंत पद छोड़ने की स्थिति में ला खड़ा किया। कांग्रेस के महासचिव विश्वप्रकाश शर्मा और गगन थापाले सार्वजनिक रूप से देउबा से नेतृत्व त्यागने का आग्रह किया था।
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देउबा अब भी पार्टी सभापति, लेकिन कार्यकारी भूमिका समाप्त हो गई
52 प्रतिशत से अधिक महाधिवेशन प्रतिनिधियों ने विशेष महाधिवेशन की मांग पर हस्ताक्षर भी किए, जिससे पार्टी के भीतर परिवर्तन की लहर और तेज हुई। बढ़ते दबाव के बीच देउबा ने अंततः कार्यकारी पद से हटने का निर्णय लिया। तकनीकी रूप से देउबा अब भी पार्टी सभापति हैं, लेकिन कार्यकारी रूप में उनकी भूमिका समाप्त हो गई है। छह दशक से अधिक लंबे राजनीतिक जीवन में यह उनका कार्यकारी पद पर आखिरी दिन माना जा रहा है। देउबा पांच बार नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। हालांकि, बार बार सत्ता में आने के बावजूद उनकी कार्यशैली और उपलब्धियों पर सवाल उठते रहे। आलोचकों ने उन पर सुशासन स्थापित न कर पाने और राजनीतिक अव्यवस्था बढ़ाने का आरोप लगाया है।
अपने प्रधानमंत्रित्व काल की उपलब्धियों को किया याद
केंद्रीय कार्य समिति के बैठक में लिखित वक्तव्य के माध्यम से देउबा ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल की उपलब्धियों को याद किया और आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा, -'मुझे पांच बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला, भले ही कार्यकाल छोटे रहे। अधिकांश समय मैंने चुनावी सरकारों का नेतृत्व किया, लेकिन कई क्षेत्रों में सुधार की दिशा में हमने महत्वपूर्ण कदम उठाए।' देउबा के विदा लेने के बावजूद पार्टी के भीतर यह संशय बना हुआ है कि उनके सहयोगियों के प्रभाव में विधान द्वारा तय समय सीमा के भीतर महाधिवेशन होगा या नहीं। कई कांग्रेस नेताओं का मानना है कि उनके आसपास मौजूद गुटबंदी अब भी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।